Answer: मेघालय
मावसिनराम, भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में स्थित एक छोटा सा गाँव है, जो अपने अत्यधिक आर्द्र और वर्षा-प्रधान जलवायु के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। यह न केवल भारत का, बल्कि पृथ्वी पर सबसे अधिक औसत वार्षिक वर्षा वाला स्थान होने का गौरव प्राप्त करता है। यहाँ की वर्षा का औसत लगभग 11,871 मिलीमीटर (467.4 इंच) प्रति वर्ष दर्ज किया गया है, जो इसे दुनिया के अन्य सभी स्थानों से बहुत आगे रखता है। इस असाधारण वर्षा का मुख्य कारण इसकी अनूठी भौगोलिक स्थिति है। मावसिनराम खासी पहाड़ियों की दक्षिण दिशा में स्थित है, जो बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं के रास्ते में आती है। मानसून के दौरान, ये गर्म और आर्द्र हवाएँ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठती हैं और पहाड़ों से टकराती हैं।
जब ये हवाएँ खासी पहाड़ियों के सामने खड़ी होती हैं, तो उन्हें ऊपर उठने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जैसे-जैसे हवा ऊपर उठती है, यह ठंडी होती जाती है। ठंडी हवा में जलवाष्प को धारण करने की क्षमता कम होती है, इसलिए हवा में मौजूद जलवाष्प संघनित होकर विशाल बादलों का निर्माण करता है। ये बादल फिर मावसिनराम और उसके आसपास के क्षेत्रों में भारी वर्षा के रूप में बरस जाते हैं। पहाड़ियों की उपस्थिति एक 'ऑरोग्राफिक लिफ्ट' (orographic lift) प्रभाव पैदा करती है, जो हवा को ऊपर उठाने और वर्षा कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस घटना को 'ऑरोग्राफिक वर्षा' (orographic rainfall) कहा जाता है।
मावसिनराम की अत्यधिक वर्षा ने इसके जीवन, संस्कृति और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डाला है। यहाँ के लोग इस मौसमी वर्षा के साथ सामंजस्य बिठाकर जीवन यापन करते हैं। पारंपरिक रूप से, यहाँ के लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं, और उनकी फसलें वर्षा पर अत्यधिक निर्भर होती हैं। हालाँकि, अत्यधिक वर्षा कभी-कभी बाढ़ और भूस्खलन का कारण भी बन सकती है, जिससे जनजीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचता है। इन चुनौतियों के बावजूद, स्थानीय लोग वर्षा जल को संरक्षित करने और उसका कुशलतापूर्वक उपयोग करने के तरीके विकसित करते रहे हैं।
यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता भी इस वर्षा से अछूती नहीं है। हरे-भरे परिदृश्य, झरने और नम हवाएँ एक मनमोहक वातावरण बनाती हैं। प्रसिद्ध 'जीवित पुल' (living root bridges), जो स्थानीय खासी जनजाति द्वारा रबर के पेड़ों की जड़ों को निर्देशित करके बनाए जाते हैं, इस क्षेत्र की एक अनूठी विशेषता हैं। ये पुल अत्यधिक वर्षा और मजबूत धाराओं का सामना करने के लिए एक अद्भुत उदाहरण हैं। वर्षा का पानी इन पुलों के निर्माण और रखरखाव में भी सहायक होता है।
विश्व का दूसरा सबसे अधिक औसत वार्षिक वर्षा वाला स्थान भी भारत के मेघालय राज्य में ही स्थित है, जिसका नाम चेरापूंजी (Cherrapunji) है। मावसिनराम से कुछ ही दूरी पर स्थित, चेरापूंजी भी अपनी अत्यधिक वर्षा के लिए जाना जाता है, हालांकि मावसिनराम ने हाल के वर्षों में इसे पीछे छोड़ दिया है। इन दोनों स्थानों के बीच वर्षा की मात्रा में मामूली अंतर अक्सर मौसम की बदलती परिस्थितियों और भौगोलिक सूक्ष्मताओं के कारण होता है।
यह अत्यधिक वर्षा वैज्ञानिकों के लिए भी अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय रही है। वे यह समझने का प्रयास करते हैं कि कैसे कुछ विशिष्ट भौगोलिक और वायुमंडलीय कारक मिलकर इतनी अधिक वर्षा को जन्म देते हैं। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, ऐसे स्थानों का अध्ययन भविष्य में वर्षा पैटर्न में होने वाले संभावित बदलावों को समझने में मदद कर सकता है। मावसिनराम का रिकॉर्ड तोड़ वर्षा वैश्विक जलवायु प्रणाली में जटिलताओं का एक जीवंत प्रमाण है।
इस क्षेत्र में पर्यटन भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो उन आगंतुकों को आकर्षित करता है जो इसकी अनूठी प्राकृतिक घटनाओं और परिदृश्यों को अनुभव करना चाहते हैं। हालाँकि, भारी वर्षा के दौरान यात्रा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यहाँ की संस्कृति, जहाँ प्रकृति के साथ गहरा संबंध है, वर्षा को एक जीवनदायी शक्ति के रूप में देखती है, भले ही यह अपने चरम पर हो।
मावसिनराम की यह जल-समृद्ध स्थिति इसके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जीवों का समर्थन करता है जो आर्द्र वातावरण में पनपते हैं। क्षेत्र की नदियाँ और जलधाराएँ पूरे वर्ष भरी रहती हैं, जो स्थानीय समुदायों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करती हैं।
मौसम विभाग द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, मावसिनराम ने अतीत में भी कई बार सबसे अधिक वर्षा का रिकॉर्ड अपने नाम किया है। हालाँकि, वर्षा की मात्रा में उतार-चढ़ाव हो सकता है, और कुछ वर्षों में अन्य स्थानों पर भी अधिक वर्षा दर्ज की जा सकती है। फिर भी, औसतन, मावसिनराम अपनी अत्यधिक वर्षा के लिए विश्व स्तर पर निर्विवाद रूप से सबसे ऊपर है।
मावसिनराम की यह असाधारण वर्षा कुछ हद तक स्थानीय वनस्पति आवरण से भी प्रभावित होती है। घना वन आवरण हवा में आर्द्रता बनाए रखने और वर्षा प्रक्रिया में सहायता कर सकता है। हालाँकि, वनों की कटाई जैसे मानवीय हस्तक्षेपों का भी इस क्षेत्र की जल-चक्र पर प्रभाव पड़ सकता है, जो भविष्य के लिए चिंता का विषय है।
इस प्रकार, मावसिनराम सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं है, बल्कि एक ऐसी घटना है जो पृथ्वी की जलवायु प्रणाली की शक्ति और जटिलता का एक ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह हमें सिखाता है कि कैसे प्रकृति अपने चरम पर भी आश्चर्यजनक और जीवनदायी हो सकती है। क्या हम मावसिनराम जैसी जगहों से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में कुछ सीख सकते हैं?