Answer: बृहस्पति (Jupiter) सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका मुख्य घटक हाइड्रोजन है।
हमारा सौरमंडल एक अद्भुत खगोलीय व्यवस्था है जो सूर्य और उसके गुरुत्वाकर्षण से बंधे पिंडों से मिलकर बना है। इसमें आठ ग्रह, उनके चंद्रमा, बौने ग्रह, क्षुद्रग्रह (asteroids), धूमकेतु (comets) और धूल व गैस के विशाल बादल शामिल हैं। इन सभी पिंडों में, आकार और द्रव्यमान के लिहाज़ से बृहस्पति (Jupiter) का दबदबा निर्विवाद है। इसे अक्सर 'ग्रहों का राजा' कहा जाता है, और यह उपाधि पूरी तरह से उचित है। बृहस्पति इतना विशाल है कि इसके अंदर सौरमंडल के अन्य सभी सात ग्रह समा सकते हैं।
बृहस्पति का व्यास लगभग 142,984 किलोमीटर है, जो पृथ्वी के व्यास से लगभग 11 गुना अधिक है। इसका द्रव्यमान सौरमंडल के कुल द्रव्यमान का लगभग 0.1% है, लेकिन यह सौरमंडल के अन्य सभी ग्रहों के संयुक्त द्रव्यमान से ढाई गुना अधिक है। यह विशाल आकार और द्रव्यमान बृहस्पति को सौरमंडल में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करता है। इसका शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण सौरमंडल के अन्य पिंडों की कक्षाओं को प्रभावित करता है, और माना जाता है कि इसने पृथ्वी जैसे ग्रहों को क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के विनाशकारी प्रभावों से बचाया है।
बृहस्पति की संरचना इसे अन्य ग्रहों से अलग करती है। यह एक गैसीय ग्रह (gas giant) है, जिसका अर्थ है कि इसका कोई ठोस सतह नहीं है। इसके बजाय, यह मुख्य रूप से गैसों से बना है, जिसमें हाइड्रोजन और हीलियम प्रमुख घटक हैं। बृहस्पति के वायुमंडल में लगभग 90% हाइड्रोजन और लगभग 10% हीलियम है, जो ब्रह्मांड में पाए जाने वाले सबसे प्रचुर तत्वों के समान है। इन दो गैसों के अलावा, इसमें मीथेन, अमोनिया, जल वाष्प और अन्य ट्रेस गैसें भी थोड़ी मात्रा में मौजूद हैं।
जैसे-जैसे हम बृहस्पति की गहराई में उतरते हैं, गैसें अत्यधिक दबाव और तापमान के कारण तरल अवस्था में परिवर्तित हो जाती हैं। माना जाता है कि बृहस्पति के कोर में एक चट्टानी या धात्विक कोर हो सकता है, लेकिन यह वर्तमान में तरल हाइड्रोजन की विशाल परतों से ढका हुआ है। बृहस्पति के वायुमंडल में देखी जाने वाली प्रसिद्ध धारियाँ (bands) और चक्रवात (storms) इन गैसों की विभिन्न परतों के बीच रासायनिक और तापमान में अंतर के कारण बनते हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध 'ग्रेट रेड स्पॉट' (Great Red Spot) है, जो एक विशाल तूफान है जो कम से कम 400 वर्षों से चला आ रहा है। यह तूफान इतना बड़ा है कि इसमें पृथ्वी जैसी तीन ग्रह समा सकते हैं।
बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र भी अत्यंत शक्तिशाली है, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से लगभग 20,000 गुना मजबूत है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक विशाल मैग्नेटोस्फीयर (magnetosphere) बनाता है जो सूर्य से आने वाले आवेशित कणों (charged particles) को विक्षेपित करता है, जिससे ग्रह की रक्षा होती है। यह मैग्नेटोस्फीयर आयनित गैसों से भरा होता है जो बृहस्पति के चंद्रमा आयो (Io) से निकलते हैं, जिससे एक चमकीला एक्स-रे उत्सर्जन होता है।
बृहस्पति के 79 से अधिक ज्ञात चंद्रमा हैं, जो सौरमंडल में किसी भी अन्य ग्रह से अधिक हैं। इनमें से चार सबसे बड़े चंद्रमा, गैनीमेड (Ganymede), कैलिस्टो (Callisto), आयो (Io) और यूरोपा (Europa), गैलीलियन चंद्रमा (Galilean moons) कहलाते हैं, क्योंकि इनकी खोज गैलीलियो गैलीली ने 1610 में की थी। गैनीमेड तो सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है, जो बुध ग्रह से भी बड़ा है। यूरोपा अपने बर्फ की सतह के नीचे एक तरल पानी के महासागर के लिए विशेष रूप से दिलचस्प है, जो जीवन की संभावनाओं के बारे में अटकलों को जन्म देता है।
बृहस्पति का अध्ययन खगोलविदों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। प्रारंभिक दूरबीनों से लेकर आधुनिक अंतरिक्ष यानों जैसे वोयाजर (Voyager), गैलीलियो (Galileo) और वर्तमान में जूनो (Juno) तक, हमने इस विशाल ग्रह के बारे में अविश्वसनीय जानकारी प्राप्त की है। जूनो अंतरिक्ष यान वर्तमान में बृहस्पति के वायुमंडल, चुंबकीय क्षेत्र और आंतरिक संरचना का गहराई से अध्ययन कर रहा है, जिससे हमें इस ग्रह के निर्माण और विकास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल रही है।
बृहस्पति की विशालता और इसकी संरचना इसे सौरमंडल के इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाती है। यह एक प्रकार की 'धूलि' (time capsule) की तरह है जो सौरमंडल के निर्माण के शुरुआती चरणों की जानकारी रखती है। यह ग्रह केवल अपनी भौतिक विशेषताओं के कारण ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि ब्रह्मांडीय नियमों और ग्रहों के निर्माण की प्रक्रियाओं को समझने में भी हमारी मदद करता है। इसलिए, जब हम बृहस्पति को देखते हैं, तो हम केवल एक विशाल गैस का गोला नहीं देख रहे होते, बल्कि सौरमंडल के रहस्यों और ब्रह्मांड के विशाल विस्तार की ओर इशारा करते हुए एक असाधारण खगोलीय पिंड देख रहे होते हैं। क्या आप जानते हैं कि बृहस्पति का विशाल गुरुत्वाकर्षण सौरमंडल के किन अन्य खगोलीय पिंडों को प्रभावित करता है?