भारतीय मुद्रा के अवमूल्यन (Devaluation) का सामान्यतः क्या परिणाम होता है?
- आयात सस्ता हो जाता है
- निर्यात महंगा हो जाता है
- निर्यात सस्ता हो जाता है
- विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है
Helpful Information:
मुद्रा का अवमूल्यन तब होता है जब कोई देश जानबूझकर अपनी मुद्रा के मूल्य को अन्य मुद्राओं की तुलना में कम करता है। इसका मुख्य उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना और आयात को हतोत्साहित करना होता है। जब घरेलू मुद्रा का मूल्य गिरता है, तो विदेशी खरीदारों के लिए हमारे उत्पाद सस्ते हो जाते हैं, जिससे निर्यात बढ़ता है। साथ ही, घरेलू उपभोक्ताओं के लिए आयातित उत्पाद महंगे हो जाते हैं, जिससे आयात घटता है। यह देश के व्यापार संतुलन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।