भारतीय संविधान का अनुच्छेद 110 धन विधेयक को परिभाषित करता है, जो मुख्य रूप से कराधान, सरकारी निधियों के लेन-देन और भारत की संचित निधि पर प्रभारित व्यय से संबंधित होता है। धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किए जा सकते हैं, और राज्यसभा की शक्तियां सीमित हैं, जहां वह विधेयक को अधिकतम 14 दिनों तक रोक सकती है और केवल सुझाव दे सकती है, संशोधन या अस्वीकृति का अधिकार नहीं रखती। धन विधेयक को प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार लोकसभा अध्यक्ष के पास होता है, और उनकी भूमिका यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है कि विधायी प्रक्रिया संविधान के अनुरूप हो।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है, जो मुख्यतः राजस्व से संबंधित होता है। लोकसभा धन विधेयक में प्रमुख भूमिका निभाती है, जबकि राज्यसभा केवल संशोधन प्रस्तावित कर सकती है। धन विधेयक का उचित उपयोग और पारदर्शी प्रक्रिया लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है।