Answer: पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन (O2) को उत्सर्जित करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण, जिसे अंग्रेजी में Photosynthesis कहते हैं, एक अत्यंत महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हरे पौधे, शैवाल (algae) और कुछ जीवाणु (bacteria) सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को शर्करा (glucose) और ऑक्सीजन में परिवर्तित करते हैं। यह प्रक्रिया पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए मौलिक है, क्योंकि यह वायुमंडल में ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है और खाद्य श्रृंखलाओं का आधार बनाती है।
यह प्रक्रिया मुख्य रूप से पौधों की पत्तियों में पाए जाने वाले क्लोरोफिल नामक हरे रंग के वर्णक (pigment) द्वारा संचालित होती है। क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करता है, जो इस रासायनिक प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। प्रकाश संश्लेषण की समग्र प्रक्रिया को एक रासायनिक समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है: 6CO2 + 6H2O + प्रकाश ऊर्जा → C6H12O6 + 6O2। यह समीकरण दर्शाता है कि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और पानी (H2O) प्रकाश ऊर्जा की उपस्थिति में ग्लूकोज (C6H12O6) और ऑक्सीजन (O2) में परिवर्तित होते हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड पौधों के लिए एक आवश्यक कच्चा माल है। पौधे इसे अपनी पत्तियों पर मौजूद छोटे छिद्रों, जिन्हें रंध्र (stomata) कहा जाता है, के माध्यम से वायुमंडल से अवशोषित करते हैं। ये रंध्र दिन के समय खुले रहते हैं ताकि CO2 अंदर आ सके और ऑक्सीजन बाहर जा सके, जबकि रात में ये बंद हो जाते हैं ताकि पानी की हानि को रोका जा सके।
पानी पौधों की जड़ों द्वारा मिट्टी से अवशोषित किया जाता है और तने के माध्यम से पत्तियों तक पहुंचाया जाता है। पानी प्रकाश संश्लेषण के लिए हाइड्रोजन आयन (H+) और इलेक्ट्रॉनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है।
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया दो मुख्य चरणों में होती है: प्रकाश-निर्भर अभिक्रियाएँ (light-dependent reactions) और प्रकाश-स्वतंत्र अभिक्रियाएँ (light-independent reactions) या केल्विन चक्र (Calvin cycle)। प्रकाश-निर्भर अभिक्रियाएँ क्लोरोप्लास्ट (chloroplast) की थाइलाकोइड झिल्लियों (thylakoid membranes) में होती हैं। इन अभिक्रियाओं में, प्रकाश ऊर्जा का उपयोग पानी के अणुओं को तोड़ने (photolysis) के लिए किया जाता है, जिससे ऑक्सीजन उत्सर्जित होती है, प्रोटॉन (H+) और इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान एटीपी (ATP - adenosine triphosphate) और एनएडीपीएच (NADPH - nicotinamide adenine dinucleotide phosphate) नामक ऊर्जा वाहक अणु भी बनते हैं।
प्रकाश-स्वतंत्र अभिक्रियाएँ, जिन्हें केल्विन चक्र भी कहा जाता है, क्लोरोप्लास्ट के स्ट्रोमा (stroma) नामक भाग में होती हैं। इन अभिक्रियाओं में, प्रकाश-निर्भर अभिक्रियाओं से प्राप्त एटीपी और एनएडीपीएच का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड को शर्करा (ग्लूकोज) में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया सीधे प्रकाश पर निर्भर नहीं करती है, लेकिन इसके उत्पाद प्रकाश-निर्भर अभिक्रियाओं से ही प्राप्त होते हैं।
प्रकाश संश्लेषण का उत्पाद, ग्लूकोज, पौधे के लिए ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसका उपयोग पौधे अपनी वृद्धि, विकास और चयापचय (metabolism) की विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए करते हैं। अतिरिक्त ग्लूकोज को स्टार्च के रूप में संग्रहीत किया जा सकता है, जिसे बाद में आवश्यकतानुसार उपयोग किया जा सकता है।
ऑक्सीजन, प्रकाश संश्लेषण का एक सह-उत्पाद (by-product) है। यह रंध्रों के माध्यम से वायुमंडल में उत्सर्जित होती है। यह ऑक्सीजन अधिकांश जीवों, विशेष रूप से मनुष्यों और जानवरों के श्वसन (respiration) के लिए आवश्यक है। श्वसन की प्रक्रिया में, जीव ऑक्सीजन का उपयोग करके ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ग्लूकोज को तोड़ते हैं, और इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी उत्सर्जित होते हैं, जो बदले में प्रकाश संश्लेषण के लिए कच्चे माल के रूप में काम करते हैं। इस प्रकार, प्रकाश संश्लेषण और श्वसन एक दूसरे के पूरक हैं और पृथ्वी के वायुमंडल में गैसों का संतुलन बनाए रखते हैं।
प्रकाश संश्लेषण के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह न केवल पृथ्वी पर अधिकांश जीवन के लिए ऑक्सीजन का प्राथमिक स्रोत है, बल्कि यह पौधों को भोजन प्रदान करता है, जो सीधे या परोक्ष रूप से अन्य सभी जीवों के लिए भोजन का स्रोत बनते हैं। शाकाहारी जीव पौधों को खाते हैं, और मांसाहारी जीव शाकाहारी जीवों को खाते हैं, इस प्रकार पूरी खाद्य श्रृंखला पौधों से जुड़ी हुई है।
इसके अलावा, प्रकाश संश्लेषण वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाकर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है जो पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती है। प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पौधे इस गैस को अवशोषित करके इसे वायुमंडल से हटाते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
हालांकि, मानवीय गतिविधियों, जैसे वनों की कटाई (deforestation) और जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) के जलने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है, जिससे प्रकाश संश्लेषण के प्राकृतिक संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वनों की कटाई से प्रकाश संश्लेषण करने वाले पौधों की संख्या कम हो जाती है, और जीवाश्म ईंधन का जलना वायुमंडल में और अधिक CO2 छोड़ता है।
विभिन्न प्रकार के पौधों, शैवाल और साइनोबैक्टीरिया (cyanobacteria) में प्रकाश संश्लेषण की दक्षता और विधियाँ थोड़ी भिन्न हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ शैवाल और साइनोबैक्टीरिया पानी में रहते हैं और उनमें प्रकाश संश्लेषण के लिए विशेष अनुकूलन होते हैं।
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का अध्ययन रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। इसका गहन ज्ञान हमें फसल उत्पादन में सुधार, जैव ईंधन (biofuels) के विकास और वायुमंडलीय CO2 को कम करने के लिए नई तकनीकों का आविष्कार करने में मदद कर सकता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रकाश संश्लेषण केवल ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह ग्रह के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने का एक जटिल और अभिन्न अंग है। जिस प्रकार पौधे CO2 को अवशोषित कर जीवनदायी O2 मुक्त करते हैं, उसी प्रकार अन्य कौन सी प्राकृतिक प्रक्रियाएँ हमारे वायुमंडल को शुद्ध रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं?