Answer: यूरेनियम-235
परमाणु ऊर्जा, आधुनिक दुनिया के सबसे शक्तिशाली और विवादास्पद ऊर्जा स्रोतों में से एक है। यह ऊर्जा नाभिकीय विखंडन (nuclear fission) की प्रक्रिया से प्राप्त की जाती है, जिसमें एक भारी परमाणु के नाभिक को तोड़कर ऊर्जा मुक्त की जाती है। इस प्रक्रिया के लिए विशेष प्रकार के तत्वों के समस्थानिकों की आवश्यकता होती है। समस्थानिक वे परमाणु होते हैं जिनके नाभिक में प्रोटॉन की संख्या समान होती है, लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है। प्रोटॉन की संख्या तत्व की पहचान निर्धारित करती है, जबकि न्यूट्रॉन की संख्या उसके द्रव्यमान को प्रभावित करती है।
परमाणु ऊर्जा उत्पादन में जिस तत्व का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, वह यूरेनियम (Uranium) है। यूरेनियम पृथ्वी पर पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रूप से होने वाला तत्व है, जिसका परमाणु क्रमांक 92 है। प्रकृति में यूरेनियम मुख्य रूप से तीन समस्थानिकों के मिश्रण के रूप में पाया जाता है: यूरेनियम-238 (U-238), यूरेनियम-235 (U-235), और बहुत कम मात्रा में यूरेनियम-234 (U-234)। इनमें से, यूरेनियम-235 (U-235) वह समस्थानिक है जो नाभिकीय विखंडन के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में मुख्य ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
यूरेनियम-235 की विशेषता यह है कि यह एक 'विखंडनीय' (fissile) पदार्थ है। इसका मतलब है कि जब यह एक धीमे गति वाले न्यूट्रॉन (slow neutron) से टकराता है, तो इसका नाभिक अस्थिर हो जाता है और दो या अधिक हल्के नाभिकों में टूट जाता है। इस विखंडन की प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है, जो ऊष्मा के रूप में होती है। साथ ही, इस प्रक्रिया में कई नए न्यूट्रॉन भी उत्पन्न होते हैं। ये नए न्यूट्रॉन आगे चलकर अन्य यूरेनियम-235 परमाणुओं के नाभिकों से टकराकर और अधिक विखंडन की श्रृंखला (chain reaction) शुरू कर सकते हैं। यही श्रृंखला अभिक्रिया परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में निरंतर ऊर्जा उत्पादन का आधार बनती है।
यूरेनियम-238, जो यूरेनियम का सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला समस्थानिक (लगभग 99.3%) है, नाभिकीय विखंडन के लिए सीधे तौर पर उपयोगी नहीं है। यह धीमे न्यूट्रॉन से टकराने पर आसानी से विखंडित नहीं होता है। हालांकि, यूरेनियम-238 'विखंडनीय' (fissionable) होता है, जिसका अर्थ है कि यह तेज गति वाले न्यूट्रॉन से टकराने पर विखंडित हो सकता है, लेकिन यह यूरेनियम-235 जितना कुशल नहीं है। कुछ विशेष प्रकार के रिएक्टरों में, यूरेनियम-238 को अवशोषित करके (neutron capture) प्लूटोनियम-239 (Plutonium-239) में परिवर्तित किया जा सकता है, जो स्वयं एक विखंडनीय पदार्थ है और इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए, प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-235 की सांद्रता को बढ़ाना पड़ता है, क्योंकि प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा केवल लगभग 0.7% होती है। इस प्रक्रिया को 'समृद्धिकरण' (enrichment) कहा जाता है। समृद्धिकरण के माध्यम से, यूरेनियम-235 की सांद्रता को आमतौर पर 3% से 5% तक बढ़ाया जाता है, जिसे 'कम समृद्ध यूरेनियम' (Low Enriched Uranium - LEU) कहते हैं। कुछ विशेष अनुप्रयोगों, जैसे कि अनुसंधान रिएक्टरों या परमाणु हथियारों के लिए, यूरेनियम-235 की सांद्रता को बहुत अधिक (90% से अधिक) तक बढ़ाया जाता है, जिसे 'उच्च समृद्ध यूरेनियम' (High Enriched Uranium - HEU) कहते हैं।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में, समृद्ध यूरेनियम को 'ईंधन की छड़ों' (fuel rods) के रूप में व्यवस्थित किया जाता है। इन छड़ों को एक रिएक्टर कोर (reactor core) में रखा जाता है। जब एक न्यूट्रॉन यूरेनियम-235 के नाभिक से टकराता है, तो विखंडन होता है, जिससे ऊर्जा (ऊष्मा) और अधिक न्यूट्रॉन निकलते हैं। ये न्यूट्रॉन आगे और विखंडन करते हैं, जिससे एक आत्मनिर्भर श्रृंखला अभिक्रिया (self-sustaining chain reaction) बनी रहती है। इस प्रक्रिया में उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग पानी को भाप में बदलने के लिए किया जाता है, जो फिर टर्बाइन को घुमाती है, और टर्बाइन जनरेटर से जुड़ा होता है जो बिजली उत्पन्न करता है।
नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए, रिएक्टरों में 'नियंत्रण छड़ों' (control rods) का उपयोग किया जाता है। ये छड़ें आमतौर पर कैडमियम (Cadmium) या बोरॉन (Boron) जैसी सामग्रियों से बनी होती हैं, जो न्यूट्रॉन को अवशोषित करने की क्षमता रखती हैं। इन छड़ों को रिएक्टर कोर में डालकर या बाहर निकालकर, श्रृंखला अभिक्रिया की दर को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि अभिक्रिया बहुत तेज हो जाती है, तो नियंत्रण छड़ों को कोर में डाला जाता है ताकि अतिरिक्त न्यूट्रॉन अवशोषित हो सकें और अभिक्रिया धीमी हो सके। इसके विपरीत, यदि अभिक्रिया धीमी हो जाती है, तो छड़ों को बाहर निकाला जाता है।
परमाणु ऊर्जा के लाभों में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन न होना, ऊर्जा का एक अत्यंत सघन स्रोत होना, और ऊर्जा सुरक्षा में योगदान शामिल है। हालांकि, इसके साथ परमाणु कचरे का निपटान, सुरक्षा संबंधी चिंताएं (जैसे दुर्घटनाओं का जोखिम), और परमाणु हथियारों के प्रसार का खतरा जैसी चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, यूरेनियम-235 परमाणु ऊर्जा उत्पादन का एक महत्वपूर्ण घटक बना हुआ है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए बिजली प्रदान करता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि यूरेनियम-235 ही एकमात्र विखंडनीय पदार्थ नहीं है। कुछ अन्य तत्व, जैसे प्लूटोनियम-239 (Pu-239) और थोरियम-232 (Th-232) के कुछ समस्थानिक, भी नाभिकीय विखंडन में भूमिका निभाते हैं। प्लूटोनियम-239 को यूरेनियम-238 से उत्पन्न किया जा सकता है, और थोरियम-232 को एक 'प्रजनक रिएक्टर' (breeder reactor) में विखंडनीय यूरेनियम-233 (U-233) में परिवर्तित किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि थोरियम-आधारित परमाणु ईंधन चक्र यूरेनियम-आधारित चक्र की तुलना में कुछ संभावित लाभ प्रदान कर सकता है?