Answer: प्लाज्मा अवस्था आयनों (धनावेशित परमाणु) और इलेक्ट्रॉनों (ऋणावेशित कण) से मिलकर बनती है।
पदार्थ की चार अवस्थाएँ मुख्य रूप से ज्ञात हैं: ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा। ठोस अवस्था में कण एक निश्चित आकार और आयतन में बंधे होते हैं, द्रव में कण स्वतंत्र रूप से गति करते हैं लेकिन एक निश्चित आयतन बनाए रखते हैं, और गैस में कण अत्यंत स्वतंत्र होते हैं और किसी भी उपलब्ध स्थान को भर देते हैं। लेकिन जब गैस को अत्यधिक उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, तो यह एक नई अवस्था में परिवर्तित हो जाती है जिसे प्लाज्मा कहते हैं। यह अवस्था पदार्थ की सबसे आम अवस्थाओं में से एक है, जो ब्रह्मांड में 99% से अधिक पदार्थ का निर्माण करती है।
प्लाज्मा अवस्था की विशिष्टता यह है कि यह आयनित गैस होती है। सामान्य गैस में, परमाणु या अणु विद्युत रूप से उदासीन होते हैं, जिसका अर्थ है कि उनमें प्रोटॉन (धनावेशित) और इलेक्ट्रॉनों (ऋणावेशित) की संख्या बराबर होती है। जब गैस को अत्यधिक ऊर्जा (जैसे उच्च तापमान या विद्युत निर्वहन) दी जाती है, तो बाहरी इलेक्ट्रॉनों को परमाणुओं से अलग कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, हमें दो प्रकार के कण प्राप्त होते हैं: धनावेशित आयन (परमाणु जिनमें से इलेक्ट्रॉन निकल गए हैं) और मुक्त इलेक्ट्रॉन। यही आयनित गैस प्लाज्मा कहलाती है।
प्लाज्मा को अक्सर 'पदार्थ की चौथी अवस्था' के रूप में वर्णित किया जाता है क्योंकि यह ठोस, द्रव और गैस से मौलिक रूप से भिन्न होती है। इसकी आयनित प्रकृति इसे अद्वितीय विद्युत और चुंबकीय गुण प्रदान करती है। प्लाज्मा विद्युत का सुचालक होता है, जो गैसों के विपरीत है, और यह विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के साथ जटिल तरीके से परस्पर क्रिया कर सकता है। यह विद्युत चालकता ही प्लाज्मा को कई व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी बनाती है।
प्लाज्मा के निर्माण के लिए आवश्यक ऊर्जा का स्तर बहुत अधिक होता है। उदाहरण के लिए, सूर्य और अन्य तारे प्लाज्मा के विशाल पिंड हैं, जहाँ अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण और परमाणु संलयन के कारण तापमान लाखों डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। पृथ्वी पर, हम बिजली कड़कने (तड़ित) के रूप में प्लाज्मा का एक क्षणिक रूप देख सकते हैं। ट्यूबलाइट और नियॉन साइन में भी प्लाज्मा का ही प्रयोग होता है, जहाँ एक गैस से विद्युत धारा प्रवाहित करके उसे आयनित किया जाता है और वह प्रकाश उत्सर्जित करती है।
प्लाज्मा के दो मुख्य प्रकार होते हैं: थर्मल प्लाज्मा और नॉन-थर्मल प्लाज्मा। थर्मल प्लाज्मा में, आयन और इलेक्ट्रॉन लगभग समान तापमान पर होते हैं, जो कि अत्यधिक उच्च होता है। यह सूर्य जैसे खगोलीय पिंडों में पाया जाता है। नॉन-थर्मल प्लाज्मा में, इलेक्ट्रॉनों का तापमान आयनों के तापमान से बहुत अधिक होता है। यह ट्यूबलाइट और प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल जैसे उपकरणों में होता है, जहाँ गैस का तापमान तुलनात्मक रूप से कम रखा जा सकता है।
प्लाज्मा के अध्ययन को प्लाज्मा भौतिकी कहा जाता है। यह भौतिकी का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसके ब्रह्मांड विज्ञान, खगोल भौतिकी, संलयन ऊर्जा अनुसंधान, सामग्री विज्ञान और चिकित्सा सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं। प्लाज्मा नियंत्रण और निर्माण की क्षमता ने इसे आधुनिक तकनीक के विकास में एक प्रमुख तत्व बना दिया है।
वैज्ञानिकों द्वारा नियंत्रित थर्मोन्यूक्लियर संलयन (controlled thermonuclear fusion) का विकास प्लाज्मा अनुसंधान का एक प्रमुख लक्ष्य रहा है। इसका उद्देश्य पृथ्वी पर सूर्य की तरह ही ऊर्जा उत्पन्न करना है। टोकामैक (tokamak) और स्टेलरेटर (stellarator) जैसी संलयन रिएक्टरों में, शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग प्लाज्मा को सीमित रखने और उसे इतना गर्म करने के लिए किया जाता है कि नाभिकीय संलयन हो सके।
चिकित्सा के क्षेत्र में भी प्लाज्मा के अनुप्रयोग बढ़ रहे हैं। 'कोल्ड प्लाज्मा' (cold plasma) का उपयोग घाव भरने, कीटाणुशोधन और कैंसर कोशिकाओं के उपचार के लिए किया जा रहा है। यह निम्न-तापमान प्लाज्मा ऊतकों को नुकसान पहुँचाए बिना रोगजनकों को मारने या कोशिकाओं को उत्तेजित करने में सक्षम है।
सामग्री विज्ञान में, प्लाज्मा का उपयोग विभिन्न प्रकार की सतहों को संशोधित करने, पतली फिल्में (thin films) जमा करने और नैनोकणों (nanoparticles) को संश्लेषित करने के लिए किया जाता है। प्लाज्मा का उपयोग करके सतहों को अधिक कठोर, अधिक प्रतिरोधी या अधिक प्रतिक्रियाशील बनाया जा सकता है।
संक्षेप में, प्लाज्मा अवस्था आयनों और इलेक्ट्रॉनों से बनी होती है, जो आयनित गैस का एक रूप है। इसकी विद्युत चालकता और अन्य अद्वितीय गुण इसे ब्रह्मांड में सर्वव्यापी बनाते हैं और विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी अनुप्रयोगों के लिए इसे महत्वपूर्ण बनाते हैं। प्लाज्मा के विभिन्न प्रकारों और उनके निर्माण की विधि को समझना, इसके व्यवहार और इसके अनुप्रयोगों को बेहतर ढंग से समझने की कुंजी है।
प्लाज्मा की इन विभिन्न अवस्थाओं और उनके गुणों के आधार पर, यह प्रश्न उठता है कि क्या ऐसी कोई और अवस्था है जो इन चारों से भिन्न हो, और वह कौन सी हो सकती है? यह अन्वेषण वैज्ञानिकों को पदार्थ की प्रकृति की गहराई में ले जाता है।