Answer: नाभिकीय विखंडन प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त न्यूट्रॉन को अवशोषित करना।
परमाणु रिएक्टर आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक हैं, जिन्होंने ऊर्जा उत्पादन से लेकर चिकित्सा और अनुसंधान तक के कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी है। ये जटिल मशीनें नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया का उपयोग करके नियंत्रित तरीके से ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। सरल शब्दों में, एक परमाणु रिएक्टर एक ऐसी प्रणाली है जहाँ परमाणुओं के नाभिक को तोड़कर भारी मात्रा में ऊर्जा मुक्त की जाती है, जिसका उपयोग अक्सर बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया, जो अनियंत्रित होने पर परमाणु बम का आधार बनती है, रिएक्टरों में अत्यंत सावधानी से नियंत्रित की जाती है ताकि एक स्थिर और सुरक्षित ऊर्जा स्रोत प्रदान किया जा सके। 20वीं सदी के मध्य में विकसित, परमाणु रिएक्टरों ने दुनिया की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब जीवाश्म ईंधन के उपयोग से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दे चिंता का विषय बन गए हैं। वे न केवल ऊर्जा प्रदान करते हैं बल्कि विभिन्न वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
परमाणु रिएक्टर का मूल सिद्धांत नाभिकीय विखंडन है। विखंडन एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ एक भारी परमाणु का नाभिक (जैसे यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239) एक न्यूट्रॉन द्वारा टकराने पर दो या दो से अधिक छोटे नाभिकों में टूट जाता है। इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ऊर्जा के साथ-साथ दो या तीन नए न्यूट्रॉन भी मुक्त होते हैं। ये मुक्त न्यूट्रॉन बदले में अन्य भारी परमाणुओं के नाभिक से टकराते हैं, जिससे और विखंडन होता है, और इस प्रकार एक श्रृंखला अभिक्रिया (chain reaction) शुरू होती है। रिएक्टर का मुख्य उद्देश्य इस श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित तरीके से बनाए रखना है। यदि यह अभिक्रिया अनियंत्रित हो जाए, तो यह तेजी से बढ़ती है और अत्यधिक गर्मी पैदा करती है, जैसा कि परमाणु बम में होता है। रिएक्टर इस ऊर्जा को नियंत्रित दर पर जारी करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
एक परमाणु रिएक्टर के कई प्रमुख घटक होते हैं, जिनमें से प्रत्येक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सबसे पहले, ईंधन आता है, जो आमतौर पर समृद्ध यूरेनियम डाइऑक्साइड के छर्रों से बना होता है, जिन्हें पतली धातु की छड़ों (ईंधन छड़ें) में पैक किया जाता है। ये ईंधन छड़ें एक कोर में व्यवस्थित होती हैं। यूरेनियम-235 सबसे आम विखंडनीय सामग्री है, जो न्यूट्रॉन से टकराने पर आसानी से विखंडित हो जाती है। ईंधन को इस तरह से कॉन्फ़िगर किया जाता है कि विखंडन अभिक्रिया कुशलतापूर्वक हो सके और उत्पन्न गर्मी को प्रभावी ढंग से हटाया जा सके। ईंधन की गुणवत्ता और इसकी व्यवस्था रिएक्टर की दक्षता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होती है। दुनिया में उपलब्ध यूरेनियम के भंडार परमाणु ऊर्जा के लिए एक दीर्घकालिक ऊर्जा स्रोत प्रदान करते हैं, हालांकि इसे खनन और समृद्ध करने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है।
दूसरा महत्वपूर्ण घटक मंदक (moderator) है। विखंडन प्रक्रिया में मुक्त होने वाले न्यूट्रॉन बहुत तेज गति से चलते हैं। इन तेज न्यूट्रॉन को धीमा करना आवश्यक है क्योंकि धीमे न्यूट्रॉन (जिन्हें तापीय न्यूट्रॉन कहा जाता है) यूरेनियम-235 के नाभिक द्वारा विखंडन के लिए अवशोषित होने की अधिक संभावना रखते हैं। मंदक सामग्री, जैसे कि भारी पानी (ड्यूटेरियम ऑक्साइड), ग्रेफाइट, या साधारण पानी, इन न्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा को अवशोषित करती है और उन्हें धीमा कर देती है। मंदक के बिना, श्रृंखला अभिक्रिया को बनाए रखना मुश्किल होगा क्योंकि तेज न्यूट्रॉन अक्सर विखंडनीय सामग्री से टकराने के बजाय उससे गुजर जाते हैं। मंदक का चयन रिएक्टर के प्रकार और उसके डिज़ाइन पर निर्भर करता है, और यह रिएक्टर की समग्र दक्षता और सुरक्षा को सीधे प्रभावित करता है।
नियंत्रण छड़ें (Control Rods) परमाणु रिएक्टर का सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा और नियंत्रण घटक हैं। ये छड़ें कैडमियम, बोरॉन, या हाफनियम जैसी न्यूट्रॉन-अवशोषक सामग्री से बनी होती हैं। इनका मुख्य कार्य श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित करना है। जब इन छड़ों को रिएक्टर कोर में डाला जाता है, तो वे अतिरिक्त न्यूट्रॉन को अवशोषित कर लेती हैं, जिससे विखंडन की दर धीमी हो जाती है और ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है। जब उन्हें कोर से बाहर निकाला जाता है, तो अधिक न्यूट्रॉन विखंडन के लिए उपलब्ध होते हैं, जिससे अभिक्रिया तेज होती है और ऊर्जा उत्पादन बढ़ जाता है। आपातकाल की स्थिति में, इन छड़ों को स्वचालित रूप से पूरी तरह से कोर में गिरा दिया जाता है, जिससे श्रृंखला अभिक्रिया तुरंत रुक जाती है और रिएक्टर बंद हो जाता है। यह रिएक्टर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक तंत्र है।
चौथा प्रमुख घटक शीतलक (coolant) है, जो विखंडन प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न अत्यधिक गर्मी को रिएक्टर कोर से बाहर निकालने के लिए उपयोग किया जाता है। यह शीतलक आमतौर पर पानी (दाबित पानी या उबलता पानी), भारी पानी, तरल धातु (जैसे सोडियम), या गैस (जैसे हीलियम) हो सकता है। शीतलक गरम होने के बाद, इसका उपयोग अक्सर भाप टर्बाइनों को चलाने के लिए किया जाता है, जो बिजली जनरेटर को घुमाते हैं। पाँचवाँ, एक मजबूत परिरक्षण (containment vessel) है, जो एक मोटी कंक्रीट और स्टील की संरचना होती है जो पूरे रिएक्टर कोर को घेरती है। इसका उद्देश्य किसी भी रेडियोधर्मी सामग्री को पर्यावरण में फैलने से रोकना है, भले ही रिएक्टर में कोई बड़ी खराबी आ जाए। यह सुरक्षा की अंतिम परत के रूप में कार्य करता है, जो सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के परमाणु रिएक्टर उपयोग में हैं। सबसे आम प्रकारों में दाबित जल रिएक्टर (Pressurized Water Reactor - PWR) और उबलते जल रिएक्टर (Boiling Water Reactor - BWR) शामिल हैं, जो दोनों हल्के पानी का उपयोग मंदक और शीतलक के रूप में करते हैं। भारी जल रिएक्टर (Heavy Water Reactor - जैसे CANDU) भी प्रचलित हैं, जो प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग कर सकते हैं। फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) एक अन्य प्रकार हैं जो विखंडनीय सामग्री का अधिक कुशलता से उपयोग करते हैं और ईंधन के रूप में प्लूटोनियम का उत्पादन कर सकते हैं। परमाणु रिएक्टरों के प्राथमिक उपयोग में बिजली उत्पादन शामिल है, जो दुनिया की लगभग 10% बिजली की आपूर्ति करता है। इसके अतिरिक्त, वे समुद्री जहाजों और पनडुब्बियों को प्रणोदन प्रदान करते हैं, चिकित्सा निदान और उपचार के लिए रेडियोआइसोटोप का उत्पादन करते हैं, और वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
परमाणु ऊर्जा के कई फायदे हैं। यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में यह एक महत्वपूर्ण उपकरण बन जाती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में उच्च क्षमता कारक होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे लगभग लगातार बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। इसके लिए बहुत कम ईंधन की आवश्यकता होती है, और ईंधन की लागत प्रति इकाई ऊर्जा जीवाश्म ईंधन की तुलना में काफी कम होती है। हालांकि, परमाणु ऊर्जा के साथ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। रेडियोधर्मी कचरे का सुरक्षित निपटान एक दीर्घकालिक समस्या है, क्योंकि यह हजारों वर्षों तक खतरनाक बना रहता है। परमाणु दुर्घटनाओं (जैसे चेरनोबिल और फुकुशिमा) की संभावना हमेशा बनी रहती है, हालांकि आधुनिक रिएक्टरों में सुरक्षा उपाय बहुत उन्नत हैं। इसके अलावा, परमाणु हथियारों के प्रसार का जोखिम और संयंत्रों के निर्माण की उच्च प्रारंभिक लागत भी विचारणीय चुनौतियाँ हैं।
परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। आधुनिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को कई सुरक्षा परतों के साथ डिज़ाइन किया गया है ताकि किसी भी दुर्घटना को रोका जा सके और यदि कोई घटना होती है तो उसके प्रभावों को कम किया जा सके। इसमें निष्क्रिय सुरक्षा प्रणालियाँ शामिल हैं जो मानवीय हस्तक्षेप के बिना काम कर सकती हैं, और सक्रिय प्रणालियाँ जिनके लिए ऑपरेटरों की आवश्यकता होती है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) जैसी संस्थाएँ वैश्विक स्तर पर परमाणु सुरक्षा मानकों को स्थापित और लागू करती हैं। कठोर नियामक ढाँचे, नियमित निरीक्षण, और कर्मचारियों का गहन प्रशिक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि परमाणु ऊर्जा सुरक्षित रूप से संचालित हो। रिएक्टरों की साइट का चयन भी भूकंपीय गतिविधि, बाढ़ और आतंकवादी हमलों जैसी बाहरी खतरों के जोखिमों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम आत्मनिर्भरता के सिद्धांत पर आधारित है और देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के पास कुछ बेहतरीन परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं, जिन्होंने स्वदेशी रिएक्टरों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जैसे कि दाबित भारी जल रिएक्टर (PHWR)। भारत की त्रि-स्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम नीति भविष्य में थोरियम के बड़े भंडार का उपयोग करने पर केंद्रित है, जो परमाणु ईंधन के रूप में यूरेनियम पर निर्भरता कम करेगा। भविष्य में, परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी और भी सुरक्षित और अधिक कुशल होने की उम्मीद है, जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) जैसे नवाचार शामिल हैं, जिन्हें निर्माण करना आसान और अधिक लचीला माना जाता है। वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा का भविष्य एक स्थायी और कार्बन-मुक्त ऊर्जा स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण बना हुआ है। क्या परमाणु संलयन (nuclear fusion) भविष्य में परमाणु विखंडन (nuclear fission) पर आधारित रिएक्टरों की जगह ले पाएगा, और इसके क्या निहितार्थ होंगे?