Answer: प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) का परिमाण, चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है।
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण, भौतिकी का एक अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसने आधुनिक तकनीक की नींव रखी है। इस सिद्धांत का श्रेय महान वैज्ञानिक माइकल फैराडे को जाता है, जिन्होंने 19वीं शताब्दी में इसके मूलभूत नियमों की खोज की थी। फैराडे के प्रयोगों और निष्कर्षों ने विद्युत और चुम्बकत्व के बीच गहरे संबंध को उजागर किया, और यह दिखाया कि कैसे एक बदलते हुए चुम्बकीय क्षेत्र से विद्युत धारा उत्पन्न की जा सकती है। यह प्रेरण ही है जो जनरेटर, ट्रांसफार्मर और अनगिनत अन्य विद्युत उपकरणों के संचालन का आधार है।
फैराडे का पहला नियम, जिसे विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का नियम भी कहा जाता है, बताता है कि जब किसी परिपथ से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है, तो उस परिपथ में एक विद्युत वाहक बल (EMF) प्रेरित होता है। यह प्रेरित EMF तब तक बना रहता है जब तक चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन जारी रहता है। चुम्बकीय फ्लक्स, किसी दिए गए क्षेत्र से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की कुल संख्या का माप है। जब चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता, क्षेत्र का क्षेत्रफल, या उनके बीच का कोण बदलता है, तो चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है।
फैराडे का दूसरा नियम, जो प्रेरित EMF के परिमाण से संबंधित है, कहता है कि प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) का परिमाण, चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है। गणितीय रूप से, इसे E = -N (dΦ/dt) के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ E प्रेरित EMF है, N परिपथ में फेरों की संख्या है (यदि वह एक कुंडली है), और dΦ/dt चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर है। ऋणात्मक चिह्न लेन्ज़ के नियम से आता है, जो बताता है कि प्रेरित धारा की दिशा ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिसके कारण वह उत्पन्न हुई है।
चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन कई तरीकों से हो सकता है। पहला तरीका है, चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता को बदलना। उदाहरण के लिए, यदि हम एक स्थायी चुम्बक को एक कुंडली के पास ले जाते हैं या दूर ले जाते हैं, तो कुंडली से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स बदलता है और EMF प्रेरित होता है। दूसरा तरीका है, कुंडली या उस क्षेत्र का क्षेत्रफल बदलना जिससे चुम्बकीय क्षेत्र गुजर रहा है। यदि कुंडली को सिकुड़ा या फैलाया जाए, तो फ्लक्स बदलेगा। तीसरा तरीका है, चुम्बकीय क्षेत्र और कुंडली के तल के बीच के कोण को बदलना। यदि कुंडली को घुमाया जाता है, तो फ्लक्स में परिवर्तन होगा।
जनरेटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर ही काम करते हैं। इनमें एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक कुंडली होती है। जब कुंडली को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है, तो कुंडली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है। इस परिवर्तन के कारण कुंडली में विद्युत वाहक बल और फलस्वरूप विद्युत धारा प्रेरित होती है। पंखे, मिक्सर, बिजली के मोटर और अन्य घरेलू उपकरण जो बिजली से चलते हैं, वे कहीं न कहीं इसी सिद्धांत के विभिन्न अनुप्रयोगों पर आधारित हैं।
ट्रांसफार्मर भी विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। ट्रांसफार्मर का उपयोग प्रत्यावर्ती धारा (AC) वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए किया जाता है। एक ट्रांसफार्मर में दो कुंडलियाँ होती हैं: प्राथमिक कुंडली और द्वितीयक कुंडली। जब प्राथमिक कुंडली में एक प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसके चारों ओर एक बदलता हुआ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह बदलता हुआ चुम्बकीय क्षेत्र, लोहे के कोर के माध्यम से द्वितीयक कुंडली तक पहुंचता है और उसमें एक प्रत्यावर्ती EMF प्रेरित करता है। कुंडलियों में फेरों की संख्या के अनुपात के आधार पर वोल्टेज को बदला जा सकता है।
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का सिद्धांत केवल बड़े पैमाने के उपकरणों तक ही सीमित नहीं है। यह हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली कई छोटी-छोटी तकनीकों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, इंडक्शन कुकटॉप्स, वायरलेस चार्जिंग और यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक टैग (RFID) भी इसी सिद्धांत पर काम करते हैं। इंडक्शन कुकटॉप्स में, एक प्रत्यावर्ती धारा एक कॉइल से गुजरती है, जो सीधे बर्तन के नीचे एक बदलता हुआ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह बदलता हुआ चुम्बकीय क्षेत्र, बर्तन के धातु में भंवर धाराएं (eddy currents) प्रेरित करता है, जिससे बर्तन गर्म होता है।
वायरलेस चार्जिंग में, एक ट्रांसमीटर कॉइल और एक रिसीवर कॉइल के बीच विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का उपयोग किया जाता है। ट्रांसमीटर कॉइल में उत्पन्न बदलता हुआ चुम्बकीय क्षेत्र, रिसीवर कॉइल में EMF प्रेरित करता है, जो फिर बैटरी को चार्ज करता है। RFID टैग में, एक रीडर डिवाइस एक रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। जब RFID टैग इस क्षेत्र में आता है, तो उसमें एक धारा प्रेरित होती है, जो टैग को सक्रिय करती है और अपनी जानकारी को रीडर तक वापस प्रसारित करती है।
मैक्सवेल के समीकरणों ने विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सहित विद्युत चुम्बकत्व के सभी नियमों को एकीकृत किया। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने फैराडे के नियमों और अन्य विद्युत चुम्बकीय अवलोकनों को गणितीय रूप में व्यक्त किया, जिससे विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी हुई, जो प्रकाश की गति से यात्रा करती हैं। यह एक क्रांतिकारी कदम था जिसने विद्युत चुम्बकत्व को एक एकीकृत सिद्धांत के रूप में स्थापित किया।
आज, विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का सिद्धांत सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, चिकित्सा और ऊर्जा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसकी समझ हमें नए और अधिक कुशल उपकरणों को डिजाइन करने और मौजूदा तकनीकों में सुधार करने में मदद करती है। यह सिद्धांत हमें प्रकृति के उन मूलभूत नियमों की याद दिलाता है जो हमारे ब्रह्मांड को नियंत्रित करते हैं और जिन्होंने मानव सभ्यता को अभूतपूर्व रूप से बदल दिया है। क्या आप सोच सकते हैं कि बिना विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के आधुनिक दुनिया कैसी दिखती?