Answer: उपभोक्ताओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके शोषण को रोकना।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, जिसे हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है, उपभोक्ताओं के अधिकारों और जरूरतों के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने, उन्हें बाजार में होने वाले अनुचित व्यापार प्रथाओं, धोखेबाजी और शोषण से बचाने और उन्हें सुरक्षित, विश्वसनीय और टिकाऊ उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है। उपभोक्ता आंदोलन का इतिहास लंबा और प्रेरणादायक रहा है, और विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस इस आंदोलन की उपलब्धियों का जश्न मनाने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने का एक मंच प्रदान करता है।
उपभोक्ता आंदोलन की जड़ें 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में खोजी जा सकती हैं, जब औद्योगिक क्रांति के कारण बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण शुरू हुआ। इस दौरान, उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा और उचित मूल्य निर्धारण को लेकर चिंताएं बढ़ने लगीं। उपभोक्ताओं के पास जानकारी का अभाव था और वे अक्सर बड़े निगमों के सामने कमजोर महसूस करते थे। इस समस्या को दूर करने के लिए, व्यक्तिगत उपभोक्ताओं और विभिन्न संगठनों ने मिलकर आवाज उठानी शुरू की।
आधुनिक उपभोक्ता आंदोलन को एक महत्वपूर्ण मोड़ 1962 में मिला जब अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी ने अमेरिकी कांग्रेस को एक विशेष संदेश दिया, जिसमें उन्होंने चार मूल उपभोक्ता अधिकारों को रेखांकित किया: सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, चुनने का अधिकार और सुनवाई का अधिकार। कैनेडी के इस भाषण ने उपभोक्ता अधिकारों को एक व्यवस्थित और सैद्धांतिक ढांचा प्रदान किया और दुनिया भर में उपभोक्ता आंदोलनों को प्रेरित किया।
कैनेडी के चार मूलभूत अधिकारों को बाद में और विस्तारित किया गया। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1985 में उपभोक्ता संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र दिशानिर्देश (UN Guidelines for Consumer Protection) को अपनाया, जिसने उपभोक्ता अधिकारों के दायरे को और व्यापक बनाया। इन दिशानिर्देशों में न केवल कैनेडी द्वारा बताए गए अधिकार शामिल थे, बल्कि टिकाऊ खपत का अधिकार, उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार, स्वच्छ वातावरण का अधिकार और स्वास्थ्य और सुरक्षा का अधिकार जैसे अन्य महत्वपूर्ण अधिकार भी जोड़े गए।
15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय 1983 में हुआ। यह तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि 15 मार्च 1962 को ही राष्ट्रपति कैनेडी ने वह ऐतिहासिक भाषण दिया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करना, उन्हें सशक्त बनाना और सरकारों, व्यवसायों और समाज को उपभोक्ता संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर साल एक विशिष्ट थीम के साथ मनाया जाता है, जो उस वर्ष की सबसे प्रासंगिक उपभोक्ता मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है। उदाहरण के लिए, हाल के वर्षों में, डिजिटल युग में उपभोक्ताओं की सुरक्षा, वित्तीय सेवाओं में पारदर्शिता, ई-कॉमर्स में धोखाधड़ी, और टिकाऊ जीवन शैली को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर जोर दिया गया है। यह थीम सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, उपभोक्ता समूहों और मीडिया को इन मुद्दों पर जागरूकता फैलाने और समाधान खोजने के लिए एकजुट करती है।
उपभोक्ता अधिकारों का महत्व केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं है। जब उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं, तो वे सूचित निर्णय ले सकते हैं, बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं, और अनुचित मूल्य निर्धारण से बच सकते हैं। इससे बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है, जिससे व्यवसायों को भी उपभोक्ताओं की संतुष्टि पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। जब व्यवसायों को पता होता है कि उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, तो वे गुणवत्ता, सुरक्षा और नैतिक प्रथाओं को बनाए रखने के लिए अधिक प्रेरित होते हैं।
इसके अलावा, उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा एक निष्पक्ष और न्यायसंगत अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि बाजार की शक्तियां उपभोक्ताओं का शोषण न करें और सभी को समान अवसर मिलें। एक मजबूत उपभोक्ता संरक्षण ढांचा न केवल व्यक्तिगत उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाता है, बल्कि समग्र आर्थिक विकास में भी योगदान देता है, क्योंकि यह उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाता है और बाजार में स्थिरता लाता है।
भारत में, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (अब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019) उपभोक्ताओं को महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है और उन्हें अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, उपभोक्ताओं को शिकायतें दर्ज करने और निवारण प्राप्त करने का अधिकार है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC), राज्य आयोगों और जिला मंचों के माध्यम से उपभोक्ताओं को न्याय सुलभ बनाया गया है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर, विभिन्न संगठन, सरकारें और स्वयंसेवी संस्थाएं उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम, सेमिनार, कार्यशालाएं और अभियान आयोजित करती हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों, जिम्मेदारियों और उपलब्ध निवारण तंत्रों के बारे में शिक्षित करना है। सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया का उपयोग भी जागरूकता फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।
डिजिटल क्रांति ने उपभोक्ताओं के लिए नए अवसर खोले हैं, लेकिन इसने नई चुनौतियां भी पेश की हैं। ऑनलाइन खरीदारी, डिजिटल भुगतान, और व्यक्तिगत डेटा के संग्रह ने उपभोक्ताओं को नए प्रकार के जोखिमों का सामना कराया है। डेटा सुरक्षा, गोपनीयता, ऑनलाइन धोखाधड़ी, और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अनुचित प्रथाएं आज के उपभोक्ता आंदोलन के प्रमुख मुद्दे बन गए हैं। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस इन डिजिटल चुनौतियों का सामना करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है कि उपभोक्ता डिजिटल दुनिया में भी सुरक्षित और सशक्त रहें।
टिकाऊ खपत भी एक तेजी से महत्वपूर्ण उपभोक्ता मुद्दा बनता जा रहा है। उपभोक्ता तेजी से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों और सेवाओं की तलाश कर रहे हैं और उन व्यवसायों का समर्थन करना चाहते हैं जो सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार हैं। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस टिकाऊ खपत को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए भी एक मंच प्रदान करता है जो ग्रह के लिए बेहतर हों।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता अधिकार केवल अधिकार नहीं हैं, बल्कि ये जिम्मेदारियों के साथ भी आते हैं। एक जागरूक उपभोक्ता के रूप में, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने अधिकारों को जानें, उत्पादों और सेवाओं का बुद्धिमानी से चयन करें, और दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करें। इसके अतिरिक्त, हमें उन व्यवसायों को प्रोत्साहित करना चाहिए जो नैतिक और जिम्मेदार प्रथाओं का पालन करते हैं।
अंततः, विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस एक अनुस्मारक है कि उपभोक्ता किसी भी बाजार अर्थव्यवस्था के केंद्र में होते हैं। उनकी भलाई, सुरक्षा और संतुष्टि सुनिश्चित करना न केवल नैतिक अनिवार्यता है, बल्कि एक संपन्न और न्यायसंगत समाज के निर्माण के लिए भी आवश्यक है। क्या हम अपने उपभोक्ता अधिकारों के बारे में पर्याप्त जागरूक हैं और क्या हम उन्हें प्राप्त करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं?