भारत में परमाणु ऊर्जा का विकास किस प्रकार हुआ है और इसके भविष्य की संभावनाएँ क्या हैं?
Answer: भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, शुरुआती शोध से लेकर स्वदेशी तकनीक के विकास तक। भविष्य में, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा का योगदान ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण रहेगा, हालाँकि परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का समाधान आवश्यक है।
भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत 1940 के दशक में हुई थी, जब डॉ. होमी जहाँगीर भाभा ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर बल दिया। उनके नेतृत्व में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) की स्थापना हुई और परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन किया गया।प्रारंभिक वर्षों में, परमाणु ऊर्जा के विकास पर मुख्य रूप से शोध और विकास केंद्रित था। पहला परमाणु रिएक्टर, अप्सरा, 1956 में चालू हुआ। इसके बाद, देश ने धीरे-धीरे अपने परमाणु रिएक्टरों और परमाणु बिजली घरों का निर्माण किया। भारत ने परमाणु हथियारों के विकास के साथ-साथ शांतिपूर्ण उपयोग के लिए भी परमाणु ऊर्जा का विकास किया।आज, भारत में कई परमाणु बिजली घर संचालित हैं जो देश की कुल बिजली उत्पादन में योगदान करते हैं। देश ने परमाणु ईंधन चक्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें यूरेनियम के खनन से लेकर ईंधन पुनर्संसाधन तक शामिल है। भारत ने तीसरी पीढ़ी के परमाणु रिएक्टरों के विकास पर भी काम शुरू कर दिया है।हालाँकि, परमाणु ऊर्जा के विकास के साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी हैं। परमाणु अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान एक प्रमुख मुद्दा है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसके अलावा, जनता में परमाणु ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।भविष्य में, भारत परमाणु ऊर्जा के विकास को जारी रखने की योजना बना रहा है। नए परमाणु बिजली घरों के निर्माण के साथ-साथ, देश नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ परमाणु ऊर्जा को एकीकृत करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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