Answer: बंगलूरु (जिसे अब बेंगलुरु भी कहा जाता है)
भारत ने पिछले कुछ दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। इस प्रगति ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति दी है, बल्कि दुनिया भर में भारत की पहचान को भी एक प्रमुख तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित किया है। इस क्रांति के केंद्र में कई शहर और संस्थान रहे हैं, लेकिन एक शहर ने इस पहचान को सबसे अधिक मजबूती से अपनाया है - बंगलूरु। इसे अक्सर 'भारत का सिलिकॉन वैली' कहा जाता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित प्रसिद्ध सिलिकॉन वैली के समान ही नवाचार, प्रौद्योगिकी और उद्यमशीलता का केंद्र है।
बंगलूरु का यह उपनाम यूँ ही नहीं पड़ा है। 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत से, इस शहर ने आईटी कंपनियों, विशेष रूप से सॉफ्टवेयर निर्यात और आईटी-सक्षम सेवाओं (ITES) में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया। सरकारी नीतियों, एक कुशल कार्यबल की उपलब्धता, और एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण ने बंगलूरु को आईटी उद्योग के फलने-फूलने के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया। भारत सरकार की 1991 की आर्थिक उदारीकरण नीतियों ने इस प्रक्रिया को और तेज किया, जिससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिला और भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के अवसर मिले।
शुरुआती दिनों में, कई भारतीय आईटी कंपनियाँ बंगलूरु में स्थापित हुईं, जिन्होंने आउटसोर्सिंग सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा किया। Infosys, Wipro, और TCS जैसी दिग्गज कंपनियों ने बंगलूरु को अपने संचालन का एक प्रमुख केंद्र बनाया। इन कंपनियों ने न केवल रोजगार के अवसर पैदा किए, बल्कि युवा भारतीयों को उच्च-कुशल नौकरियों में प्रशिक्षित करके एक मजबूत तकनीकी प्रतिभा पूल का निर्माण भी किया। इन कंपनियों ने वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता और विश्वसनीयता का एक नया मानक स्थापित किया, जिससे भारत का आईटी निर्यात तेजी से बढ़ा।
बंगलूरु को 'भारत की सिलिकॉन वैली' बनाने में बहुराष्ट्रीय निगमों (MNCs) की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। जैसे-जैसे भारतीय आईटी उद्योग ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई, वैसे-वैसे दुनिया की अग्रणी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भी बंगलूरु में अपने विकास केंद्र, अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रयोगशालाएँ और समर्थन कार्यालय स्थापित किए। IBM, Microsoft, Google, Amazon, और Oracle जैसी कंपनियाँ अब बंगलूरु में अपनी मजबूत उपस्थिति रखती हैं, जो इसे वैश्विक आईटी परिदृश्य का एक अभिन्न अंग बनाती है।
शहर की शैक्षणिक संस्थाओं का योगदान भी अप्रतिम रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान, जो एक अग्रणी अनुसंधान विश्वविद्यालय है, ने न केवल उच्च-गुणवत्ता वाले शोधकर्ता तैयार किए हैं, बल्कि प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए एक बीज के रूप में भी काम किया है। इसके अलावा, कई अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज और प्रबंधन संस्थान बंगलूरु में स्थित हैं, जो आईटी क्षेत्र के लिए आवश्यक प्रतिभा की आपूर्ति करते रहते हैं। इन संस्थानों और उद्योग के बीच सहभागिता ने नवाचार और ज्ञान के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित किया है।
हालांकि, 'भारत की सिलिकॉन वैली' का खिताब बंगलूरु को केवल आईटी कंपनियों और तकनीकी प्रतिभा तक सीमित नहीं रखता है। यह शहर एक जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का भी घर बन गया है। वेंचर कैपिटल फंड्स, इनक्यूबेटर्स, और एक्सेलेरेटर प्रोग्राम्स की उपलब्धता ने कई नवोदित उद्यमियों को अपने विचारों को हकीकत में बदलने के लिए एक मंच प्रदान किया है। ई-कॉमर्स, फिनटेक, एडटेक, और स्वास्थ्य सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नए स्टार्टअप्स का उदय बंगलूरु को नवाचार के एक गतिशील केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
बंगलूरु की सफलता को सिर्फ आर्थिक आंकड़ों से मापा नहीं जा सकता। इसने भारत के युवाओं को महत्वाकांक्षी बनने, तकनीकी कौशल विकसित करने और वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित किया है। 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' जैसी पहलों ने इस प्रगति को और मजबूत किया है, जिससे भारत का आईटी क्षेत्र आत्मनिर्भरता और नवाचार की ओर अग्रसर है। बंगलूरु इस डिजिटल परिवर्तन का एक जीवंत प्रतीक है।
हालांकि, इस विकास के साथ चुनौतियां भी आई हैं। तेजी से बढ़ती आबादी, यातायात की भीड़, बुनियादी ढांचे पर दबाव, और बढ़ती जीवन यापन की लागत जैसे मुद्दे बंगलूरु के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, शहर ने अपनी अनुकूलन क्षमता और नवाचार की भावना को बनाए रखा है। यह निरंतर विकास और अनुकूलन की प्रक्रिया ही बंगलूरु को 'भारत की सिलिकॉन वैली' के रूप में प्रासंगिक बनाए रखती है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि बंगलूरु सिर्फ एक शहर नहीं है, बल्कि भारत की तकनीकी आकांक्षाओं और नवाचार की भावना का एक प्रतीक है। इसने देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और भारत को वैश्विक आईटी मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। यह वह शहर है जिसने दिखाया है कि कैसे एक दूरदर्शी दृष्टिकोण, कुशल प्रतिभा और सहायक नीतियों का संगम एक राष्ट्र को तकनीकी प्रगति के शिखर पर ले जा सकता है। क्या भविष्य में भारत के अन्य शहर भी बंगलूरु की तरह 'सिलिकॉन वैली' की उपाधि प्राप्त कर पाएंगे?