Answer: विसर्पण (Creep)
बृहत् संचलन (Mass Movement) भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का एक महत्वपूर्ण समूह है, जिसमें गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में चट्टान, मलबा या मिट्टी की एक बड़ी मात्रा का ढलान पर नीचे की ओर खिसकना शामिल है। यह प्रक्रिया धीमी गति से होने वाले विसर्पण (creep) से लेकर तीव्र और विनाशकारी भूस्खलन (landslides) तक विभिन्न रूपों में हो सकती है। इन प्राकृतिक घटनाओं का मानव जीवन, बुनियादी ढांचे और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है और आर्थिक गतिविधियों में बाधा आ सकती है। बृहत् संचलन को समझना आपदा प्रबंधन, भूमि उपयोग योजना और इंजीनियरिंग परियोजनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
बृहत् संचलन को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल प्राथमिक चालक शक्ति है, जो सभी सामग्री को नीचे की ओर खींचता है। ढलान की स्थिरता भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है; अधिक तीव्र ढलान वाली सामग्री के खिसकने की संभावना अधिक होती है। जल (पानी) एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि यह मिट्टी और चट्टानों के बीच घर्षण को कम करता है, सामग्री के वजन को बढ़ाता है, और मिट्टी के कणों के बीच के बंधन को कमजोर करता है। भूकंपीय गतिविधि, ज्वालामुखी विस्फोट और अन्य प्राकृतिक झटके भी ढलान को अस्थिर कर सकते हैं और बृहत् संचलन को ट्रिगर कर सकते हैं। मानवीय गतिविधियाँ, जैसे कि वनों की कटाई, सड़क निर्माण, खनन और शहरीकरण, भी ढलानों की प्राकृतिक स्थिरता को बदल सकती हैं और भूस्खलन के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
बृहत् संचलन को आमतौर पर उनकी गति, सामग्री के प्रकार और जल की मात्रा के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। गति के आधार पर, वे बहुत धीमी (जैसे विसर्पण) से लेकर अत्यंत तीव्र (जैसे शैलपात या हिमस्खलन) तक हो सकते हैं। सामग्री के आधार पर, उन्हें चट्टान (शैल), मलबा (डेब्रीस) या मिट्टी (अर्थ) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। जल की मात्रा यह निर्धारित करती है कि सामग्री कितनी तरल या ठोस व्यवहार करती है। इन वर्गीकरणों के आधार पर विभिन्न प्रकार के बृहत् संचलन को समझा जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ और प्रभाव होते हैं।
विसर्पण (Creep) बृहत् संचलन का सबसे धीमा और अक्सर अदृश्य रूप है। इसमें मिट्टी और चट्टानों के कणों का ढलान पर बहुत धीमी गति से लगातार नीचे की ओर सरकना शामिल होता है। यह प्रक्रिया इतनी धीमी होती है कि इसे सीधे तौर पर देखना संभव नहीं होता, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। विसर्पण आमतौर पर उन ढलानों पर होता है जहाँ गुरुत्वाकर्षण बल ढलान को अस्थिर करने के लिए पर्याप्त होता है, लेकिन सामग्री को अचानक गिरने के लिए पर्याप्त नहीं होता। यह प्रक्रिया मिट्टी के जमने और पिघलने (freeze-thaw), गीला होने और सूखने (wet-dry), और जानवरों की खुदाई जैसी चक्रीय घटनाओं से तेज हो सकती है, जो मिट्टी के कणों को धीरे-धीरे नीचे की ओर धकेलती हैं।
विसर्पण के कई प्रकार हो सकते हैं। मौसमी विसर्पण (Seasonal Creep) ठंढ और पिघलने या गीला होने और सूखने के चक्रों के कारण होता है। निरंतर विसर्पण (Continuous Creep) उन ढलानों पर होता है जहाँ तापमान हमेशा हिमांक से ऊपर रहता है, और मिट्टी हमेशा गीली रहती है। सॉलिफ्लक्शन (Solifluction) एक विशेष प्रकार का विसर्पण है जो टुंड्रा क्षेत्रों में पर्माफ्रॉस्ट (स्थायी रूप से जमी हुई मिट्टी) के ऊपर स्थित सक्रिय परत के पिघलने पर होता है, जिससे पानी से संतृप्त मिट्टी ढलान पर बहने लगती है। विसर्पण के विशिष्ट संकेतों में टेढ़ी बाड़ें या खंभे, मुड़े हुए पेड़ के तने (जो गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे झुकते हैं और फिर सीधे बढ़ने की कोशिश करते हैं), और ढलानों पर छोटी सीढ़ियों जैसी संरचनाएँ (टेरेसेट्स) शामिल हैं।
भूस्खलन (Landslides) एक अधिक व्यापक शब्द है जिसमें ढलान पर चट्टान, मिट्टी या मलबे का अचानक और तेजी से नीचे की ओर खिसकना शामिल है। भूस्खलन कई रूपों में होते हैं, जैसे शैलपात (rockfalls), शैल-स्खलन (rockslides), मलबा-स्खलन (debris slides), भू-प्रवाह (earthflows) और अवपंक प्रवाह (mudflows)। शैलपात में ढलान से चट्टानों के टुकड़े तेजी से नीचे गिरते हैं। शैल-स्खलन में चट्टानों का एक बड़ा द्रव्यमान ढलान पर एक सुस्पष्ट सतह के साथ खिसकता है। मलबा-स्खलन चट्टान के टुकड़ों, मिट्टी और वनस्पति के मिश्रण का तेजी से खिसकना है। भू-प्रवाह में महीन दाने वाली सामग्री का एक संचित द्रव्यमान एक लोब जैसी गति में बहता है, जबकि अवपंक प्रवाह पानी से अत्यधिक संतृप्त मिट्टी और मलबे का एक तेज, तरल प्रवाह होता है जो अक्सर नदी घाटियों या चैनलों में होता है।
हिमस्खलन (Avalanche) भी बृहत् संचलन का एक तीव्र और विनाशकारी रूप है, जिसमें बर्फ और/या चट्टान की एक बड़ी मात्रा तेजी से ढलान से नीचे खिसकती है। यह आमतौर पर पहाड़ों में होता है और हिमपात, वर्षा, तापमान में वृद्धि या भूकंपीय गतिविधि जैसे कारकों से शुरू हो सकता है। हिमस्खलन अक्सर स्की रिसॉर्ट्स और पर्वतीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खतरा पैदा करते हैं, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं और जीवन का नुकसान होता है।
बृहत् संचलन के विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं। वे घरों, सड़कों, पुलों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट कर सकते हैं। वे कृषि भूमि को अनुपयोगी बना सकते हैं और जलमार्गों को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे बाढ़ या पानी की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे मानव जीवन को खतरे में डालते हैं और गंभीर चोटों या मृत्यु का कारण बन सकते हैं। इन खतरों को कम करने के लिए, बृहत् संचलन प्रवण क्षेत्रों की पहचान करना और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों को लागू करना महत्वपूर्ण है।
जोखिम कम करने की रणनीतियों में ढलान स्थिरता का इंजीनियरिंग विश्लेषण, दीवारों या बोल्टिंग जैसी संरचनात्मक सहायता का निर्माण, जल निकासी प्रणालियों में सुधार और ढलान को स्थिर करने के लिए वनस्पति रोपण शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ, जोखिम मानचित्रण और सार्वजनिक शिक्षा कार्यक्रम समुदायों को बृहत् संचलन के संभावित खतरों के लिए तैयार करने में मदद कर सकते हैं। इन प्रक्रियाओं को समझना हमें ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम करने और सुरक्षित समुदायों का निर्माण करने में सहायता करता है। प्राकृतिक ढलानों के साथ मानव हस्तक्षेप और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बीच बढ़ते संबंध को देखते हुए, क्या भविष्य में बृहत् संचलन की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि होगी?