Answer: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के निर्माण में पाँच प्रमुख भागीदार देश संयुक्त राज्य अमेरिका (NASA), रूस (Roscosmos), जापान (JAXA), कनाडा (CSA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) हैं।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मानव इतिहास की सबसे महत्वाकांक्षी और जटिल वैज्ञानिक परियोजनाओं में से एक है। यह एक विशाल, बहुराष्ट्रीय प्रयोगशाला है जो पृथ्वी की निचली कक्षा में घूमती है। ISS सिर्फ एक वैज्ञानिक उपकरण से कहीं अधिक है; यह देशों के बीच सहयोग, कूटनीति और साझा लक्ष्यों का एक प्रतीक है। इसका निर्माण और संचालन दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है, जो साबित करता है कि मानवता एक साथ मिलकर अभूतपूर्व सफलता हासिल कर सकती है।
ISS का विचार शीत युद्ध के बाद के युग में अंतरिक्ष में सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए उत्पन्न हुआ था। 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 'स्पेस स्टेशन फ्रीडम' नामक एक परियोजना का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, इस परियोजना को महत्वपूर्ण वित्तीय और राजनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ा। इसी समय, सोवियत संघ (बाद में रूस) के पास अपना स्वयं का 'मीर' अंतरिक्ष स्टेशन था, जो सफलतापूर्वक संचालित हो रहा था। शीत युद्ध के अंत ने इन दोनों महाशक्तियों के बीच सहयोग के द्वार खोल दिए।
1993 में, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस ने स्पेस स्टेशन फ्रीडम को 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन' (ISS) में विलय करने पर सहमति व्यक्त की। इस ऐतिहासिक समझौते ने अंतरिक्ष स्टेशन के डिजाइन, निर्माण और संचालन में अन्य देशों को भी शामिल करने का मार्ग प्रशस्त किया। कनाडा, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सदस्य देशों ने जल्दी ही इस मेगा-प्रोजेक्ट में भाग लेने की अपनी इच्छा व्यक्त की। इस प्रकार, ISS का वर्तमान स्वरूप पाँच प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों - NASA (USA), Roscosmos (Russia), JAXA (Japan), CSA (Canada) और ESA (Europe) - के संयुक्त प्रयासों से साकार हुआ।
प्रत्येक भागीदार देश ने ISS के निर्माण में अपनी विशिष्ट विशेषज्ञता और योगदान दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका, सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक होने के नाते, ISS के कई प्रमुख मॉड्यूल, जैसे कि 'नोड 1' (Unity), 'नोड 2' (Harmony), 'नोड 3' (Tranquility), और 'लिविंग स्पेस' मॉड्यूल का निर्माण किया। NASA ने स्टेशन के पावर जनरेशन सिस्टम, जीवन समर्थन प्रणालियों और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अमेरिकी स्पेस शटल कार्यक्रम ने ISS के प्रारंभिक निर्माण चरणों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों और कार्गो को स्टेशन तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जब तक कि इसका संचालन बंद नहीं हो गया।
रूस का योगदान भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। रूस ने ISS के पहले कोर मॉड्यूल, 'ज़रिया' (Zarya) और 'ज़ेज़्दा' (Zvezda) मॉड्यूल का निर्माण और लॉन्च किया, जो स्टेशन की प्रारंभिक संरचना और जीवन समर्थन प्रणालियों के आधार बने। रूसी सेगमेंट, जो स्टेशन का एक बड़ा हिस्सा है, में मुख्य रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान, जीवन समर्थन और डॉकिंग पोर्ट की व्यवस्था शामिल है। रूस ने ISS के लिए अंतरिक्ष यान और लॉजिस्टिक्स प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से अमेरिकी शटल कार्यक्रम के सेवानिवृत्त होने के बाद, Soyuz अंतरिक्ष यान का उपयोग स्टेशन तक चालक दल को पहुंचाने के लिए किया जाता रहा है।
जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने ISS के लिए 'कIBO' (एकॉमिनेशन फेसिलिटी) मॉड्यूल का निर्माण किया, जो स्टेशन का सबसे बड़ा एकल-ऑपरेटेड मॉड्यूल है। KIBO में दो खंड हैं: एक प्रेशरइज्ड मॉड्यूल और एक बाहरी एक्सपोज्ड फैसिलिटी, जहां प्रयोगों को सीधे अंतरिक्ष के निर्वात में रखा जा सकता है। KIBO का नाम जापानी भाषा में 'आशा' के लिए रखा गया है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में जापान के योगदान की आशावादी भावना को दर्शाता है। JAXA ने रोबोटिक आर्म्स (जैसे कि JEM RMS) भी प्रदान किए हैं जो KIBO और ISS के अन्य हिस्सों में विभिन्न कार्यों में सहायता करते हैं।
कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) ने ISS के लिए 'कनाडाई आर्म 2' (Canadarm2) प्रदान किया है, जो एक अत्यंत कुशल रोबोटिक आर्म है। Canadarm2 ISS के निर्माण, रखरखाव और संचालन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर के काम (EVA) के दौरान सहायता प्रदान करता है, उपकरण और कार्गो को संभालता है, और यहां तक कि अंतरिक्ष यान को पकड़ने और डॉक करने में भी मदद करता है। Canadarm2 को 'डेक्सट्रे' (Dextre) नामक एक छोटे रोबोटिक मैनिपुलेटर के साथ भी जोड़ा जा सकता है, जो अधिक जटिल कार्यों को करने में सक्षम है।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), जिसमें 22 सदस्य देश शामिल हैं, ने ISS में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ESA ने 'कोलंबस' (Columbus) मॉड्यूल का निर्माण किया, जो यूरोप का पहला स्थायी अंतरिक्ष प्रयोगशाला है। कोलंबस मॉड्यूल वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान करता है, विशेष रूप से माइक्रोग्रैविटी में भौतिकी, मानव जीव विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन जैसे क्षेत्रों में। ESA ने स्वचालित ट्रांसफर व्हीकल (ATV) का भी विकास और संचालन किया, जो ISS के लिए कार्गो, ईंधन और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए एक स्वचालित सर्विस मॉड्यूल था।
इन पांच प्रमुख भागीदारों के अलावा, अन्य देश भी ISS के संचालन और अनुसंधान में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, NASA और ESA के बीच एक समझौता है जिसके तहत ESA अपने कोलंबस मॉड्यूल में अमेरिकी प्रयोगों को होस्ट करता है, और NASA अपने स्टेशन पर ESA के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उड़ानें प्रदान करता है। इसी तरह, अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्री भी ISS पर मिशन पर जाते हैं, जिससे विभिन्न संस्कृतियों और देशों के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है।
ISS का निर्माण 1998 में शुरू हुआ और 2011 तक मुख्य रूप से पूरा हो गया। हालांकि, स्टेशन के मॉड्यूल और सिस्टम का लगातार उन्नयन और रखरखाव किया जाता रहा है। ISS को एक मल्टी-पर्पस लेबोरेटरी के रूप में डिजाइन किया गया था, जहां वैज्ञानिक माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का अध्ययन करते हैं, जो पृथ्वी पर संभव नहीं है। यहां किए गए अनुसंधान ने चिकित्सा, सामग्री विज्ञान, भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान और खगोल विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। ISS पर किए गए प्रयोगों से यह समझने में मदद मिलती है कि मानव शरीर लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों के लिए कैसे अनुकूलित होता है, जो मंगल जैसे ग्रहों पर भविष्य की यात्राओं के लिए आवश्यक है।
ISS का संचालन अभूतपूर्व लॉजिस्टिक्स और समन्वय की मांग करता है। हर साल, कई कार्गो मिशन स्टेशन पर आवश्यक आपूर्ति, वैज्ञानिक उपकरण और मरम्मत के पुर्जे पहुंचाते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को स्टेशन पर बनाए रखने के लिए निरंतर जीवन समर्थन प्रणालियों, भोजन, पानी और हवा की आपूर्ति की आवश्यकता होती है। ISS के रखरखाव में नियमित अंतरिक्ष यान (EVAs) शामिल होते हैं, जहां अंतरिक्ष यात्री स्टेशन के बाहरी हिस्सों पर काम करते हैं, मरम्मत करते हैं और उन्नयन करते हैं। यह सब जटिलता और समन्वय इन पांच भागीदार देशों की विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता के बिना संभव नहीं था।
ISS का भविष्य भी कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों और वैज्ञानिक लक्ष्यों पर निर्भर करता है। वर्तमान में, ISS का संचालन 2030 तक जारी रहने की उम्मीद है, जिसके बाद इसे डी-ऑर्बिट करने की योजना है। इस दौरान, मानवता के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण और विज्ञान में इसके योगदान का मूल्यांकन महत्वपूर्ण होगा। ISS ने न केवल वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाया है, बल्कि इसने राष्ट्रों के बीच सहयोग के एक स्थायी मॉडल के रूप में भी कार्य किया है। यह मानवता की साझा उपलब्धियों का प्रतीक है, जो दर्शाती है कि जब हम मिलकर काम करते हैं तो हम क्या हासिल कर सकते हैं। क्या यह सहयोग भविष्य में और अधिक महत्वाकांक्षी अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए एक खाका प्रदान कर सकता है?