जयपुर, राजस्थान की राजधानी, 'गुलाबी शहर' के नाम से प्रसिद्ध है, जो 1876 में वेल्स के राजकुमार के स्वागत के लिए गुलाबी रंग से रंगा गया था। यह भारत का पहला योजनाबद्ध शहर है, जिसकी स्थापना महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी और यह अपनी अनूठी वास्तुकला, ऐतिहासिक किलों (हवा महल, आमेर किला) और जंतर-मंतर जैसी वेधशालाओं के लिए जाना जाता है। जयपुर अपनी जीवंत संस्कृति, रंगीन बाजारों और स्वादिष्ट राजस्थानी व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है और इसे यूनेस्को द्वारा 'विश्व धरोहर शहर' का दर्जा प्राप्त है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में मान्यता मिलने से भारत के ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थानों की वैश्विक पहचान बढ़ती है, जिससे पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। यह वृद्धि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है, रोजगार के अवसर पैदा करती है और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देती है। यह दर्जा इन स्थलों के बेहतर संरक्षण, प्रबंधन और बुनियादी ढाँचे के विकास में भी सहायक होता है, जिससे स्थानीय समुदायों को लाभ होता है।
भारत में कुल 42 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 34 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल शामिल हैं। सिक्किम का कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान भारत का एकमात्र मिश्रित धरोहर स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व दोनों के लिए जाना जाता है। ये स्थल भारत की समृद्ध विरासत और जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करते हुए वैश्विक मंच पर इसकी पहचान स्थापित करते हैं, और इनके संरक्षण का अत्यधिक महत्व है।