Answer: 2002
धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act - PMLA) भारत में वित्तीय अपराधों के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कानूनी हथियार है। यह अधिनियम विशेष रूप से 'काले धन' को 'सफेद' करने की प्रक्रिया को रोकने और इससे निपटने के लिए बनाया गया है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा अपराध से प्राप्त आय को वैध स्रोतों से प्राप्त आय के रूप में दर्शाया जाता है, ताकि अपराध के मूल स्रोत को छिपाया जा सके। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है बल्कि आतंकवादी वित्तपोषण और अन्य गंभीर अपराधों को भी बढ़ावा देता है। PMLA का उद्देश्य ऐसे अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाना और देश की वित्तीय प्रणाली की अखंडता को बनाए रखना है।
भारत सरकार ने 2002 में धन शोधन निवारण अधिनियम को अधिनियमित किया था, हालांकि यह 1 जुलाई 2005 को पूरी तरह से लागू हुआ। इस अधिनियम को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं, विशेष रूप से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सिफारिशों का पालन करने के लिए लाया गया था। FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए नीतियां विकसित करता है। PMLA का प्राथमिक उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को परिभाषित करना, इसे एक अपराध घोषित करना, मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त संपत्ति को जब्त करना और ऐसे अपराधों में शामिल व्यक्तियों को दंडित करना है। यह सुनिश्चित करता है कि अपराधियों को अपनी अवैध कमाई का आनंद न लेने दिया जाए।
अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय से संबंधित किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल होता है, या जानबूझकर उसमें सहायता करता है, या उसे छिपाने, प्राप्त करने, रखने या उपयोग करने का प्रयास करता है, तो उसे मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध करने वाला माना जाएगा। यह परिभाषा बेहद व्यापक है और इसमें अपराध से उत्पन्न संपत्ति को वैध दिखाने के लिए किए गए सभी प्रकार के कृत्य शामिल हैं। इसमें न केवल वास्तविक धन का हस्तांतरण शामिल है, बल्कि ऐसी संपत्ति को संपत्ति, शेयरों या अन्य वित्तीय साधनों में बदलने की प्रक्रिया भी शामिल है। इसका मतलब है कि अवैध स्रोतों से उत्पन्न संपत्ति को किसी भी रूप में बदलने का प्रयास मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में आता है।
PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध एक गंभीर अपराध है। अधिनियम में 'अनुसूचित अपराधों' (Predicate Offences) की एक सूची दी गई है। ये वे अपराध हैं जिनसे उत्पन्न आय को मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा माना जाता है। इन अनुसूचित अपराधों में नारकोटिक्स, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, नकली मुद्रा, आतंकवाद, अपहरण, हथियारों की तस्करी और अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं। यदि कोई व्यक्ति इन अनुसूचित अपराधों से आय प्राप्त करता है और उसे वैध दिखाने का प्रयास करता है, तो उस पर PMLA के तहत कार्रवाई की जा सकती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अनुसूचित अपराध स्वयं PMLA के तहत नहीं, बल्कि संबंधित अधिनियमों (जैसे NDPS एक्ट, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम आदि) के तहत अभियोजित होते हैं, लेकिन उनसे उत्पन्न आय का शोधन PMLA के तहत आता है।
PMLA के प्रवर्तन के लिए मुख्य एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) है। ED को PMLA के तहत व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। इसमें जांच शुरू करने, संदिग्धों को समन जारी करने, पूछताछ करने, बयान दर्ज करने, तलाशी और जब्ती (Search and Seizure) करने, और यहां तक कि व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की शक्तियाँ शामिल हैं। ED के पास मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी संपत्ति को अनंतिम रूप से संलग्न (प्रोविज़नल अटैचमेंट) करने की भी शक्ति है, जिसका अर्थ है कि वे उस संपत्ति को जब्त कर सकते हैं ताकि उसे स्थानांतरित या बेचा न जा सके। ये शक्तियां PMLA के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, लेकिन इनकी व्यापकता को लेकर कई बार चिंताएं भी व्यक्त की गई हैं।
जब ED को यह विश्वास होता है कि कोई संपत्ति मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त हुई है, तो वे उसे अनंतिम रूप से संलग्न कर सकते हैं। इस अनंतिम अटैचमेंट की अधिकतम अवधि 180 दिन होती है। इस अवधि के भीतर, ED को इस मामले को निर्णायक प्राधिकारी (Adjudicating Authority) के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। निर्णायक प्राधिकारी एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जो यह निर्धारित करता है कि संपत्ति वास्तव में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी है या नहीं। यदि निर्णायक प्राधिकारी इस बात से सहमत होता है कि संपत्ति अपराध की आय है, तो वह अटैचमेंट की पुष्टि करता है, जिसके बाद संपत्ति को 90 दिनों के भीतर जब्त (confiscate) किया जा सकता है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को अंतिम रूप से सरकारी कब्जे में लिया जा सके।
निर्णायक प्राधिकारी PMLA के तहत एक महत्वपूर्ण निकाय है। इसका कार्य ED द्वारा किए गए अनंतिम अटैचमेंट के आदेशों की वैधता की समीक्षा करना है। यह सुनिश्चित करता है कि अटैचमेंट वैध आधारों पर किया गया है। यदि कोई व्यक्ति निर्णायक प्राधिकारी के आदेश से संतुष्ट नहीं होता है, तो वह अपीलीय न्यायाधिकरण (Appellate Tribunal) में अपील कर सकता है। अपीलीय न्यायाधिकरण PMLA के तहत गठित एक उच्च निकाय है जो निर्णायक प्राधिकारी के आदेशों के खिलाफ अपील सुनता है। इन निकायों की स्थापना यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि व्यक्तियों के अधिकारों का भी ध्यान रखा जाए, जबकि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
PMLA के तहत, कुछ संस्थाओं को 'रिपोर्टिंग संस्थाएँ' (Reporting Entities) के रूप में नामित किया गया है। इनमें बैंक, वित्तीय संस्थान, बीमा कंपनियाँ, स्टॉक ब्रोकर और यहां तक कि कुछ रियल एस्टेट एजेंट और रत्न एवं आभूषण व्यापारी भी शामिल हैं। इन संस्थाओं पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां डाली गई हैं, जैसे: अपने ग्राहकों की पहचान सत्यापित करना (KYC - Know Your Customer), सभी बड़े और संदिग्ध वित्तीय लेनदेन का रिकॉर्ड रखना, और संदिग्ध लेनदेन की जानकारी (Suspicious Transaction Reports - STR) और नकदी लेनदेन रिपोर्ट (Cash Transaction Reports - CTR) वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (Financial Intelligence Unit-India – FIU-IND) को देना। ये प्रावधान वित्तीय प्रणाली को मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक माध्यम के रूप में उपयोग होने से रोकने में मदद करते हैं और जांच एजेंसियों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
PMLA के तहत, मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में 'साबित करने का भार' (Burden of Proof) आरोपी व्यक्ति पर हो सकता है कि वह संपत्ति वैध स्रोतों से अर्जित की गई है। यह सामान्य आपराधिक कानून से थोड़ा अलग है, जहां अभियोजन पक्ष को अपराध साबित करना होता है। यह प्रावधान मनी लॉन्ड्रिंग की जटिल प्रकृति को देखते हुए रखा गया है, जहां अपराधियों के लिए अपनी अवैध कमाई को छिपाना आसान होता है। PMLA के तहत अपराध के लिए न्यूनतम तीन साल की कैद और अधिकतम सात साल की कैद का प्रावधान है, साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यदि मनी लॉन्ड्रिंग नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS एक्ट) से संबंधित है, तो सजा दस साल तक बढ़ सकती है।
PMLA में इसके अधिनियमन के बाद से कई संशोधन किए गए हैं ताकि इसे और अधिक प्रभावी बनाया जा सके और बदलती वित्तीय अपराध की प्रकृति से निपटा जा सके। 2005 में पहला संशोधन किया गया, जिसने अनुसूचित अपराधों की सूची का विस्तार किया और 'रिपोर्टिंग संस्थाओं' की परिभाषा में कुछ और संस्थाओं को जोड़ा। 2009 में दूसरा संशोधन आया, जिसने धन शोधन को एक गंभीर अपराध (cognizable and non-bailable) बना दिया। इन संशोधनों ने ED की शक्तियों को मजबूत किया और अधिनियम के दायरे को विस्तृत किया, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई करना और अधिक प्रभावी हो गया।
2012 में एक और महत्वपूर्ण संशोधन किया गया, जिसने PMLA के दायरे को काफी बढ़ाया। इस संशोधन ने 'अनुसूचित अपराधों' की सूची में कई नए अपराध जोड़े, जिनमें पर्यावरण अपराध और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी भी शामिल थे। इसने 'क्रॉस-बॉर्डर मनी लॉन्ड्रिंग' से निपटने के लिए भी प्रावधान किए और विदेशी देशों में स्थित संपत्तियों को संलग्न करने की शक्ति ED को दी। 2012 के संशोधन ने PMLA को अंतरराष्ट्रीय मानकों के और करीब ला दिया और भारत को वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ लड़ाई में एक मजबूत भागीदार के रूप में स्थापित किया। इसने अपराध की आय की परिभाषा को भी स्पष्ट किया, जिसमें न केवल मूल अपराध से प्रत्यक्ष आय शामिल थी, बल्कि ऐसी आय से प्राप्त किसी भी संपत्ति का मूल्य भी शामिल था।
सबसे हालिया और व्यापक संशोधन 2019 में किए गए, जिन्होंने PMLA को और भी कठोर बनाया। इन संशोधनों ने मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा को और विस्तृत किया, जिसमें अपराध से प्राप्त आय को वैध बनाने के किसी भी प्रयास को शामिल किया गया। इसने ED को बिना FIR दर्ज किए भी जांच शुरू करने की शक्ति दी, बशर्ते उनके पास विश्वसनीय जानकारी हो। इसके अलावा, इन संशोधनों ने PMLA के तहत 'अपराध की आय' की परिभाषा को और व्यापक बना दिया, जिसमें ऐसी संपत्ति भी शामिल है जो सीधे अपराध से नहीं, बल्कि किसी अन्य संपत्ति के रूपांतरण से प्राप्त हुई हो। इसने व्यक्तियों, फर्मों और कंपनियों को PMLA के दायरे में लाते हुए 'व्यक्ति' की परिभाषा का भी विस्तार किया।
PMLA का उपयोग न केवल आर्थिक अपराधों बल्कि आतंकवाद के वित्तपोषण और नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ लड़ाई में भी एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में किया जाता है। आतंकवादी संगठन अक्सर अपनी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और उसे स्थानांतरित करने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग तकनीकों का उपयोग करते हैं। PMLA के तहत, यदि किसी आतंकवादी गतिविधि से संबंधित धन को वैध दिखाने का प्रयास किया जाता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। इसी तरह, नशीले पदार्थों की बिक्री से होने वाली आय को छिपाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। PMLA इन दोनों ही क्षेत्रों में अपराधियों को उनके अवैध धन का उपयोग करने से रोककर उनकी कमर तोड़ने में मदद करता है।
मनी लॉन्ड्रिंग एक वैश्विक समस्या है और इससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। PMLA भारतीय अधिकारियों को विदेशी सरकारों और एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देता है ताकि सीमा पार मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच की जा सके और अपराधियों को ट्रैक किया जा सके। इसमें जानकारी साझा करना, संपत्ति को जब्त करना और प्रत्यार्पण (extradition) जैसे उपाय शामिल हैं। भारत कई अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों का भी हस्ताक्षरकर्ता है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग PMLA को वैश्विक वित्तीय अपराधों से निपटने में एक प्रभावी उपकरण बनाता है।
PMLA को अपने व्यापक दायरे और ED की असाधारण शक्तियों के कारण कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। आलोचकों का तर्क है कि ED को दी गई शक्तियां, जैसे कि बिना FIR के जांच शुरू करने की क्षमता, मनमानी गिरफ्तारी, और साबित करने के भार को आरोपी पर डालना, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों का उल्लंघन कर सकती हैं। इसके अलावा, कई मामलों में अटैचमेंट की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है, जिससे निर्दोष व्यक्तियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। PMLA के तहत दोषसिद्धि की दर (conviction rate) भी अपेक्षाकृत कम रही है, जो अधिनियम की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है।
इन चुनौतियों और आलोचनाओं के बावजूद, PMLA भारत की वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित रखने और गंभीर अपराधों, जैसे भ्रष्टाचार, आतंकवाद और नशीली दवाओं की तस्करी से उत्पन्न अवैध धन पर नकेल कसने में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है। यह अधिनियम भारत को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मानकों के अनुरूप भी रखता है और वैश्विक वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करता है। PMLA का लक्ष्य केवल अपराधियों को दंडित करना नहीं, बल्कि उन्हें अपनी अवैध कमाई का आनंद लेने से रोकना है, जिससे अपराध करना कम आकर्षक हो जाए।
क्या PMLA के तहत ED की व्यापक शक्तियाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच एक उचित संतुलन बनाती हैं, या उनमें और सुधार की आवश्यकता है?