Answer: टिम बर्नर्स-ली
वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) का आविष्कार, सूचना के आदान-प्रदान के तरीके में एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने आज के डिजिटल युग की नींव रखी। इसका श्रेय ब्रिटिश कंप्यूटर वैज्ञानिक सर टिम बर्नर्स-ली को जाता है। उन्होंने 1989 में CERN (यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन) में काम करते हुए इस तकनीक का प्रस्ताव रखा और 1991 तक इसे लागू भी कर दिया। WWW, इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे हम ब्राउज़र के माध्यम से एक्सेस करते हैं, और यह हाइपरटेक्स्ट (Hypertext) पर आधारित है, जो सूचना को एक-दूसरे से जोड़ने की अनुमति देता है।
टिम बर्नर्स-ली का जन्म 8 जून 1955 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था। उनके माता-पिता दोनों गणितज्ञ थे और रॉयल मैथमेटिकल सोसाइटी के सदस्य थे। बचपन से ही उन्हें कंप्यूटर में गहरी रुचि थी, और उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से भौतिकी में डिग्री हासिल की। अपनी पढ़ाई के बाद, उन्होंने विभिन्न कंपनियों में काम किया, जहाँ उन्होंने सॉफ्टवेयर विकास में अनुभव प्राप्त किया। 1980 में, उन्होंने CERN में काम करना शुरू किया, जहाँ उनका सामना सूचना को व्यवस्थित और साझा करने में आने वाली कठिनाइयों से हुआ। उस समय, विभिन्न कंप्यूटर सिस्टमों के बीच डेटा का आदान-प्रदान करना एक जटिल प्रक्रिया थी।
CERN में, बर्नर्स-ली ने देखा कि शोधकर्ताओं को जानकारी साझा करने और सहयोग करने में बहुत मुश्किल हो रही थी। प्रत्येक शोधकर्ता अपने स्वयं के प्रारूपों और प्रणालियों का उपयोग कर रहा था, जिससे डेटा का एकीकरण लगभग असंभव हो गया था। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए, उन्होंने एक ऐसी प्रणाली का विचार विकसित किया जो दस्तावेजों को आपस में जोड़ सके और उन्हें आसानी से एक्सेस किया जा सके। यह विचार हाइपरटेक्स्ट की अवधारणा पर आधारित था, जिसे पहले 1940 के दशक में वैनेवर बुश द्वारा 'मेमेक्स' (Memex) के रूप में प्रस्तावित किया गया था, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका था।
बर्नर्स-ली ने तीन प्रमुख तकनीकों का आविष्कार किया जो WWW की रीढ़ बनीं: 1. HTML (HyperText Markup Language): वेब पेजों को बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली एक मार्कअप भाषा। 2. URL (Uniform Resource Locator): वेब पर किसी संसाधन का पता (Address)। 3. HTTP (Hypertext Transfer Protocol): क्लाइंट (जैसे वेब ब्राउज़र) और सर्वर के बीच डेटा संचार के लिए एक प्रोटोकॉल। इन तीनों के संयोजन ने एक ऐसी प्रणाली बनाई जो सूचना को आसानी से साझा करने और एक्सेस करने की अनुमति देती थी।
1990 में, बर्नर्स-ली ने पहला वेब ब्राउज़र और वेब सर्वर बनाया। पहला वेब ब्राउज़र, जिसे 'वर्ल्डवाइडवेब' (WorldWideWeb) नाम दिया गया था, को NeXT कंप्यूटर पर विकसित किया गया था। यह एक ग्राफिकल इंटरफ़ेस वाला ब्राउज़र था, जिसने उपयोगकर्ताओं को आसानी से वेब पेजों को नेविगेट करने की सुविधा दी। इसके साथ ही, उन्होंने पहला वेब सर्वर भी बनाया, जो वेब पेजों को संग्रहीत करता था और उन्हें ब्राउज़र को भेजता था।
मार्च 1989 में, टिम बर्नर्स-ली ने CERN में 'Information Management: A Proposal' नामक एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें वर्ल्ड वाइड वेब के निर्माण का खाका पेश किया गया था। शुरुआत में, इस प्रस्ताव को बहुत अधिक ध्यान नहीं मिला, लेकिन बर्नर्स-ली ने हार नहीं मानी और अपने विचार को विकसित करना जारी रखा। 1990 के अंत तक, उन्होंने आवश्यक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर विकसित कर लिया था, और 1991 में, उन्होंने WWW को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया।
WWW के निर्माण का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि टिम बर्नर्स-ली ने इसे पेटेंट नहीं कराया और इसे सभी के लिए मुफ्त में उपलब्ध कराया। उन्होंने 1993 में CERN को WWW के लिए सभी रॉयल्टी-मुक्त पेटेंट अधिकार सौंप दिए, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि कोई भी इस तकनीक का स्वतंत्र रूप से उपयोग और विकास कर सके। इस 'ओपन' दृष्टिकोण ने WWW के तेजी से प्रसार और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि WWW पेटेंट के अधीन होता, तो इसकी व्यापकता और आज की स्थिति शायद संभव नहीं होती।
WWW के प्रसार के साथ, इंटरनेट का उपयोग आम जनता के लिए अधिक सुलभ हो गया। लोग वेब ब्राउज़र का उपयोग करके दुनिया भर की जानकारी तक पहुँचने लगे। ई-कॉमर्स, ऑनलाइन शिक्षा, सोशल नेटवर्किंग, और मनोरंजन जैसे अनगिनत नए अनुप्रयोगों का उदय हुआ, जिन्होंने मानव जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित किया। WWW ने सूचना के लोकतंत्रीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे ज्ञान तक पहुँच पहले से कहीं अधिक आसान हो गई।
टिम बर्नर्स-ली को उनके इस अविश्वसनीय आविष्कार के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है, जिसमें नाइटहुड (Sir) की उपाधि भी शामिल है। वे आज भी वेब के भविष्य और वेब की अखंडता के लिए काम कर रहे हैं। वे 'वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम' (W3C) के निदेशक हैं, जो वेब मानकों के विकास के लिए जिम्मेदार है। उनका मानना है कि वेब एक सार्वजनिक संसाधन है और इसे सभी के लिए खुला और सुलभ रहना चाहिए।
आज, जब हम ऑनलाइन जानकारी खोजते हैं, वीडियो देखते हैं, या अपने दोस्तों से जुड़ते हैं, तो हम टिम बर्नर्स-ली के उस दूरदर्शी विचार के ऋणी हैं जिसने वर्ल्ड वाइड वेब का निर्माण किया। यह एक ऐसी तकनीक है जिसने दुनिया को बदल दिया है और मानवता को अभूतपूर्व तरीकों से जोड़ा है। WWW के बिना, आज का डिजिटल समाज अकल्पनीय होता। यह सोचना भी दिलचस्प है कि अगर WWW का आविष्कार नहीं हुआ होता, तो सूचना क्रांति का स्वरूप क्या होता?