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यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में मान्यता मिलने से भारत के ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थानों की वैश्विक पहचान बढ़ती है, जिससे पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। यह वृद्धि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है, रोजगार के अवसर पैदा करती है और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देती है। यह दर्जा इन स्थलों के बेहतर संरक्षण, प्रबंधन और बुनियादी ढाँचे के विकास में भी सहायक होता है, जिससे स्थानीय समुदायों को लाभ होता है।
भारत में कुल 42 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 34 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल शामिल हैं। सिक्किम का कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान भारत का एकमात्र मिश्रित धरोहर स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व दोनों के लिए जाना जाता है। ये स्थल भारत की समृद्ध विरासत और जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करते हुए वैश्विक मंच पर इसकी पहचान स्थापित करते हैं, और इनके संरक्षण का अत्यधिक महत्व है।
भारत में हजारों वर्षों के इतिहास को दर्शाने वाले असंख्य ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जिनमें किले, महल, मंदिर और पुरातात्विक अवशेष शामिल हैं, जो देश की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हैं। दिल्ली का लाल किला, जो मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा निर्मित और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और भारत के राष्ट्रीय महत्व का प्रतीक है। इन स्थलों में राजस्थान के किले, हम्पी के खंडहर और सांची के स्तूप जैसे विविध उदाहरण शामिल हैं, जो भारत की सांस्कृतिक और स्थापत्य विविधता को दर्शाते हैं।
भारत में 42 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें सांस्कृतिक, प्राकृतिक और एक 'मिश्रित' श्रेणी (खंगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान) शामिल हैं, जो उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य के मानदंडों को पूरा करते हैं। 'मिश्रित' स्थल वे हैं जो सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोनों महत्व रखते हैं, जैसे कि खंगचेंदज़ोंगा जो प्राकृतिक सौंदर्य और स्थानीय बौद्ध संस्कृति का संगम है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और पर्यावरण मंत्रालय जैसी संस्थाएँ इन अमूल्य विरासतों के संरक्षण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ताकि इन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके।
भारत के विश्व धरोहर स्थल, जिन्हें यूनेस्को द्वारा मानवता के उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य के रूप में मान्यता प्राप्त है, देश की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में महत्वपूर्ण हैं। ये स्थल अंतरराष्ट्रीय पहचान, संरक्षण सहायता और पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और भारत की समृद्ध विरासत का वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन होता है। वर्तमान में, भारत में 42 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित श्रेणियाँ शामिल हैं, जो भावी पीढ़ियों के लिए देश की अनूठी पहचान और इतिहास को सुरक्षित रखने में सहायक हैं।