भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम डॉ. विक्रम साराभाई के उस दूरदर्शी दर्शन पर आधारित है जिसमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग राष्ट्र के विकास और आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। इसरो ने स्वदेशी उपग्रह और प्रक्षेपण यान विकसित करके आत्मनिर्भरता हासिल की है, और संचार, मौसम विज्ञान, कृषि एवं आपदा प्रबंधन जैसी सेवाओं के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। चंद्रयान और मंगलयान जैसे मिशनों ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भी स्थापित किया है।
भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) 2013 में लॉन्च किया गया एक ऐतिहासिक अभियान था जिसका उद्देश्य मंगल ग्रह का अध्ययन करना था। यह मिशन 2014 में अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करने वाला दुनिया का पहला मिशन बना, जिसने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर एक विशिष्ट स्थान दिलाया। इसकी असाधारण लागत-दक्षता ने भी इसे एक अद्वितीय उपलब्धि बना दिया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी स्थापना के बाद से स्वदेशी लॉन्च वाहन और उपग्रह प्रौद्योगिकी विकसित करके देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत किया है। इसरो ने चंद्रयान-1, मंगलयान और चंद्रयान-3 जैसे ऐतिहासिक मिशनों के माध्यम से वैज्ञानिक अन्वेषण में वैश्विक पहचान बनाई है, साथ ही संचार, पृथ्वी अवलोकन और नौवहन उपग्रहों के माध्यम से भारत की सामाजिक-आर्थिक उन्नति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन (गगनयान) और अंतरग्रहीय अन्वेषण (शुक्रयान, आदित्य-एल1) के साथ, भारत एक प्रमुख वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है।