विश्व ओजोन दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?

विश्व ओजोन दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?

Answer: 16 सितंबर

विश्व ओजोन दिवस हर साल 16 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य ओजोन परत के संरक्षण के महत्व और इसकी कमी से होने वाले खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर की याद दिलाता है, जो एक ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका लक्ष्य ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है। ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से बचाती है। इसके बिना, पृथ्वी पर जीवन वैसा नहीं होगा जैसा हम जानते हैं, क्योंकि अत्यधिक UV विकिरण मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। इस दिवस को मनाना हमें याद दिलाता है कि जब दुनिया एक सामान्य उद्देश्य के लिए एकजुट होती है, तो पर्यावरणीय चुनौतियों पर काबू पाया जा सकता है।

ओजोन (O3) ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना एक अणु है। वायुमंडल में इसकी उपस्थिति के आधार पर, यह या तो "अच्छा" या "बुरा" ओजोन हो सकता है। पृथ्वी की सतह के पास, ट्रोपोस्फीयर में, ओजोन एक प्रदूषक है जो श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा करता है और वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, समताप मंडल (stratosphere) में, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 10 से 50 किलोमीटर ऊपर है, ओजोन एक सुरक्षात्मक ढाल बनाता है जिसे ओजोन परत के रूप में जाना जाता है। यह "अच्छा" ओजोन है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (विशेषकर UV-B और UV-C) के बहुमत को अवशोषित कर लेता है, जिससे उन्हें पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से रोका जा सकता है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि UV विकिरण के उच्च स्तर डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं, कोशिकाओं को उत्परिवर्तित कर सकते हैं और जीवन-रूपों को नष्ट कर सकते हैं।

ओजोन परत का महत्व अतिरंजित नहीं किया जा सकता है। यह पृथ्वी के प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में कार्य करता है। यदि ओजोन परत कमजोर हो जाती है या नष्ट हो जाती है, तो अधिक UV-B और UV-C विकिरण पृथ्वी की सतह तक पहुंच जाएगा। मनुष्यों के लिए, इससे त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है। समुद्री जीवन भी गंभीर रूप से प्रभावित होगा, क्योंकि UV विकिरण फाइटोप्लांकटन को नुकसान पहुंचा सकता है, जो समुद्री खाद्य श्रृंखला का आधार है। फसलों और स्थलीय पौधों को भी नुकसान होगा, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ेगा और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ेगा। इसलिए, ओजोन परत का संरक्षण केवल एक वैज्ञानिक चिंता नहीं है, बल्कि मानव स्वास्थ्य, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ग्रह पर जैव विविधता के लिए एक मौलिक आवश्यकता है।

ओजोन परत के क्षरण की वैज्ञानिक खोज 1970 के दशक की शुरुआत में हुई, जब वैज्ञानिकों ने पहली बार चेतावनी दी कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) जैसे मानव निर्मित रसायन समताप मंडल में ओजोन को नष्ट कर सकते हैं। अमेरिकी रसायनज्ञ शेरवुड रॉलैंड और मारियो मोलिना, साथ ही डच वैज्ञानिक पॉल क्रुट्जेन को इस काम के लिए 1995 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने दिखाया कि CFCs जैसे स्थिर रसायन ऊपरी वायुमंडल में पहुँच सकते हैं, जहाँ वे सूर्य के प्रकाश से टूटकर क्लोरीन परमाणु छोड़ते हैं। ये क्लोरीन परमाणु ओजोन अणुओं को बार-बार तोड़कर ओजोन को नष्ट करने की एक श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू करते हैं। इन प्रारंभिक चेतावनियों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा, लेकिन व्यापक कार्रवाई अभी बाकी थी।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) एक समय रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, एरोसोल स्प्रे और फोम उत्पादन में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले रसायन थे। इन्हें गैर-विषाक्त, गैर-ज्वलनशील और बहुत स्थिर माना जाता था, जिससे वे कई अनुप्रयोगों के लिए आदर्श बन जाते थे। हालाँकि, उनकी स्थिरता ही उनकी समस्या बन गई। वे वायुमंडल में सदियों तक बने रह सकते थे और धीरे-धीरे समताप मंडल में पहुँच जाते थे। CFCs के अलावा, अन्य ओजोन-क्षयकारी पदार्थ (ODS) जैसे हैलोन (अग्निशामक में प्रयुक्त), कार्बन टेट्राक्लोराइड (विलायक के रूप में प्रयुक्त) और मिथाइल ब्रोमाइड (कीटनाशक के रूप में प्रयुक्त) भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रहे थे। इन रसायनों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपयोग ओजोन परत के पतले होने का मुख्य कारण था।

1985 में, ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के ऊपर समताप मंडल में ओजोन परत में एक नाटकीय और मौसमी गिरावट की घोषणा की, जिसे "ओजोन छेद" के रूप में जाना जाने लगा। यह खोज दुनिया भर में एक बड़ी चिंता का विषय बन गई और इसने तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया। अंटार्कटिक ओजोन छेद विशेष रूप से ध्रुवीय समताप मंडलीय बादलों (PSCs) और अत्यधिक ठंडे तापमान के कारण बनता है, जो क्लोरीन और ब्रोमीन रसायनों को ओजोन को नष्ट करने के लिए आदर्श स्थितियाँ प्रदान करते हैं। ओजोन छेद की छवियों ने जनता और नीति निर्माताओं को ओजोन परत के क्षरण की गंभीरता को समझने में मदद की, जिससे वैज्ञानिक चेतावनियों को कार्रवाई में बदलने के लिए वैश्विक दबाव बढ़ गया।

ओजोन परत के क्षरण के बढ़ते वैज्ञानिक प्रमाणों और ओजोन छेद की चौंकाने वाली खोज के जवाब में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने कार्रवाई करना शुरू किया। पहला महत्वपूर्ण कदम 1985 में वियना कन्वेंशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ द ओजोन लेयर (ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना अभिसमय) पर हस्ताक्षर करना था। यह एक फ्रेमवर्क कन्वेंशन था, जिसका अर्थ है कि इसने देशों को ओजोन परत की रक्षा के लिए अनुसंधान, निगरानी और सूचना साझाकरण में सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान किया, लेकिन इसमें ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन को कम करने के लिए विशिष्ट, कानूनी रूप से बाध्यकारी लक्ष्य शामिल नहीं थे। फिर भी, इसने बाद के और अधिक निर्णायक समझौते, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की नींव रखी।

वियना कन्वेंशन के दो साल बाद, 16 सितंबर 1987 को, मॉन्ट्रियल में 46 देशों ने ओजोन परत को क्षीण करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। यह अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून में एक अभूतपूर्व समझौता था। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) जैसे CFCs, हैलोन और कार्बन टेट्राक्लोराइड के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए विशिष्ट समय-सीमा और लक्ष्य निर्धारित किए। यह प्रोटोकॉल न केवल एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता था, बल्कि इसने विकासशील देशों को ODS को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में मदद करने के लिए एक बहुपक्षीय कोष भी स्थापित किया। 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाने का कारण इस ऐतिहासिक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर की याद दिलाना है।

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता कई कारकों के कारण थी। इसने विकसित और विकासशील देशों के लिए अलग-अलग लेकिन सामान्य जिम्मेदारियों को मान्यता दी, जिसमें विकासशील देशों को कुछ अधिक समय दिया गया। प्रोटोकॉल में नए वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक विकास के आधार पर संशोधन करने की क्षमता भी थी, जिससे इसे समय के साथ मजबूत किया जा सके। इसने एक स्वतंत्र वैज्ञानिक पैनल और तकनीकी सलाहकार समितियों की स्थापना की, जिन्होंने निर्णय लेने के लिए विश्वसनीय जानकारी प्रदान की। परिणामस्वरूप, प्रोटोकॉल को सार्वभौमिक रूप से अनुमोदित किया गया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश शामिल हैं। इस अद्वितीय सहयोग के कारण, ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के वैश्विक उत्पादन में 98% से अधिक की कमी आई है, जिससे ओजोन परत के ठीक होने की उम्मीद जगी है।

आज, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ओजोन परत धीरे-धीरे ठीक हो रही है और 2060 के दशक तक 1980 के स्तर तक वापस आने की उम्मीद है। अंटार्कटिक ओजोन छेद अभी भी बनता है, लेकिन इसके आकार और गहराई में धीरे-धीरे कमी आ रही है। यह मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की जबरदस्त सफलता का प्रमाण है। हालाँकि, चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। ओजोन-क्षयकारी पदार्थों का अवैध व्यापार, विशेष रूप से विकासशील देशों में, एक चिंता का विषय बना हुआ है। इसके अलावा, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs), जिन्हें CFCs के विकल्प के रूप में पेश किया गया था, वे स्वयं शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करती हैं।

इस चुनौती का समाधान करने के लिए, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों ने 2016 में किगाली संशोधन (Kigali Amendment) को अपनाया। किगाली संशोधन का उद्देश्य HFCs के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से कम करना है, जिससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सके। यह संशोधन जलवायु परिवर्तन और ओजोन परत के क्षरण के बीच के जटिल संबंधों को पहचानता है और दिखाता है कि कैसे एक पर्यावरण संधि को विकसित होते वैज्ञानिक ज्ञान के अनुकूल बनाया जा सकता है। यह एक अनुस्मारक है कि पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए निरंतर निगरानी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नीतियों को अपनाने की आवश्यकता है जो उभरती हुई चुनौतियों का सामना कर सकें।

विश्व ओजोन दिवस हमें न केवल ओजोन परत के महत्व और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता की याद दिलाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब देश एक साथ काम करते हैं, तो वे वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं को हल कर सकते हैं। यह हमें जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता हानि जैसी अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है, जो आज भी मानवता के लिए गंभीर खतरा बनी हुई हैं। ओजोन परत के संरक्षण की कहानी विज्ञान, नीति और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की एक प्रेरणादायक गाथा है। यह दिखाती है कि मनुष्य अपने कार्यों के दीर्घकालिक परिणामों को पहचान कर और उन्हें ठीक करने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करके ग्रह को बचा सकता है। क्या हम ओजोन परत के सफल संरक्षण से सीखे गए सबक को जलवायु परिवर्तन जैसे अन्य वैश्विक पर्यावरणीय संकटों पर भी लागू कर पाएंगे, और यदि हाँ, तो इसके लिए हमें किस स्तर के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और व्यक्तिगत जिम्मेदारी की आवश्यकता होगी?


Tags: ओजोन परत विश्व ओजोन दिवस मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर्यावरण जलवायु परिवर्तन UNEP UV विकिरण समताप मंडल

Related Questions

Tags

भारत की नदियाँ जल संसाधन नदी महत्व भारतीय भूगोल नदी तंत्र प्लासी का युद्ध रॉबर्ट क्लाइव सिराजुद्दौला मीर जाफ़र ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय इतिहास 1757 राष्ट्रपति अनुच्छेद 72 क्षमादान भारतीय संविधान राजव्यवस्था उपभोक्ता अधिकार विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस जागरूकता उपभोक्ता संरक्षण जॉन एफ. कैनेडी संयुक्त राष्ट्र भारत टिकाऊ खपत भारतीय रिज़र्व बैंक बैंक दर मौद्रिक नीति बैंकिंग प्रणाली ब्याज दर भारतीय अर्थव्यवस्था सिंधु घाटी सभ्यता मोहनजोदड़ो विशाल स्नानागार प्राचीन भारत हड़प्पा सभ्यता पुरातत्व फ्रांसीसी क्रांति क्रांति स्वतंत्रता समानता बंधुत्व लुई सोलहवें आतंक का राज नेपोलियन बोनापार्ट मानवाधिकार भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर ऑपरेशन मेघदूत सैन्य इतिहास रक्षा सचिन तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट क्रिकेट भारतीय खिलाड़ी रिकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस योग स्वास्थ्य 21 जून आसन प्राणायाम प्राचीन यूनान ओलंपिया के खेल ज़्यूस हेलेनिक सभ्यता प्राचीन खेल धर्म रेगिस्तान सहारा अफ्रीका भूगोल जलवायु वनस्पति जीव-जंतु इतिहास डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा मसौदा समिति सामाजिक न्याय गुप्त साम्राज्य चंद्रगुप्त प्रथम महाराजाधिराज सम्राट अशोक मौर्य राजवंश कलिंग युद्ध शिलालेख बौद्ध धर्म धम्म ला टोमाटिना स्पेन त्योहार उत्सव होली टमाटर सांस्कृतिक मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग भारत के राष्ट्रपति संवैधानिक निकाय लोकतंत्र नियुक्ति प्रक्रिया चुनाव मावसिनराम मेघालय वर्षा विश्व रिकॉर्ड मानसून नैनो प्रौद्योगिकी सूक्ष्म विज्ञान नैनो-सामग्री सामग्री विज्ञान विज्ञान और प्रौद्योगिकी बाल अधिकार NCPCR बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 किशोर न्याय अधिनियम शिक्षा का अधिकार बाल श्रम बाल विवाह वैदिक काल गोत्र आर्य ऋग्वेद उत्तरवैदिक काल भारतीय संस्कृति सामाजिक संरचना पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा तमिलनाडु ऊर्जा उत्पादन पर्यावरण CRISPR-Cas9 जीन संपादन जैविक प्रौद्योगिकी नैतिकता मानव भ्रूण जर्मलाइन संपादन वैज्ञानिक अनुसंधान नृत्यरत स्त्री कांस्य प्रतिमा सतत विकास पृथ्वी शिखर सम्मेलन जोहान्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन विकास बृहस्पति सौरमंडल ग्रह हाइड्रोजन गैसीय ग्रह खगोल विज्ञान अंतरिक्ष पियानो वाद्ययंत्र संगीतकार शास्त्रीय संगीत रचना संगीत सिद्धांत द्वितीय विश्व युद्ध परमाणु बम हिरोशिमा नागासाकी जापान संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध का अंत ऐतिहासिक घटनाएँ विद्युत चुम्बकीय प्रेरण फैराडे का नियम चुम्बकीय फ्लक्स विद्युत वाहक बल जनरेटर ट्रांसफार्मर प्रेरकत्व मंगल लाल ग्रह आयरन ऑक्साइड धन विधेयक अनुच्छेद 110 लोकसभा राज्यसभा संसद वित्तीय विधेयक पंडित रविशंकर सितार भारतीय शास्त्रीय संगीत विश्व संगीत संगीत जल विद्युत भाखड़ा-नांगल नदी ऊर्जा सिंचाई परियोजना नाटो उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन सामूहिक रक्षा शीत युद्ध सैन्य गठबंधन अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा बिग डेटा हाडूप डेटा विश्लेषण ओपन-सोर्स वितरित कंप्यूटिंग HDFS MapReduce भरतनाट्यम हस्तमुद्रा भारतीय शास्त्रीय नृत्य नृत्य मुद्राएँ कला संस्कृति अभिनय वैश्विक परिवार दिवस परिवार अंतर्राष्ट्रीय दिवस शांति सद्भाव नव वर्ष कार्बन रसायन विज्ञान जीवन का तत्व कार्बनिक रसायन कार्बन चक्र आवर्त सारणी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISS अंतरिक्ष अन्वेषण NASA Roscosmos JAXA CSA ESA अंतरिक्ष सहयोग अंतरिक्ष विज्ञान यूनानी सभ्यता प्राचीन साहित्य महाकाव्य होमर इलियड ओडिसी ग्रीक साहित्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीन लर्निंग भविष्य प्रौद्योगिकी समाज स्वास्थ्य सेवा शिक्षा कार्यबल शासन ऊष्मागतिकी ऊर्जा संरक्षण विलगित निकाय आंतरिक ऊर्जा भौतिकी नियम संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद स्थायी सदस्य वीटो शक्ति अंतर्राष्ट्रीय शांति मुख्य न्यायाधीश CJI सर्वोच्च न्यायालय न्यायपालिका संविधान कॉलेजियम प्रणाली गुरुत्वाकर्षण न्यूटन सार्वभौमिक गुरुत्वाकर्षण का नियम भौतिकी बल मानवयुक्त मिशन यूरी गगारिन सोवियत संघ अंतरिक्ष दौड़ ऐतिहासिक घटना जीनोम डीएनए आनुवंशिकी बायोटेक्नोलॉजी चिकित्सा जलप्रपात एंजल फॉल्स वेनेज़ुएला प्राकृतिक अजूबे पर्यटन विश्व के सबसे ऊँचे जलप्रपात मौलिक अधिकार अनुच्छेद 24 शोषण के विरुद्ध अधिकार कानून बंदरगाह वैश्विक व्यापार माल ढुलाई शंघाई चीन लॉजिस्टिक्स अर्थव्यवस्था समानता का अधिकार भेदभाव का प्रतिषेध अनुच्छेद 15 भारतीय राजव्यवस्था मृगनयनी महल ग्वालियर मध्य प्रदेश ऐतिहासिक स्थल वास्तुकला रानी मृगनयनी नासा जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अवरक्त प्रकाश हबल स्पेस टेलीस्कोप ब्रह्मांड संप्रभु हरित बॉन्ड हरित वित्त जलवायु परिवर्तन टिकाऊ विकास भारत सरकार वित्तीय साधन सौर ऊर्जा फोटोवोल्टेइक अर्धचालक ऊर्जा रूपांतरण सकल घरेलू उत्पाद सांकेतिक जीडीपी वास्तविक जीडीपी मुद्रास्फीति आर्थिक संकेतक परिसीमन आयोग निर्वाचन क्षेत्र विधानसभा चुनाव आयुक्त पीयूष ग्रंथि अंतःस्रावी तंत्र हार्मोन मास्टर ग्रंथि हाइपोथैलेमस मानव शरीर ग्रंथियाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO विश्व स्वास्थ्य दिवस अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सार्वजनिक स्वास्थ्य ग्लोबल वार्मिंग समुद्र तल में वृद्धि ग्लेशियर बर्फ की चादरें थर्मल विस्तार ग्रीनहाउस गैसें नगरीय योजना महास्नानघर सिंधु लिपि MSP न्यूनतम समर्थन मूल्य भारतीय कृषि किसान सरकारी नीति खाद्य सुरक्षा राष्ट्रीय साक्षरता मिशन NLM साक्षरता दर कार्य कार्यात्मक साक्षरता स्वयंसेवक गैर-सरकारी संगठन विश्व अर्थव्यवस्था GDP PPP अमेरिका आर्थिक विकास आरक्षित निधि वित्तीय नियोजन कंपनी अधिनियम वित्तीय स्थिरता निवेश ऋण प्रबंधन सरकार कंपनी मौर्य साम्राज्य चंद्रगुप्त मौर्य अशोक मगध चाणक्य अर्थशास्त्र परमाणु विखंडन नाभिकीय भौतिकी परमाणु ऊर्जा श्रृंखला अभिक्रिया यूरेनियम विज्ञान सार्वत्रिक नियम रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार प्रथम भारतीय गीतांजलि साहित्य विश्व-भारती आदिवासी शिक्षा आवासीय विद्यालय सशक्तिकरण जनजातीय कल्याण महासागर प्रशांत महासागर मारियाना ट्रेंच चैलेंजर डीप गहराई विश्व अन्वेषण सापेक्षता का सिद्धांत विशेष सापेक्षता सामान्य सापेक्षता अल्बर्ट आइंस्टीन प्रकाश की गति ब्रह्मांड विज्ञान E=mc² समय का फैलाव लंबाई संकुचन 5G 6G नेटवर्क टेलीकम्युनिकेशन तकनीक गति विलंबता AI प्रवर्तन निदेशालय ED मनी लॉन्ड्रिंग PMLA FEMA आर्थिक अपराध परमाणु नाभिक प्रोटॉन परमाणु क्रमांक तत्व सैन्य अभियान कालिदास अभिज्ञानशाकुंतलम् संस्कृत साहित्य नाट्यशास्त्र महाभारत दुष्यंत शकुंतला भारतीय क्लासिक्स रेलवे परिवहन लॉर्ड डलहौजी मुंबई ठाणे 1853 पुरस्कार अल्पसंख्यक सम्मान अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्रकाश संश्लेषण कार्बन डाइऑक्साइड ऑक्सीजन क्लोरोफिल जीव विज्ञान पादप पृथ्वी की संरचना भूपर्पटी मेंटल कोर भूविज्ञान पृथ्वी की परतें महाद्वीपीय भूपर्पटी महासागरीय भूपर्पटी संवैधानिक शक्ति सूचना प्रौद्योगिकी आईटी बंगलूरु सिलिकॉन वैली नवाचार उदारीकरण हिमालय वलित पर्वत टेक्टोनिक प्लेटें पर्वत श्रृंखलाएँ नदी उद्गम डीप लर्निंग आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क न्यूरल नेटवर्क तंत्रिका नेटवर्क आसियान दक्षिण पूर्व एशिया अंतर्राष्ट्रीय संगठन हरित बॉन्ड पर्यावरण वित्तपोषण रोमन साम्राज्य पैनथिऑन प्राचीन वास्तुकला रोम गुंबद हैड्रियन इंजीनियरिंग सोफिया रोबोटिक्स हैनसन रोबोटिक्स ह्यूमनॉइड रोबोट P5 अंतर्राष्ट्रीय कानून भू-राजनीति जनसंख्या प्रतिनिधित्व फिनलैंड झीलें नॉर्डिक देश राजधानियाँ प्रधानमंत्री जयपुर गुलाबी शहर राजस्थान विश्व धरोहर स्थल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन NHM राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन NUHM राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन NRHM स्वास्थ्य सेवाएँ जन स्वास्थ्य अटलांटिक की लड़ाई काफिला प्रणाली पनडुब्बी युद्ध मित्र राष्ट्र धुरी राष्ट्र नौसेना रणनीति आयरन लौह हीमोग्लोबिन रक्त शरीर विज्ञान खनिज पोषण विश्व के देश क्षेत्रफल वेटिकन सिटी रूस सबसे छोटा देश सबसे बड़ा देश ओपन ऑफर शेयर बाजार अधिग्रहण SEBI कॉर्पोरेट गवर्नेंस भोजन की बर्बादी खाद्य अपव्यय उपभोक्ता व्यवहार संसाधन प्रबंधन कृषि चोल राजवंश दक्षिण भारत राजेंद्र प्रथम राजराज प्रथम साम्राज्य वर्ल्ड वाइड वेब टिम बर्नर्स-ली CERN HTML HTTP URL इंटरनेट आविष्कार प्लाज्मा पदार्थ की अवस्थाएँ आयन इलेक्ट्रॉन सूर्य संलयन जैव विविधता पश्चिमी घाट हॉटस्पॉट पारिस्थितिकी तंत्र वन्यजीव संरक्षण बागवानी भारतीय परंपरा टिकाऊ खेती जैव-विविधता पंच-पल्लव प्राकृतिक संसाधन उपग्रह भूस्थैतिक कक्षा GEO संचार रॉकेट कक्षीय यांत्रिकी विराट कोहली ODI क्रिकेट भारतीय क्रिकेट क्रिकेटर खेल यूरेनियम-235 नाभिकीय विखंडन समस्थानिक ऊर्जा स्रोत पोलिस नगर-राज्य एथेंस स्पार्टा अमर्त्य सेन भारतीय विजेता कल्याणकारी अर्थशास्त्र नोबेल लॉरिएट विकास अर्थशास्त्र ग्रीनहाउस प्रभाव प्रदूषण DRDO रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन IGMDP पृथ्वी मिसाइल मिसाइल मैन ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत की रक्षा आत्मनिर्भर भारत खाड़ियाँ मेक्सिको की खाड़ी बंगाल की खाड़ी फ़ारसी खाड़ी हडसन खाड़ी समुद्री भूगोल विश्व भूगोल जलीय निकाय जूट सुनहरा रेशा फसल उत्पादन फाइबर नकदी फसल अंतर्राष्ट्रीय संबंध चार्टर सैन फ्रांसिस्को महासचिव जीन एडिटिंग जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक खोज भारत के मुख्य न्यायाधीश सेवानिवृत्ति आयु रोस्टर का मास्टर मृदा विज्ञान काली मिट्टी रेगुर मिट्टी मिट्टी के प्रकार भारत का भूगोल दक्कन का पठार कपास विधायिका हाइड्रोपोनिक्स मिट्टी रहित खेती शहरी खेती भविष्य की कृषि भारतीय मुद्रा सिक्के रुपया शेरशाह सूरी मध्यकालीन भारत ब्रिटिश राज स्वतंत्रता के बाद मुद्रा किले महल आमेर किला राजपूत मुगल विरासत राजा मान सिंह प्रथम राज्य के नीति निदेशक तत्व DPSP भाग IV कल्याणकारी राज्य भारत का शासन वेद अथर्ववेद सामवेद यजुर्वेद कॉस्मिक किरणें विक्टर हेस खगोल भौतिकी कण भौतिकी सुपरनोवा विकिरण भूस्खलन बृहत् संचलन विसर्पण प्राकृतिक आपदा मिट्टी का कटाव ढलान स्थिरता ओजोन परत विश्व ओजोन दिवस मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल UNEP UV विकिरण समताप मंडल रिवर्स रेपो दर तरलता प्रबंधन मुद्रास्फीति नियंत्रण आर्थिक नीति बैंकिंग जीनोम अनुक्रमण मानव जीनोम परियोजना व्यक्तिगत चिकित्सा NGS अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति G20 G7 शिखर सम्मेलन शेरपा बहुपक्षीय मंच वैश्विक शासन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन CBD पारिस्थितिकी अंतर्राष्ट्रीय समझौते प्राचीन विश्व आधुनिक विश्व स्मारक मानव निर्मित चमत्कार मिस्र विलय और अधिग्रहण कॉर्पोरेट लेनदेन वित्तीय बाजार ज्ञानपीठ पुरस्कार आशापूर्णा देवी बंगाली साहित्य महिला साहित्यकार भारतीय साहित्य उपन्यासकार प्रथम प्रतिश्रुति दूरसंचार वायरलेस तकनीक इंटरनेट ऑफ थिंग्स बैंडविड्थ IoT स्मार्ट टेक्नोलॉजी कनेक्टेड डिवाइस डेटा ऑटोमेशन डिजिटल परिवर्तन एन्ट्रॉपी ऊष्मागतिकी के नियम परमाणु रिएक्टर नियंत्रण छड़ें न्यूट्रॉन सुरक्षा स्वच्छ ऊर्जा धोलावीरा जल प्रबंधन पुरातात्विक स्थल यूनेस्को वित्तीय अपराध भारत का कानून अधिनियम राजवंश श्रीगुप्त स्वर्ण युग समुद्रगुप्त चंद्रगुप्त द्वितीय सेंसर कनेक्टिविटी उद्योग 4.0 एआई स्मार्ट होम स्मार्ट सिटीज़ व्यपगत का सिद्धांत भारत का इतिहास 1857 का विद्रोह रियासतें साम्राज्यवादी नीति विलय नीति ऑस्कर अकादमी पुरस्कार विंग्स हॉलीवुड विश्व सिनेमा मूक फिल्म सिनेमा इतिहास प्रथम विश्व युद्ध विलियम ए. वेलमैन भारत रत्न नागरिक सम्मान खान अब्दुल गफ्फार खान सीमांत गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार भारतीय वास्तुकला सांस्कृतिक विरासत यूनेस्को विश्व धरोहर राष्ट्रीय प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज अशोक स्तंभ राष्ट्रीय गान भारतीय त्योहार धार्मिक महत्व कृषि पर्व सामाजिक एकता लोक नृत्य राज्यवार नृत्य भारतीय कला भारत पर्यटन हिमालयी पर्यटन प्राकृतिक सौंदर्य तीर्थस्थल साहसिक पर्यटन चट्टानें आग्नेय चट्टानें अवसादी चट्टानें रूपांतरित चट्टानें पृथ्वी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ चट्टान चक्र प्रधान मंत्री संसदीय प्रणाली अनुच्छेद 75 कार्यपालिका परिशुद्ध कृषि स्मार्ट फार्मिंग कृषि नवाचार किसानों की आय जल संरक्षण उर्वरक प्रबंधन डेटा-संचालित कृषि गौतम बुद्ध सिद्धार्थ विश्व धर्म दर्शन निर्वाण अष्टांगिक मार्ग चार आर्य सत्य भारत की पहचान एकता और विविधता संवैधानिक आदर्श राजस्थान पर्यटन ऐतिहासिक स्मारक अतीत का महत्व भारतीय पर्यटन स्थानीय अर्थव्यवस्था विरासत संरक्षण इसरो अंतरिक्ष कार्यक्रम आत्मनिर्भरता सामाजिक विकास परंपराएँ अध्यात्म सामाजिक सद्भाव प्रकृति अशोक चक्र सारनाथ स्तंभ भारतीय प्रतीक तिरंगा मूल्य एकता पहचान सत्यमेव जयते नीति निदेशक सिद्धांत स्वतंत्र न्यायपालिका कंचनजंघा पुरस्कार विजेता भारतीय रेल विद्युतीकरण फ्रेट कॉरिडोर आधुनिकीकरण स्थायी विकास चंद्रयान-3 चंद्रमा सॉफ्ट लैंडिंग गौरव लाल किला मुगल वास्तुकला दिल्ली मंगलयान मंगल मिशन PSLV भारतीय रेलवे वंदे भारत समर्पित माल ढुलाई गलियारा भारतीय पहचान जन गण मन विश्व धरोहर भारतीय विरासत एएसआई भारतीय नदियाँ गंगा नदी नदी संरक्षण राष्ट्रीय पहचान गणतंत्र दिवस पूर्ण स्वराज राष्ट्रीय पर्व धार्मिक पर्व भारत की संस्कृति प्राचीन स्मारक सांस्कृतिक धरोहर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक राष्ट्रीय एकता प्रतीकात्मक महत्व भारत के दिवस सामाजिक जागरूकता ऐतिहासिक स्मरण यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सांस्कृतिक स्थल प्राकृतिक स्थल स्थापत्य कला भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम चंद्रयान प्रक्षेपण यान सांस्कृतिक महत्व विविधता सामाजिक सौहार्द विश्व विरासत सांस्कृतिक संरक्षण भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम 7 अप्रैल वित्तीय प्रबंधन संसदीय प्रक्रिया भौतिक विज्ञान क्वांटम यांत्रिकी अनिश्चितता सिद्धांत वर्नर हाइजेनबर्ग क्वांटम भौतिकी अस्तित्ववाद जीन-पॉल सार्त्र अल्बर्ट कैमुस सिमोने द बोवोयर दर्शनशास्त्र 20वीं सदी का दर्शन WWW वेब विकास जोहान सेबेस्टियन बाख बैरोक संगीत कीबोर्ड यंत्र ऑर्गन हार्पसीकोर्ड संगीत का इतिहास अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राजनीति विशेष दर्जा 5 अगस्त 2019 साइबर सुरक्षा फ़िशिंग सुरक्षा उपाय डेटा सुरक्षा ऑनलाइन सुरक्षा नियुक्ति ARPANET कंप्यूटर नेटवर्किंग टेक्नोलॉजी सापेक्षता आइंस्टाइन वैज्ञानिक सिद्धांत विज्ञान के सिद्धांत महासभा विश्व शांति इलेक्ट्रिक वाहन सरकारी नीतियाँ विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस प्रेस स्वतंत्रता पत्रकारिता मीडिया स्वास्थ्य नीति नदियाँ नील नदी अमेज़ॅन नदी यांग्त्ज़े नदी मिसिसिपी नदी युद्ध मुगल साम्राज्य ब्रिटिश साम्राज्य सैन्य योगदान भारतीय भाषाएँ भाषा-परिवार भाषा-समूह जानवर स्तनधारी चुनौतियाँ योजना आयोग नीति आयोग राजनीतिक अर्थव्यवस्था अधिकार प्रस्तावना गणराज्य आदर्श शहर आकार मत्स्य पालन जल प्रदूषण लुप्तप्राय प्रजातियाँ वन्यजीव संरक्षण असमानता नीति हीनयान महायान संप्रदाय गांधीजी अहिंसा सत्याग्रह भौगोलिक विविधता मरुस्थल तट जलग्रहण क्षेत्र मैदान भौतिक भूगोल गंगा मैदान थार रेगिस्तान तटरेखा भू-आकृतियाँ CFCs पर्यावरण प्रदूषण पराबैंगनी विकिरण स्टेम सेल थेरेपी भ्रूणीय स्टेम सेल वयस्क स्टेम सेल प्लास्टिसिटी हड़प्पा हरित क्रांति उर्वरक यूरिया तकनीकी टर्बाइन बैटरी ऊर्जा भंडारण लिथियम-आयन लीड-एसिड