Answer: सर आइजैक न्यूटन
भौतिकी, जिसे हम ब्रह्मांड के बारे में जानने की कोशिश करते हैं, उसमें गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत एक मौलिक और दूरगामी महत्व रखता है। यह वह अदृश्य शक्ति है जो ग्रहों को उनकी कक्षाओं में बनाए रखती है, हमें पृथ्वी पर टिकाए रखती है, और ब्रह्मांड की विशाल संरचनाओं को एक साथ बांधे रखती है। इस सार्वत्रिक नियम को प्रतिपादित करने का श्रेय महान वैज्ञानिक सर आइजैक न्यूटन को जाता है, जिन्होंने 17वीं शताब्दी के अंत में अपने क्रांतिकारी विचारों से भौतिकी की समझ में क्रांति ला दी।
सर आइजैक न्यूटन (1643-1727) एक अंग्रेजी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, खगोलशास्त्री, कीमियागर और धर्मशास्त्री थे। उन्हें इतिहास के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है। न्यूटन का जन्म लिंकनशायर के वूल्स्थोर्प मैनर में हुआ था। उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में शिक्षा प्राप्त की, जहाँ वे बाद में प्रोफेसर बने। उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा उनके वैज्ञानिक कार्यों के इर्द-गिर्द घूमता रहा, जिसमें उन्होंने गणित, प्रकाशिकी और यांत्रिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया।
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का विकास एक क्रमिक प्रक्रिया थी, जो उनके गहन अवलोकन, गणितीय विश्लेषण और पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों के कार्यों के अध्ययन पर आधारित थी। यह कहा जाता है कि एक बार जब वे एक सेब को पेड़ से गिरते हुए देख रहे थे, तो उन्होंने सोचा कि क्या वही बल जो सेब को नीचे खींचता है, चंद्रमा को भी पृथ्वी के चारों ओर घुमाने के लिए जिम्मेदार है। यह विचार, हालांकि किंवदंती है, न्यूटन के मन में गुरुत्वाकर्षण के एक सार्वभौमिक सिद्धांत को विकसित करने की चिंगारी थी।
इससे पहले, जोहान्स केप्लर ने ग्रहों की गति के तीन नियमों की खोज की थी, जिन्होंने ग्रहों की कक्षाओं के पैटर्न का वर्णन किया था, लेकिन इन गतियों के पीछे के कारण को स्पष्ट नहीं किया था। न्यूटन ने केप्लर के नियमों को लिया और उन्हें गुरुत्वाकर्षण के एक मौलिक बल से जोड़ा। उन्होंने गणितीय उपकरणों का उपयोग करके यह दिखाया कि केप्लर के नियम वास्तव में गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के परिणाम हैं।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताता है कि ब्रह्मांड में प्रत्येक कण प्रत्येक अन्य कण को एक बल से आकर्षित करता है जो उनके द्रव्यमान के गुणनफल के सीधे समानुपाती होता है और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस नियम को गणितीय रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: F = G * (m1 * m2) / r², जहाँ F गुरुत्वाकर्षण बल है, G गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक है, m1 और m2 दो वस्तुओं के द्रव्यमान हैं, और r उनके केंद्रों के बीच की दूरी है।
इस नियम की सार्वभौमिकता का अर्थ है कि यह केवल पृथ्वी पर गिरने वाली वस्तुओं पर ही लागू नहीं होता, बल्कि सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों, तारों और वास्तव में ब्रह्मांड में मौजूद सभी वस्तुओं पर लागू होता है। इसने पहली बार एक एकीकृत ढाँचा प्रदान किया जिसने पृथ्वी की गति और खगोलीय पिंडों की गति दोनों को समझाया। इससे पहले, पृथ्वी पर लागू होने वाले भौतिक नियमों और खगोलीय पिंडों की गति के बीच एक स्पष्ट विभाजन था, जिसे न्यूटन ने समाप्त कर दिया।
गुरुत्वाकर्षण के इस नियम ने खगोल विज्ञान में एक क्रांति ला दी। इसने वैज्ञानिकों को ग्रहों की कक्षाओं की सटीक भविष्यवाणी करने, ग्रहणों की भविष्यवाणी करने और यहां तक कि अज्ञात ग्रहों (जैसे नेपच्यून) के अस्तित्व की भविष्यवाणी करने में सक्षम बनाया, जिनकी गुरुत्वाकर्षणीय उपस्थिति का पता लगाया गया था। इस नियम ने ब्रह्मांड की हमारी समझ को एक व्यवस्थित और गणितीय रूप से सुसंगत ढांचे में बदल दिया।
न्यूटन ने अपने विचारों को अपनी कृति 'फिलॉसॉफिया नैचुरेलिस प्रिंसिपिया मैथेमेटिका' (Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica), जिसे आमतौर पर 'प्रिंसिपिया' के नाम से जाना जाता है, में प्रकाशित किया। यह पुस्तक 1687 में प्रकाशित हुई थी और इसे विज्ञान के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है। 'प्रिंसिपिया' में, न्यूटन ने गति के तीन नियमों के साथ-साथ गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम को भी प्रस्तुत किया।
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अलावा, न्यूटन ने गति के अपने तीन नियमों के लिए भी ख्याति प्राप्त की, जो शास्त्रीय यांत्रिकी की नींव हैं। ये नियम बताते हैं कि कैसे वस्तुएं गति में होती हैं और उन पर कार्य करने वाले बलों पर कैसे प्रतिक्रिया करती हैं। पहला नियम (जड़त्व का नियम) कहता है कि कोई वस्तु तब तक अपनी गति की स्थिति को बनाए रखेगी जब तक उस पर कोई बाहरी बल कार्य न करे। दूसरा नियम (F=ma) बल, द्रव्यमान और त्वरण के बीच संबंध को बताता है। तीसरा नियम (क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम) कहता है कि प्रत्येक क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
हालांकि न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम अत्यंत सफल रहा और सदियों तक खगोल विज्ञान और भौतिकी पर हावी रहा, 20वीं शताब्दी में अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत ने गुरुत्वाकर्षण की हमारी समझ को और परिष्कृत किया। आइंस्टीन ने गुरुत्वाकर्षण को द्रव्यमान द्वारा अंतरिक्ष-समय के वक्रता के रूप में वर्णित किया, जो न्यूटन के बल-आधारित विवरण से एक मौलिक रूप से भिन्न दृष्टिकोण है। हालांकि, न्यूटन के नियम आज भी अधिकांश व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए पर्याप्त सटीक हैं, खासकर जब हम बहुत अधिक गति या बहुत मजबूत गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों के साथ काम नहीं कर रहे होते हैं।
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम की खोज मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसने ब्रह्मांड को समझने के हमारे तरीके को हमेशा के लिए बदल दिया। इसने न केवल वैज्ञानिक विचारों में क्रांति ला दी, बल्कि इसने इंजीनियरिंग, खगोल विज्ञान और अन्य कई क्षेत्रों के लिए नए रास्ते भी खोले। न्यूटन के कार्य की जटिलता और उसकी सार्वभौमिकता यह दर्शाती है कि किस प्रकार एक अकेला वैज्ञानिक अपने विचारों से दुनिया को देख सकने के तरीके को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
क्या न्यूटन के अलावा किसी अन्य वैज्ञानिक ने गुरुत्वाकर्षण के बारे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो उनके सिद्धांत को पूर्ण करता हो?