Answer: ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों का पिघलना।
जलवायु परिवर्तन, जिसे ग्लोबल वार्मिंग भी कहा जाता है, पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से मानव गतिविधियों, जैसे जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) के जलने से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण होती है। इन गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) प्रमुख हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी को फंसा लेती हैं, जिससे ग्रह का तापमान बढ़ जाता है। जलवायु परिवर्तन के दूरगामी परिणाम होते हैं, जिनमें से एक सबसे चिंताजनक परिणाम है समुद्र तल में वृद्धि।
समुद्र तल में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन इन कारणों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। सबसे प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण कारण ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों का पिघलना है। पृथ्वी पर मीठे पानी का अधिकांश हिस्सा ग्लेशियरों और अंटार्कटिक तथा ग्रीनलैंड जैसी विशाल बर्फ की चादरों के रूप में जमा है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ता है, ये बर्फ की संरचनाएं पिघलना शुरू कर देती हैं। पिघला हुआ पानी अंततः महासागरों में चला जाता है, जिससे समुद्र की मात्रा बढ़ जाती है।
अंटार्कटिक और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरें विशेष रूप से चिंता का विषय हैं। ये न केवल विशाल मात्रा में पानी संग्रहित करती हैं, बल्कि उनके पिघलने की दर हाल के दशकों में तेजी से बढ़ी है। यदि ये पूरी तरह से पिघल गईं, तो समुद्र तल में कई मीटर की वृद्धि हो सकती है, जिससे दुनिया भर के तटीय समुदायों और पारिस्थितिक तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। छोटे द्वीप राष्ट्रों और निचले तटीय क्षेत्रों को पहले से ही बढ़ते समुद्र के कारण कटाव, बाढ़ और खारे पानी के अतिक्रमण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
समुद्र तल में वृद्धि का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण 'थर्मल विस्तार' (Thermal Expansion) है। पानी, अन्य पदार्थों की तरह, गर्म होने पर फैलता है। जैसे-जैसे महासागरों का पानी गर्म हो रहा है (जो वैश्विक तापमान वृद्धि का एक प्रत्यक्ष परिणाम है), पानी की मात्रा थोड़ी बढ़ जाती है। हालांकि यह प्रभाव व्यक्तिगत रूप से छोटा लग सकता है, लेकिन विशाल महासागरों के पैमाने पर, यह समुद्र तल में वृद्धि में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र तल में वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा थर्मल विस्तार के कारण होता है।
इन दो प्रमुख कारणों के अलावा, जलवायु परिवर्तन के अप्रत्यक्ष प्रभाव भी समुद्र तल में वृद्धि में भूमिका निभा सकते हैं। उदाहरण के लिए, भूमिगत जलभृतों (aquifers) का अत्यधिक दोहन और भूजल का सिंचाई और अन्य उपयोगों के लिए स्थानांतरण, अंततः महासागरों में प्रवाहित हो सकता है, हालांकि यह एक बहुत छोटा योगदान है। हालांकि, मुख्य चालक स्पष्ट रूप से ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों का पिघलना और महासागरों का थर्मल विस्तार है।
समुद्र तल में वृद्धि के परिणाम दूरगामी और गंभीर हैं। तटीय बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ जाती है, जिससे तटीय बुनियादी ढांचे, आवासों और कृषि भूमि को नुकसान पहुंचता है। खारे पानी का अंतर्देशीय प्रवेश पीने योग्य पानी के स्रोतों को दूषित कर सकता है और तटीय आर्द्रभूमि (wetlands) जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों को बदल सकता है, जो तूफानों से सुरक्षा प्रदान करते हैं और जैव विविधता का समर्थन करते हैं। इसके अतिरिक्त, समुद्र तल में वृद्धि तूफान और सुनामी के प्रभाव को बढ़ा सकती है, जिससे तटीय समुदायों के लिए खतरा बढ़ जाता है।
इस समस्या का समाधान जलवायु परिवर्तन को कम करने में निहित है। इसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) को अपनाना, ऊर्जा दक्षता में सुधार करना, और वनों की कटाई को रोकना तथा वनीकरण को बढ़ावा देना शामिल है। तटीय क्षेत्रों को अनुकूलित करने के लिए, तटीय सुरक्षा (जैसे तटबंध और मैंग्रोव बहाली) और भूमि उपयोग की योजनाएं आवश्यक हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में से समुद्र तल में वृद्धि एक गंभीर वैश्विक चुनौती है। यह न केवल भौतिक परिदृश्य को बदल रहा है, बल्कि समुदायों, अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिक तंत्रों को भी प्रभावित कर रहा है। ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों का पिघलना और महासागरों का थर्मल विस्तार इसके प्राथमिक कारण हैं। इन वैश्विक रुझानों को समझना और उनके समाधान की दिशा में कार्य करना भविष्य की पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण है। क्या जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर्याप्त है?