भारतीय रेलवे ने 1853 में अपनी शुरुआत के बाद से देश के सामाजिक-आर्थिक एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ब्रिटिश औपनिवेशिक उद्देश्यों से हटकर एक राष्ट्रीय जीवनरेखा के रूप में विकसित हुई है। यह यात्रियों और माल के लिए किफायती परिवहन प्रदान करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है, लेकिन पुरानी अवसंरचना जैसी चुनौतियों का भी सामना करती है। भविष्य में, रेलवे विद्युतीकरण, समर्पित माल ढुलाई गलियारों, उच्च गति वाली ट्रेनों (वंदे भारत, बुलेट ट्रेन) और यात्री सुविधाओं के आधुनिकीकरण के माध्यम से अपनी दक्षता और क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित है।