भारत की नदियाँ, जिन्हें 'जीवन रेखा' कहा जाता है, देश के भौगोलिक, कृषि, आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देती हैं। हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियाँ दोनों ही सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन और सामाजिक-सांस्कृतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, प्रदूषण, अत्यधिक दोहन और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के कारण इनके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए इनका अस्तित्व सुनिश्चित किया जा सके।