Answer: भारत सरकार द्वारा जारी संप्रभु हरित बॉन्ड का मुख्य उद्देश्य 'हरित परियोजनाओं' (Green Projects) में निवेश के लिए अतिरिक्त धन जुटाना है।
संप्रभु हरित बॉन्ड, जिन्हें अक्सर 'सरकारी हरित बॉन्ड' भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार का ऋण साधन है जिसे सरकारें पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए जारी करती हैं। ये बॉन्ड पारंपरिक बॉन्ड की तरह ही कार्य करते हैं, जिसमें जारीकर्ता (सरकार) एक निश्चित अवधि के लिए ब्याज का भुगतान करने और परिपक्वता पर मूलधन चुकाने का वादा करती है। हालांकि, इनकी विशिष्टता यह है कि बॉन्ड से प्राप्त आय का उपयोग विशेष रूप से उन परियोजनाओं में किया जाता है जो पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ हों और जलवायु परिवर्तन से निपटने में योगदान करती हों।
हरित परियोजनाओं की श्रेणी में नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन ऊर्जा), ऊर्जा दक्षता, टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन, हरित भवन, स्वच्छ परिवहन, स्थायी जल प्रबंधन, प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण, जैव विविधता संरक्षण, और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन जैसी परियोजनाएं शामिल हो सकती हैं। इन परियोजनाओं का चयन और प्रबंधन एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रक्रिया के तहत किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्राप्त धन का सही उपयोग हो रहा है।
भारत सरकार ने 2022-23 के बजट में पहली बार संप्रभु हरित बॉन्ड जारी करने की घोषणा की थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के सकल शून्य उत्सर्जन (Net Zero Emission) के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करना और हरित पहलों के लिए पूंजी जुटाना था। इन बॉन्ड के माध्यम से सरकार को न केवल वित्तीय संसाधन मिलते हैं, बल्कि यह देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं के प्रति उसकी गंभीरता को भी दर्शाता है।
इन बॉन्ड की एक महत्वपूर्ण विशेषता पारदर्शिता और जवाबदेही है। जारीकर्ता को यह सुनिश्चित करना होता है कि बॉन्ड से प्राप्त धन का उपयोग पूर्व-निर्धारित हरित परियोजनाओं में ही किया जाए। इसके लिए अक्सर बाहरी विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा और प्रमाणन की व्यवस्था की जाती है। इससे निवेशकों को विश्वास मिलता है कि वे वास्तव में टिकाऊ विकास में योगदान दे रहे हैं।
संप्रभु हरित बॉन्ड का बाजार हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। दुनिया भर की सरकारें और कंपनियां जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए हरित वित्तपोषण की ओर बढ़ रही हैं। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए, जहां हरित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है, ये बॉन्ड एक महत्वपूर्ण वित्तीय उपकरण साबित हो सकते हैं।
इन बॉन्ड के माध्यम से जुटाए गए धन का उपयोग देश के ऊर्जा ग्रिड को नवीकरणीय स्रोतों पर आधारित बनाने, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने, टिकाऊ शहरी नियोजन को बढ़ावा देने और जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन जैसी पहलों में किया जा सकता है। यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति प्रदान कर सकता है और रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकता है।
भारत में, संप्रभु हरित बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई राशि का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों द्वारा किए जाने वाले पूंजीगत व्यय को वित्तपोषित करने के लिए किया जा रहा है। यह विशेष रूप से उन परियोजनाओं पर केंद्रित है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में सहायक हैं।
हरित बॉन्ड के विकास के साथ ही, 'हरित बॉन्ड ढांचे' (Green Bond Framework) का महत्व भी बढ़ गया है। इस ढांचे में बॉन्ड से प्राप्त धन के उपयोग, परियोजनाओं के चयन की प्रक्रिया, धन के प्रबंधन और रिपोर्टिंग के तरीकों का विस्तृत विवरण होता है। एक मजबूत और पारदर्शी ढांचा निवेशकों के विश्वास को बढ़ाता है और बॉन्ड की सफलता सुनिश्चित करता है।
हालांकि, हरित बॉन्ड के क्षेत्र में कुछ चुनौतियां भी हैं। इनमें 'ग्रीनवॉशिंग' (Greenwashing) का जोखिम शामिल है, जहां कंपनियां अपने उत्पादों या परियोजनाओं को हरित के रूप में प्रस्तुत करती हैं, जबकि वास्तव में वे उतने पर्यावरण के अनुकूल नहीं होते। इसलिए, मजबूत नियामक निरीक्षण और मानकीकरण की आवश्यकता है।
इसके अलावा, हरित परियोजनाओं की पहचान, मूल्यांकन और प्रमाणन के लिए एक सुसंगत और विश्वसनीय तंत्र विकसित करना भी महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों और क्षेत्रों में हरित परियोजनाओं के मापदंडों में भिन्नता भी एक चुनौती हो सकती है।
निष्कर्ष रूप में, संप्रभु हरित बॉन्ड सरकारों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हैं जो उन्हें टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने, जलवायु परिवर्तन से लड़ने और अपने पर्यावरण लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। भारत जैसे देश के लिए, जहां विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों महत्वपूर्ण हैं, ये बॉन्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्या आप जानते हैं कि हरित बॉन्ड के अलावा और कौन से वित्तीय साधन टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं?