भारत के मंगलयान मिशन (मंगल ऑर्बिटर मिशन) की सबसे बड़ी विशिष्ट उपलब्धि क्या थी, जिसने इसे वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक ऐतिहासिक मिशन के रूप में स्थापित किया?
Answer: भारत के मंगलयान मिशन की सबसे बड़ी विशिष्ट उपलब्धि यह थी कि यह मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया जिसने अपने पहले ही प्रयास में यह सफलता हासिल की। इसके साथ ही, यह मिशन अपनी अत्यधिक लागत-दक्षता (सबसे कम लागत वाले मंगल मिशनों में से एक) के लिए भी जाना जाता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी स्थापना के बाद से ही भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी स्थापना 1969 में हुई थी और इसका मूल उद्देश्य राष्ट्र के विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना था। संचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और रिमोट सेंसिंग जैसे क्षेत्रों में इसरो ने कई उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों का सफल विकास किया है।भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM), जिसे आमतौर पर मंगलयान के नाम से जाना जाता है, 5 नवंबर 2013 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C25) द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, उसके वातावरण की संरचना और मीथेन गैस की उपस्थिति का अध्ययन करना था, जो जीवन के संभावित संकेतों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तत्व है।मंगलयान ने 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया, जिससे भारत अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी, क्योंकि इससे पहले किसी भी देश या अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने पहले प्रयास में यह सफलता हासिल नहीं की थी। इस मिशन की एक और उल्लेखनीय विशेषता इसकी असाधारण लागत-दक्षता थी, जिसे हॉलीवुड की कई फिल्मों के बजट से भी कम लागत में पूरा किया गया था, जिसने वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय को चकित कर दिया।मंगलयान की सफलता ने भारत को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया जिनके पास मंगल पर अंतरिक्ष यान भेजने की क्षमता है। इसने न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन किया, बल्कि देश के युवाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में करियर बनाने के लिए भी प्रेरित किया। यह मिशन इसरो के लिए भविष्य के अंतरग्रहीय अभियानों का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक सिद्ध हुआ, और इसने भारत की वैश्विक वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को भी बढ़ाया।
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