Answer: भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों में सबसे अधिक योगदान पवन ऊर्जा का है।
भारत एक तेज़ी से विकसित होती हुई अर्थव्यवस्था है, जिसकी ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है। यह मांग मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर निर्भर है। लेकिन, इन संसाधनों का सीमित होना और इनके उपयोग से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण चिंता का विषय है। इसलिए, भारत सरकार नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रही है।
नवीकरणीय ऊर्जा के कई स्रोत हैं, जिनमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत, बायोमास और भूतापीय ऊर्जा शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक स्रोत की अपनी क्षमता और सीमाएँ हैं। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा सूर्य की उपलब्धता पर निर्भर करती है, जबकि पवन ऊर्जा हवा की गति पर निर्भर करती है। जल विद्युत के लिए बड़े बांधों की आवश्यकता होती है, जो पर्यावरणीय प्रभाव डाल सकते हैं।
भारत में सौर ऊर्जा की अपार संभावना है, क्योंकि यह एक धूप वाला देश है। सरकार ने सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतियाँ बनाई हैं। हालाँकि, सौर ऊर्जा की एक सीमा यह है कि यह दिन के समय ही उपलब्ध होती है। इसीलिए, ऊर्जा भंडारण प्रणाली की आवश्यकता होती है।
पवन ऊर्जा एक और महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। भारत के कई क्षेत्रों में तेज हवाएँ चलती हैं, जो पवन ऊर्जा संयंत्रों के लिए आदर्श हैं। तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य पवन ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी हैं। पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में कम भूमि की आवश्यकता होती है, और ये पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।
जल विद्युत ऊर्जा का एक परम्परागत स्रोत है, जो भारत में कई वर्षों से उपयोग में आ रहा है। भारत में कई नदियाँ हैं जिनसे जल विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। लेकिन, बड़े बांधों के निर्माण से पर्यावरणीय क्षति हो सकती है, जैसे कि वन विनाश, जैव विविधता में कमी और लोगों के विस्थापन।
बायोमास ऊर्जा जैविक पदार्थों जैसे लकड़ी, फसल अवशेषों और गोबर से उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है, लेकिन इसके उपयोग से प्रदूषण हो सकता है। भारत में बायोमास ऊर्जा का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने और हीटिंग के लिए किया जाता है।
भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के भीतर से प्राप्त होती है। यह ऊर्जा का एक स्थायी स्रोत है, लेकिन इसकी लागत अधिक हो सकती है और इसकी उपलब्धता सीमित है। भारत में भूतापीय ऊर्जा के संभावित स्रोत हिमालय क्षेत्र में हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ हैं। इनमें से एक है ऊर्जा भंडारण की समस्या। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा को संग्रहीत करने की आवश्यकता है ताकि ऊर्जा की आपूर्ति लगातार बनी रहे। इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में उच्च प्रारंभिक लागत भी एक बाधा है।
भारत सरकार नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। इसमें सब्सिडी, कर छूट और नीतिगत समर्थन शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक भारत की ऊर्जा आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा किया जाए। यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, तकनीकी विकास, निवेश और जन जागरूकता आवश्यक है।
अंत में, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण दोनों ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास पर निर्भर करते हैं। लेकिन, क्या भारत अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम होगा, और क्या यह अन्य चुनौतियों जैसे कि ग्रिड एकीकरण और ऊर्जा भंडारण को प्रभावी ढंग से संभाल पाएगा?