Answer: पैनथिऑन का निर्माण मूल रूप से सभी देवताओं (पैन = सभी, थिओस = देवता) के सम्मान में किया गया था। यह संरचना अपने विशाल, बिना सपोर्ट वाले गुंबद (dome) के लिए जानी जाती है, जो प्राचीन वास्तुकला की एक असाधारण उपलब्धि है।
रोमन साम्राज्य, जिसने भूमध्य सागर के आसपास के विशाल क्षेत्रों पर हजारों वर्षों तक शासन किया, अपनी अभूतपूर्व वास्तुकला, इंजीनियरिंग, कानून और प्रशासनिक प्रणालियों के लिए विख्यात है। इस साम्राज्य की सबसे स्थायी विरासतों में से एक इसकी गगनचुंबी इमारतों, मंदिरों और सार्वजनिक भवनों का निर्माण है, जिन्होंने सदियों तक पश्चिमी सभ्यता को प्रभावित किया। रोमन वास्तुकला अपनी विशालता, व्यावहारिकता और भव्यता के लिए जानी जाती है, और ऐसे कई संरचनात्मक नवाचार थे जिन्होंने उन्हें संभव बनाया। इनमें से एक सबसे प्रतिष्ठित और वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपलब्धि 'पैनथिऑन' है, जो रोम शहर में स्थित है।
पैनथिऑन का अर्थ ग्रीक भाषा के 'पैन' (सभी) और 'थिओस' (देवता) शब्दों से मिलकर बना है, जिसका सीधा अर्थ है 'सभी देवताओं का मंदिर'। इस संरचना का निर्माण मूल रूप से रोमन पैगान धर्म के सभी देवताओं को समर्पित एक मंदिर के रूप में किया गया था। इसका वर्तमान रूप सम्राट हैड्रियन के शासनकाल (117-138 ईस्वी) के दौरान बनाया गया था, जो संभवतः पहले के ऑगस्टस-युग के पैनथिऑन की जगह पर था। यह माना जाता है कि यह मूल निर्माण, संभवतः मार्कस विप्सानियस एग्रीप्पा द्वारा 27 ईसा पूर्व के आसपास शुरू किया गया था, एक आग में नष्ट हो गया था। हैड्रियन का पैनथिऑन 126 ईस्वी में पूरा हुआ था, जैसा कि प्रवेश द्वार के ऊपर लगे शिलालेख से पता चलता है, जो एग्रीप्पा को श्रेय देता है, हालांकि यह हैड्रियन की एक बड़ी परियोजना थी।
पैनथिऑन की सबसे विस्मयकारी विशेषता इसका विशाल गुंबद है। यह रोमन वास्तुकला के सबसे बड़े अछूते कंक्रीट गुंबदों में से एक है और अपने निर्माण के समय से लेकर 19वीं सदी तक दुनिया का सबसे बड़ा गुंबद बना रहा। इस गुंबद की व्यास 43.3 मीटर (142 फीट) है, और इसकी ऊंचाई भी उतनी ही है, जिससे एक पूर्ण गोलाकार आंतरिक स्थान बनता है। यह अकल्पनीय रूप से तब हासिल किया गया था जब रोमन इंजीनियरों ने कंक्रीट की विभिन्न घनत्वों का उपयोग किया था - भारी सामग्री (जैसे ट्रैवर्टीन) दीवारों के आधार पर और हल्की सामग्री (जैसे प्यूमिस) छत के करीब। गुंबद की मोटाई भी बदलती रहती है, जो किनारों पर पतली और केंद्र में मोटी होती जाती है।
गुंबद के केंद्र में 'ओकुलस' (लैटिन में 'आँख') नामक एक खुला गोल छेद है, जिसका व्यास लगभग 9 मीटर (30 फीट) है। यह ओकुलस गुंबद का एकमात्र प्राकृतिक प्रकाश स्रोत है और यह एक आश्चर्यजनक प्रभाव पैदा करता है, जैसे कि आकाश को सीधे मंदिर के भीतर से देखा जा सकता हो। यह न केवल प्रकाश प्रदान करता है, बल्कि संरचना के वजन को कम करने में भी मदद करता है। ओकुलस के माध्यम से सूर्य की किरणें दिन के अलग-अलग समय में मंदिर के अंदर के विभिन्न हिस्सों को प्रकाशित करती हैं, जिससे एक गतिशील और आध्यात्मिक वातावरण बनता है। वर्षा होने पर, बारिश सीधे अंदर गिरती है, और इसे एक ढलान वाले फर्श और जल निकासी प्रणालियों के माध्यम से प्रबंधित किया जाता है।
पैनथिऑन की वास्तुकला का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसका पोर्टिको (सामने का बरामदा) है। यह 16 विशाल कोरिंथियन स्तंभों से सुसज्जित है, जिनमें से प्रत्येक को एक ही ग्रेनाइट ब्लॉक से तराशा गया है। ये स्तंभ प्राचीन दुनिया की इंजीनियरिंग क्षमता को दर्शाते हैं, क्योंकि इतने बड़े पत्थरों को निकालना, परिवहन करना और खड़ा करना एक अत्यंत कठिन कार्य रहा होगा। पोर्टिको का त्रिभुजाकार गैबल, जो अब खाली है, मूल रूप से कांसे के एक विशाल प्रतीक से सजाया गया था, जो संभवतः ज्यूस का एक बड़ा बाज था।
पैनथिऑन की आंतरिक सज्जा भी उतनी ही शानदार है। इसकी गोल दीवारों में निचे (alcoves) हैं, जिनमें से कुछ को मूल रूप से रोमन देवताओं की मूर्तियों से सजाया गया था। आज, इन निचे में से अधिकांश को ईसाई कब्रों के लिए उपयोग किया जाता है, क्योंकि पैनथिऑन को 609 ईस्वी में एक कैथोलिक चर्च, 'सेंट मैरी एंड द मार्टियर्स' (Sancta Maria ad Martyres) के रूप में पवित्रा किया गया था। यह रूपांतरण एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी, जिसने इस प्राचीन संरचना को विनाश से बचाया और इसे आज भी एक सक्रिय पूजा स्थल बनाए रखा है।
कई रोमन सम्राटों और प्रसिद्ध इटालियंस की कब्रें भी पैनथिऑन में स्थित हैं, जिनमें चित्रकार राफेल और राजा विटोरियो इमानुएल द्वितीय और हम्बर्ट प्रथम शामिल हैं। यह संरचना रोम के इतिहास का एक जीवंत स्मारक है, जो प्राचीन रोमन धर्म से लेकर मध्ययुगीन ईसाई धर्म और आधुनिक इटली तक के परिवर्तन को दर्शाती है। पैनथिऑन की वास्तुकला ने पुनर्जागरण काल की वास्तुकला पर गहरा प्रभाव डाला, और दुनिया भर में कई बाद की इमारतों, जैसे कि कैथेड्रल और सरकारी भवनों में इसके गुंबद और डिजाइन तत्वों को दोहराया गया है।
पैनथिऑन की इंजीनियरिंग और सौंदर्यशास्त्र का संयोजन इसे प्राचीन दुनिया की सबसे प्रभावशाली और स्थायी वास्तुकला कृतियों में से एक बनाता है। इसकी सटीकता, विशालता और नवीनता आज भी वास्तुकारों, इंजीनियरों और पर्यटकों को समान रूप से चकित करती है। यह संरचना हमें रोमन साम्राज्य की तकनीकी प्रगति, उनकी कलात्मक दृष्टि और उनकी सांस्कृतिक विरासत की गहराई की एक झलक प्रदान करती है। यह केवल एक इमारत नहीं है, बल्कि इतिहास, वास्तुकला और मानव सरलता का एक प्रमाण है।
इसके निर्माण और नवाचारों के अलावा, पैनथिऑन की निरंतर प्रासंगिकता और उपयोगिता रोमन लोगों की दूरदर्शिता को दर्शाती है। यह एक ऐसी संरचना है जिसने समय की कसौटी पर खरा उतरा है और आज भी दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है। क्या हम आज भी इसी तरह की स्थायी और प्रेरणादायक संरचनाएँ बनाने में सक्षम हैं जो आने वाली सदियों तक टिकी रहेंगी?