Answer: परमाणु विखंडन की प्रक्रिया में, एक भारी परमाणु नाभिक सामान्यतः दो छोटे नाभिकों में विभाजित होता है।
परमाणु विखंडन, जिसे न्यूक्लियर फिशन भी कहा जाता है, एक ऐसी नाभिकीय अभिक्रिया है जिसमें एक भारी परमाणु का नाभिक, जैसे कि यूरेनियम या प्लूटोनियम, दो या दो से अधिक छोटे नाभिकों में विभाजित हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है, साथ ही न्यूट्रॉन और गामा किरणें भी उत्सर्जित होती हैं। यह अभिक्रिया आधुनिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और परमाणु हथियारों का आधार है।
परमाणु विखंडन की खोज 1938 में जर्मनी में ओटो हान, फ्रिट्ज़ स्ट्रैसमैन और लिसे मीटनर जैसे वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी। उन्होंने यूरेनियम पर न्यूट्रॉन की बमबारी का प्रयोग करते हुए पाया कि बेरियम जैसे छोटे तत्व बनते हैं, जो प्रारंभिक यूरेनियम से कहीं अधिक हल्के थे। यह अवलोकन इस बात का प्रबल संकेत था कि नाभिक का विभाजन हुआ है। लिसे मीटनर और उनके भतीजे ओटो रॉबर्ट फ्रिश ने इस घटना की सैद्धांतिक व्याख्या की और इसे 'विखंडन' (fission) नाम दिया, जो जीव विज्ञान में कोशिका विभाजन के समान है।
विखंडन की प्रक्रिया आमतौर पर तब शुरू होती है जब एक धीमा (थर्मल) न्यूट्रॉन एक विखंडनीय (fissile) नाभिक, जैसे यूरेनियम-235 (U-235) या प्लूटोनियम-239 (Pu-239) से टकराता है। यह न्यूट्रॉन नाभिक द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, जिससे एक अस्थिर समस्थानिक (isotope) बनता है। उदाहरण के लिए, U-235 न्यूट्रॉन को अवशोषित करके U-236 का एक बहुत ही अस्थिर रूप बनाता है। यह अस्थिर नाभिक फिर अत्यंत तीव्रता से दो छोटे, अधिक स्थिर नाभिकों में विभाजित हो जाता है। इन छोटे नाभिकों को 'विखंडन उत्पाद' (fission products) कहा जाता है।
विखंडन प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाले दो छोटे नाभिक लगभग बराबर द्रव्यमान के नहीं होते। वे विभिन्न संयोजनों में बन सकते हैं, जैसे कि क्रिप्टन और बेरियम, या ज़ेनॉन और स्ट्रोंटियम, आदि। इन विखंडन उत्पादों का द्रव्यमान मूल नाभिक के द्रव्यमान से थोड़ा कम होता है। यह द्रव्यमान का अंतर आइंस्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E=mc² के अनुसार ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है, जो बताता है कि द्रव्यमान और ऊर्जा एक दूसरे में रूपांतरित हो सकते हैं। इस प्रकार, विखंडन प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
विखंडन के समय केवल ऊर्जा और दो छोटे नाभिक ही नहीं निकलते, बल्कि औसतन 2 से 3 अतिरिक्त न्यूट्रॉन भी मुक्त होते हैं। ये मुक्त न्यूट्रॉन अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे एक श्रृंखला अभिक्रिया (chain reaction) शुरू कर सकते हैं। यदि ये मुक्त न्यूट्रॉन आगे चलकर अन्य विखंडनीय नाभिकों से टकराते हैं और उनका विखंडन करते हैं, तो यह प्रक्रिया जारी रहती है और ऊर्जा का एक निरंतर प्रवाह बना रहता है। एक श्रृंखला अभिक्रिया तब 'नियंत्रित' (controlled) कहलाती है जब प्रत्येक विखंडन से औसतन एक न्यूट्रॉन ही अगले विखंडन को प्रेरित करता है, जैसा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में होता है। यदि औसतन एक से अधिक न्यूट्रॉन अगले विखंडन को प्रेरित करते हैं, तो अभिक्रिया 'अनियंत्रित' (uncontrolled) हो जाती है, जो परमाणु हथियारों का आधार है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में, श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रण छड़ों (control rods) का उपयोग किया जाता है। ये छड़ें, जो कैडमियम या बोरॉन जैसी सामग्री से बनी होती हैं, अतिरिक्त न्यूट्रॉन को अवशोषित कर लेती हैं, जिससे विखंडन की दर को नियंत्रित किया जा सके। उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग पानी को गर्म करके भाप बनाने के लिए किया जाता है, जो फिर टर्बाइन चलाती है और बिजली उत्पन्न करती है।
परमाणु विखंडन के मुख्य लाभों में ऊर्जा का एक अत्यंत सघन स्रोत होना शामिल है। थोड़ी मात्रा में विखंडनीय सामग्री से बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, जो जीवाश्म ईंधन की तुलना में बहुत अधिक कुशल है। इसके अतिरिक्त, परमाणु ऊर्जा संयंत्र ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायक है।
हालांकि, परमाणु विखंडन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जोखिम भी हैं। सबसे प्रमुख जोखिम नाभिकीय कचरा (nuclear waste) है। विखंडन प्रक्रिया से उत्पन्न विखंडन उत्पादों में से कई अत्यधिक रेडियोधर्मी होते हैं और हजारों वर्षों तक खतरनाक बने रह सकते हैं। इस कचरे के सुरक्षित भंडारण और निपटान की एक जटिल और महंगी चुनौती है। इसके अलावा, परमाणु दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है, जैसा कि चेरनोबिल और फुकुशिमा जैसी घटनाओं में देखा गया है। इन दुर्घटनाओं से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर विनाशकारी दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकते हैं।
परमाणु हथियारों में, अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया का उपयोग अत्यंत कम समय में भारी मात्रा में ऊर्जा को अचानक मुक्त करने के लिए किया जाता है, जिससे एक शक्तिशाली विस्फोट होता है। इन हथियारों का विनाशकारी प्रभाव सर्वविदित है और ये अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि परमाणु विखंडन की प्रक्रिया केवल दो मुख्य नाभिकों में ही नहीं, बल्कि कई प्रकार के संयोजनों में हो सकती है। विखंडन उत्पादों की प्रकृति और संख्या, साथ ही मुक्त होने वाले न्यूट्रॉन की संख्या, मूल नाभिक और न्यूट्रॉन की ऊर्जा पर निर्भर करती है। विखंडन की जटिलताओं को समझने के लिए नाभिकीय भौतिकी का गहन अध्ययन आवश्यक है। क्या परमाणु विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग मानव जाति के लिए हमेशा फायदेमंद ही रहा है, या इसके नकारात्मक पहलुओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है?