Answer: जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में 26 अगस्त से 4 सितंबर 2002 तक।
संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आयोजित होने वाले महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, वैश्विक मुद्दों पर चर्चा और समाधान खोजने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं। इनमें से एक प्रमुख सम्मेलन था - विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन (World Summit on Sustainable Development), जिसे 'पृथ्वी शिखर सम्मेलन +5' के नाम से भी जाना जाता है। यह सम्मेलन 26 अगस्त से 4 सितंबर 2002 तक दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग शहर में आयोजित किया गया था। इस शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य 1992 में रियो डी जनेरियो में आयोजित पृथ्वी शिखर सम्मेलन द्वारा निर्धारित सतत विकास के लक्ष्यों की प्रगति की समीक्षा करना और भविष्य की कार्ययोजनाओं को आकार देना था।
सतत विकास का अर्थ है 'ऐसा विकास जो भविष्य की पीढ़ियों की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करे'। यह अवधारणा तीन मुख्य स्तंभों पर टिकी है: आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और पर्यावरण संरक्षण। ये तीनों स्तंभ एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और इनमें से किसी एक की उपेक्षा समग्र विकास को बाधित कर सकती है। 1992 का पृथ्वी शिखर सम्मेलन (जिसे एजेंडा 21 के नाम से भी जाना जाता है) इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने पर्यावरणीय चुनौतियों को विकास प्रक्रिया के अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार किया।
रियो शिखर सम्मेलन के दस साल बाद, दुनिया ने महसूस किया कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रगति धीमी रही है। कई पर्यावरणीय संकेतक बिगड़ रहे थे, गरीबी और असमानता अभी भी बनी हुई थी, और आर्थिक विकास अक्सर पर्यावरणीय गिरावट की कीमत पर हो रहा था। इसी परिप्रेक्ष्य में, जोहान्सबर्ग में विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य केवल रियो शिखर सम्मेलन के कार्यान्वयन की समीक्षा करना नहीं था, बल्कि सतत विकास के एजेंडे को मजबूत करना और वैश्विक समुदाय के लिए नई प्रतिबद्धताएं स्थापित करना भी था।
सम्मेलन में 191 देशों के प्रतिनिधियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज के समूहों और निगमों के हजारों प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने गरीबी उन्मूलन, स्वच्छ जल और स्वच्छता, ऊर्जा, स्वास्थ्य, कृषि और जैव विविधता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया। शिखर सम्मेलन का मुख्य दस्तावेज 'जोहान्सबर्ग घोषणा' (Johannesburg Declaration) और 'कार्य योजना' (Plan of Implementation) थी, जिसने सतत विकास को प्राप्त करने के लिए विशिष्ट कार्रवाई योग्य लक्ष्य और प्रतिबद्धताएं निर्धारित कीं।
जोहान्सबर्ग घोषणा ने सतत विकास के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता की पुष्टि की और गरीबी को सतत विकास के लिए सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती के रूप में पहचाना। इसने आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्य योजना में स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुंच बढ़ाने, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने, जैव विविधता के नुकसान को रोकने, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने और जिम्मेदार खपत और उत्पादन पैटर्न को प्रोत्साहित करने के लिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए गए।
हालाँकि, सम्मेलन की सफलता पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं थीं। कुछ लोगों ने इसे सतत विकास के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने में एक महत्वपूर्ण कदम माना। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसने जिम्मेदार कॉर्पोरेट आचरण और बहु-हितधारक भागीदारी के महत्व को उजागर किया। दूसरी ओर, कई आलोचकों ने महसूस किया कि शिखर सम्मेलन में निर्धारित लक्ष्य पर्याप्त महत्वाकांक्षी नहीं थे और कार्यान्वयन तंत्र कमजोर थे। विशेष रूप से, कुछ देशों द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा के लिए निर्धारित लक्ष्य बहुत कम थे, और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए मजबूत प्रतिबद्धताओं का अभाव था।
सतत विकास के मुद्दे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने 2002 में थे, बल्कि शायद और भी अधिक। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का नुकसान, संसाधनों की कमी और बढ़ती असमानता जैसी चुनौतियाँ आज वैश्विक समुदाय के सामने खड़ी हैं। जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन ने सतत विकास की जटिलता और इसके लिए आवश्यक बहुआयामी दृष्टिकोण को रेखांकित किया। इसने यह भी दर्शाया कि इन वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, राष्ट्रीय नीतियों में बदलाव और व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार परिवर्तन कितना महत्वपूर्ण है।
इस शिखर सम्मेलन के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास के लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) की एक नई श्रृंखला विकसित की, जिसे 2015 में अपनाया गया था। SDGs, 2030 तक प्राप्त किए जाने वाले 17 परस्पर जुड़े लक्ष्यों का एक समूह है, जो गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और सभी के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं। SDGs, जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन और रियो शिखर सम्मेलन की विरासत पर आधारित हैं, सतत विकास के विचार को और अधिक स्पष्ट और कार्रवाई योग्य बनाते हैं।
विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2002, सतत विकास के एजेंडे में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इसने वैश्विक नेताओं को एक साथ लाया ताकि वे उन सबसे गंभीर चुनौतियों का सामना कर सकें जो मानवता और ग्रह को प्रभावित करती हैं। भले ही इसकी कुछ उपलब्धियों की आलोचना की गई हो, लेकिन इसने निश्चित रूप से सतत विकास पर अंतर्राष्ट्रीय संवाद को गति दी और भविष्य की पहलों के लिए एक आधार तैयार किया। आज, जब हम जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय संकटों का सामना कर रहे हैं, तो जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन से सीखे गए सबक और निर्धारित लक्ष्य और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। क्या हमने वास्तव में सतत विकास की दिशा में पर्याप्त प्रगति की है, या अभी भी हमें बहुत आगे जाना है?