Answer: भाखड़ा-नांगल परियोजना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को लाभान्वित करती है।
जल विद्युत ऊर्जा, जिसे पनबिजली भी कहा जाता है, एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो बहते पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करता है। यह दुनिया में ऊर्जा का सबसे बड़ा नवीकरणीय स्रोत है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत, अपनी विविध भौगोलिक विशेषताओं और प्रचुर जल संसाधनों के साथ, जल विद्युत उत्पादन के लिए एक प्रमुख देश है। विभिन्न नदियाँ और उनकी सहायक नदियाँ देश के कोने-कोने में पनबिजली संयंत्रों के लिए आधार प्रदान करती हैं।
भाखड़ा-नांगल परियोजना भारत की सबसे महत्वाकांक्षी और सफल जल विद्युत परियोजनाओं में से एक है। यह सतलुज नदी पर स्थित है और पंजाब, हरियाणा और राजस्थान राज्यों को लाभ पहुँचाती है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल बिजली उत्पादन करना है, बल्कि सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना और बाढ़ नियंत्रण में भी सहायता करना है। यह परियोजना आधुनिक भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जाती है, जो देश की कृषि और औद्योगिक विकास को गति प्रदान करती है।
परियोजना का नाम दो बांधों के नाम पर रखा गया है: भाखड़ा बांध और नांगल बांध। भाखड़ा बांध, जो बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश में स्थित है, एक गुरुत्वाकर्षण बांध है और जलाशय (गोबिंद सागर) का निर्माण करता है। यह बांध कंक्रीट और चिनाई से निर्मित है और दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से एक है। नांगल बांध, जो भाखड़ा से लगभग 22 किलोमीटर नीचे की ओर पंजाब में स्थित है, एक बैराज है जिसका उपयोग पानी को नियंत्रित करने और नहरों में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है।
भाखड़ा-नांगल परियोजना का निर्माण 1948 में शुरू हुआ और 1963 में पूरा हुआ। इसके निर्माण में भारी इंजीनियरिंग कौशल और श्रम की आवश्यकता थी। परियोजना के निर्माण से न केवल बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन हुआ, बल्कि इसने लगभग 10 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध कराया। गोबिंद सागर जलाशय, जो भाखड़ा बांध द्वारा बनाया गया है, एक विशाल जल भंडार है जो पूरे वर्ष सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
परियोजना से उत्पन्न बिजली का वितरण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच किया जाता है। बिजली उत्पादन के अलावा, यह परियोजना नहरों के माध्यम से जल परिवहन की सुविधा भी प्रदान करती है। भाखड़ा-नांगल परियोजना के विकास ने इन राज्यों में कृषि उत्पादकता में वृद्धि की है, जिससे खाद्य सुरक्षा मजबूत हुई है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है।
जल विद्युत परियोजनाएं पर्यावरण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। एक ओर, वे स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करती हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है। दूसरी ओर, बांधों के निर्माण से नदी पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन हो सकता है, जलीय जीवन प्रभावित हो सकता है, और विस्थापन जैसी सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। भाखड़ा-नांगल परियोजना के निर्माण के दौरान भी इन मुद्दों पर विचार किया गया था।
इस परियोजना की जलविद्युत उत्पादन क्षमता समय के साथ उन्नत तकनीकों के कारण बढ़ी है। आधुनिक पनबिजली संयंत्रों में अधिक कुशल टर्बाइन और जनरेटर का उपयोग किया जाता है, जिससे कम पानी से अधिक बिजली उत्पन्न की जा सकती है। भविष्य में, भारत सरकार जलविद्युत ऊर्जा के विकास पर जोर दे रही है, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में जहां प्रचुर मात्रा में जल संसाधन उपलब्ध हैं।
हालांकि, जलविद्युत परियोजनाओं के विकास में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे कि उच्च प्रारंभिक लागत, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन, और पुनर्वास संबंधी मुद्दे। इन चुनौतियों का समाधान करते हुए, जल विद्युत ऊर्जा भारत की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी। भाखड़ा-नांगल परियोजना इस दिशा में एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसने भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
यह परियोजना न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि यह विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग और एकीकृत विकास का भी प्रतीक है। इसने लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने, आर्थिक विकास को गति देने और देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्या भारत में भविष्य में ऐसी और भी बड़ी जलविद्युत परियोजनाएँ विकसित की जा सकती हैं जो पर्यावरण और सामाजिक चिंताओं का भी ध्यान रखें?