Answer: अवांछित या अप्रत्याशित आनुवंशिक परिवर्तन (ऑफ-टारगेट प्रभाव) और जर्मलाइन संपादन के दीर्घकालिक परिणाम, जो वंशानुगत हो सकते हैं।
CRISPR-Cas9, हाल के वर्षों में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी आविष्कारों में से एक है। यह एक शक्तिशाली जीन संपादन उपकरण है जो वैज्ञानिकों को डीएनए के विशिष्ट अनुक्रमों को सटीक रूप से काटने, संशोधित करने और बदलने की अनुमति देता है। इस तकनीक की अभूतपूर्व क्षमता ने आनुवंशिक रोगों के उपचार, फसलों में सुधार और जैविक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के नए रास्ते खोले हैं। हालांकि, इसकी शक्ति के साथ-साथ महत्वपूर्ण नैतिक दुविधाएं भी आती हैं, खासकर जब इसे मानव भ्रूण या जनन कोशिकाओं पर लागू किया जाता है।
CRISPR-Cas9 प्रणाली की शुरुआत प्रकृति से ही हुई है। यह वास्तव में जीवाणु और आर्किया में पाया जाने वाला एक रक्षा तंत्र है। जीवाणु इस प्रणाली का उपयोग वायरल डीएनए को पहचानने और उसे खंडित करके खुद को वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए करते हैं। CRISPR (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) डीएनए के छोटे, दोहराए जाने वाले अनुक्रम होते हैं, जिनके बीच में 'स्पेसर्स' होते हैं। ये स्पेसर्स पहले संक्रमित करने वाले वायरसों के डीएनए के टुकड़े होते हैं। जब कोई वायरस फिर से हमला करता है, तो जीवाणु इन स्पेसर्स का उपयोग करके वायरल डीएनए की पहचान करता है। Cas9 (CRISPR-associated protein 9) एक एंजाइम है जो इन दोहराए जाने वाले अनुक्रमों से जुड़े आरएनए (गाइड आरएनए) द्वारा निर्देशित होता है। यह गाइड आरएनए वायरल डीएनए में लक्ष्य अनुक्रम को ढूंढता है, और Cas9 एंजाइम फिर उस स्थान पर डीएनए को काट देता है।
वैज्ञानिकों ने इस प्राकृतिक प्रणाली को एक जीन संपादन उपकरण के रूप में अनुकूलित किया है। CRISPR-Cas9 प्रणाली के दो मुख्य घटक होते हैं: Cas9 एंजाइम और एक सिंथेटिक गाइड आरएनए (sgRNA)। sgRNA को एक विशिष्ट डीएनए अनुक्रम को लक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है। जब sgRNA अपने लक्षित डीएनए अनुक्रम से बंध जाता है, तो Cas9 एंजाइम उस स्थान पर डीएनए को काट देता है। यह कट डीएनए की मरम्मत तंत्र को सक्रिय करता है, जिससे वैज्ञानिक डीएनए में वांछित परिवर्तन कर सकते हैं। इन परिवर्तनों में एक जीन को निष्क्रिय करना (नॉकआउट), एक दोषपूर्ण जीन को एक स्वस्थ जीन से बदलना, या डीएनए में नए अनुक्रम जोड़ना शामिल हो सकता है।
CRISPR-Cas9 की सटीकता और बहुमुखी प्रतिभा ने इसे विभिन्न क्षेत्रों में एक अमूल्य उपकरण बना दिया है। चिकित्सा के क्षेत्र में, इसका उपयोग सिस्टिक फाइब्रोसिस, सिकल सेल एनीमिया और हंटिंग्टन रोग जैसे आनुवंशिक रोगों के लिए संभावित उपचार विकसित करने के लिए किया जा रहा है। शोधकर्ता इस तकनीक का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने या प्रतिरक्षा कोशिकाओं को रोगजनकों से लड़ने के लिए बेहतर बनाने के लिए भी कर रहे हैं। कृषि में, CRISPR-Cas9 का उपयोग अधिक पौष्टिक, रोग-प्रतिरोधी और सूखा-सहिष्णु फसलें विकसित करने के लिए किया जा रहा है, जो खाद्य सुरक्षा में योगदान कर सकती हैं।
हालांकि, मानव भ्रूण या जनन कोशिकाओं (शुक्राणु और अंडाणु) पर CRISPR-Cas9 के उपयोग से जुड़ी नैतिक चिंताएं अत्यंत गंभीर हैं। इन कोशिकाओं में किए गए परिवर्तन वंशानुगत होंगे, जिसका अर्थ है कि वे भविष्य की पीढ़ियों को भी हस्तांतरित होंगे। इस क्षमता के कारण 'डिजाइनर बेबी' के निर्माण का भय उत्पन्न होता है, जहां माता-पिता अपनी संतानों के गैर-चिकित्सीय गुणों, जैसे कि ऊंचाई, बुद्धिमत्ता या शारीरिक विशेषताओं को चुनने के लिए जीन संपादन का उपयोग कर सकते हैं। यह सामाजिक असमानता को बढ़ा सकता है और मानव प्रजाति की विविधता को कम कर सकता है।
एक प्रमुख वैज्ञानिक और नैतिक चिंता 'ऑफ-टारगेट प्रभाव' है। CRISPR-Cas9 अत्यधिक सटीक होने के बावजूद, यह हमेशा केवल लक्षित डीएनए अनुक्रम को ही नहीं काटता है। यह कभी-कभी डीएनए में अन्य, समान अनुक्रमों को भी काट सकता है। ये अवांछित कट अप्रत्याशित आनुवंशिक परिवर्तन कर सकते हैं, जिनके स्वास्थ्य पर गंभीर और अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं। इन ऑफ-टारगेट प्रभावों का पता लगाना और उन्हें रोकना एक बड़ी चुनौती है। जब यह परिवर्तन मानव भ्रूण में होता है, तो ये ऑफ-टारगेट प्रभाव बच्चे के पूरे जीवनकाल और उसकी वंशानुगत रेखा को प्रभावित कर सकते हैं।
जर्मलाइन संपादन के दीर्घकालिक परिणाम भी अज्ञात हैं। हम अभी भी मानव जीनोम की जटिलता को पूरी तरह से नहीं समझते हैं। एक जीन में किया गया परिवर्तन अन्य जीनों के कार्य को कैसे प्रभावित कर सकता है, या यह भविष्य की पीढ़ियों में अन्य पर्यावरणीय कारकों के साथ कैसे परस्पर क्रिया कर सकता है, यह अभी भी शोध का विषय है। इस कारण से, अधिकांश देश और वैज्ञानिक समुदाय मानव जर्मलाइन संपादन पर रोक लगाने या कड़े नियंत्रण रखने के लिए सहमत हैं, जब तक कि इसके सुरक्षा और प्रभाव के बारे में और अधिक समझ न हो जाए।
एक और महत्वपूर्ण नैतिक विचार 'सहमति' का मुद्दा है। मानव भ्रूण या जनन कोशिकाओं में किए गए जीन संपादन के लिए, जो व्यक्ति प्रभावित होंगे (भविष्य के बच्चे) वे किसी भी निर्णय में भाग नहीं ले सकते। यह माता-पिता या शोधकर्ताओं को उन व्यक्तियों के लिए निर्णय लेने का अधिकार देता है, जिनकी आनुवंशिक नियति अपरिवर्तनीय रूप से बदल जाती है। यह 'मानव गरिमा' और 'स्वायत्तता' के सिद्धांतों के साथ संघर्ष करता है।
इसके अतिरिक्त, जीन संपादन तकनीक का दुरुपयोग होने की भी संभावना है। इसका उपयोग दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि जैविक हथियार विकसित करना। इस संभावना को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मजबूत नियामक ढांचों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस शक्तिशाली तकनीक का उपयोग जिम्मेदारी से और मानवता के लाभ के लिए किया जाए।
CRISPR-Cas9 ने जीन संपादन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, लेकिन इसके उपयोग, विशेष रूप से मानव जर्मलाइन के संबंध में, गहन नैतिक और सामाजिक चर्चा की मांग करते हैं। इन चिंताओं को दूर करने के लिए निरंतर वैज्ञानिक अनुसंधान, सार्वजनिक संवाद और मजबूत नियामक निरीक्षण आवश्यक है। क्या हम इस शक्तिशाली तकनीक के अनियंत्रित उपयोग से उत्पन्न होने वाली अनिश्चितताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, या हमें इसके अनुप्रयोगों पर स्थायी रोक लगाने पर विचार करना चाहिए?