Answer: राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM)
भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ एक अत्यंत महत्वपूर्ण और जटिल विषय हैं, जो देश के विकास और नागरिकों के कल्याण की नींव रखती हैं। स्वतंत्रता के बाद से, भारत सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई पहलों और मिशनों को लागू किया है। इन पहलों का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करना है। देश की विशाल जनसंख्या और विविधता को देखते हुए, यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है, लेकिन समय के साथ इसमें महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे 2013 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) के विलय के रूप में लॉन्च किया गया था। NHM का प्राथमिक लक्ष्य देश भर में सभी के लिए, विशेषकर वंचितों और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए, सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है। यह मिशन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने और असमानताओं को दूर करने पर केंद्रित है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) की शुरुआत 2005 में हुई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार करना था। इसने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, संक्रामक रोगों के नियंत्रण और गैर-संचारी रोगों के प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया। NRHM के तहत कई अभिनव कार्यक्रम शुरू किए गए, जैसे कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK), राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK), और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य रणनीति (RKSK)। इन कार्यक्रमों ने संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने, नवजात शिशुओं और बच्चों की मृत्यु दर को कम करने और किशोरों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जैसे-जैसे भारत शहरीकरण की ओर बढ़ा, शहरी क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता महसूस की गई। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, 2013 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) को NRHM के साथ विलय कर दिया गया। NUHM का उद्देश्य शहरी गरीबों, झुग्गी-झोपड़ीवासियों और अन्य कमजोर शहरी आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाना है। इसमें शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों की स्थापना, मोबाइल क्लिनिक, और विशेष स्वास्थ्य कार्यक्रमों का संचालन शामिल है। NUHM का ध्यान शहरी आबादी के स्वास्थ्य जोखिमों, जैसे वायु प्रदूषण, भीड़भाड़ वाले आवास और व्यावसायिक स्वास्थ्य खतरों से निपटने पर भी है।
NHM के तहत, विभिन्न उप-मिशनों और कार्यक्रमों को लागू किया गया है, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट स्वास्थ्य क्षेत्र को संबोधित करता है। इनमें मातृ स्वास्थ्य, शिशु और बाल स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, संक्रामक रोगों का नियंत्रण (जैसे एचआईवी/एड्स, तपेदिक, मलेरिया), गैर-संचारी रोगों का नियंत्रण (जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर), मानसिक स्वास्थ्य, और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना शामिल है। NHM का एक महत्वपूर्ण पहलू स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण में इक्विटी और समावेशन पर जोर देना है।
NHM का कार्यान्वयन विकेन्द्रीकृत तरीके से किया जाता है, जिसमें राज्यों और स्थानीय सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। केंद्रीय सरकार वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है, जबकि राज्य अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार योजनाओं को लागू करते हैं। इस मिशन ने सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (जैसे आशा कार्यकर्ता) के एक विशाल नेटवर्क को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों समुदायों में स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर तक पहुँचाने में सहायक हैं। आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य शिक्षा, रोकथाम, रेफरल और प्राथमिक उपचार जैसी विभिन्न भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
NHM के प्रमुख उद्देश्यों में से एक भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में सुधार करना है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। मिशन का लक्ष्य प्रथम-स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करना है, ताकि लोग छोटी-मोटी बीमारियों के लिए आसानी से इलाज करा सकें और गंभीर बीमारियों के लिए उन्हें उच्च-स्तरीय सुविधाओं में भेजा जा सके। इसके लिए उप-केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) के बुनियादी ढांचे को उन्नत किया जा रहा है और उनमें विशेषज्ञता बढ़ाई जा रही है।
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता भी NHM का एक केंद्रीय स्तंभ है। इसमें स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रशिक्षण, उपकरणों की उपलब्धता, दवाओं की निर्बाध आपूर्ति और रोगी-केंद्रित देखभाल को बढ़ावा देना शामिल है। मिशन गुणवत्ता आश्वासन मानकों को लागू करने और स्वास्थ्य सुविधाओं की नियमित निगरानी पर भी जोर देता है। विभिन्न गुणवत्ता सुधार पहलें, जैसे राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) और कायाकल्प (Kayakalp) कार्यक्रम, स्वास्थ्य सुविधाओं की स्वच्छता, संक्रमण नियंत्रण और रोगी संतुष्टि में सुधार के लिए लागू की गई हैं।
NHM के वित्तपोषण का एक बड़ा हिस्सा केंद्रीय सरकार द्वारा वहन किया जाता है, लेकिन राज्य सरकारों का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान होता है। मिशन ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के अवसरों की भी खोज की है ताकि स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण को बढ़ाया जा सके और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग भी NHM के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
NHM की सफलता को मापने के लिए विभिन्न स्वास्थ्य संकेतकों की निगरानी की जाती है, जैसे कि मातृ मृत्यु दर (MMR), शिशु मृत्यु दर (IMR), नवजात मृत्यु दर (NMR), कुल प्रजनन दर (TFR), और विभिन्न रोगों की प्रसार दर। इन संकेतकों में समय के साथ सुधार NHM के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, जैसे कि स्वास्थ्यकर्मियों की कमी, विशेषज्ञ सेवाओं की असमान पहुँच, और स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी क्षेत्र पर बढ़ती निर्भरता।
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) के तहत, शहरी आबादी के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई रणनीतियों को लागू किया जाता है। इसमें शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ, स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम, और शहरी गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को बढ़ावा देना शामिल है। NUHM का लक्ष्य शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को बेहतर बनाना और गैर-संचारी रोगों (NCDs) के बढ़ते बोझ को संबोधित करना है, जो शहरी जीवन शैली से जुड़े होते हैं।
निष्कर्षतः, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) भारत में स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, सामर्थ्य और गुणवत्ता में सुधार लाने के अपने व्यापक उद्देश्यों के साथ देश के स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। NHM के तहत विभिन्न उप-मिशन, जैसे कि राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM), देश की विविध स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। क्या यह संभव है कि भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण में प्रौद्योगिकी और डिजिटल समाधानों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाए?