Answer: मंगल ग्रह को 'लाल ग्रह' के नाम से जाना जाता है। इसके लाल रंग का मुख्य कारण इसकी सतह पर मौजूद आयरन ऑक्साइड (फेरिक ऑक्साइड) है।
मंगल, हमारे सौरमंडल का चौथा ग्रह है और सूर्य से दूरी के क्रम में पृथ्वी के बाद आता है। इसे अक्सर 'लाल ग्रह' के रूप में जाना जाता है, जो इसे हमारे खगोलीय पड़ोसियों से अलग पहचान दिलाता है। यह रंगीन उपनाम इसकी सतह पर सर्वव्यापी रूप से पाए जाने वाले आयरन ऑक्साइड, जिसे सामान्य भाषा में जंग भी कहते हैं, के कारण है। यह ऑक्साइड मंगल की मिट्टी, चट्टानों और धूल में व्यापक रूप से मौजूद है, जो ग्रह को एक विशिष्ट लाल-नारंगी आभा प्रदान करता है।
आयरन ऑक्साइड (Fe₂O₃) एक रासायनिक यौगिक है जो लोहे और ऑक्सीजन के संयोजन से बनता है। पृथ्वी पर भी जंग इसी प्रक्रिया से बनता है। मंगल की सतह पर, यह ऑक्साइड लोहे युक्त खनिजों के अपक्षय (weathering) की प्रक्रिया द्वारा बनता है। हालांकि, मंगल पर अपक्षय की प्रक्रिया पृथ्वी से भिन्न है। पृथ्वी पर, पानी अपक्षय में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। मंगल पर, हालांकि पहले कभी तरल पानी के प्रमाण मिले हैं, वर्तमान में इसकी सतह पर पानी की मात्रा बहुत कम है और यह अधिकतर बर्फ के रूप में ध्रुवीय चोटियों और भूमिगत रूप से पाया जाता है। ऐसे में, मंगल पर लाल रंग के लिए मुख्य रूप से सौर हवा (solar wind) और पराबैंगनी विकिरण (ultraviolet radiation) द्वारा लोहा युक्त खनिजों का ऑक्सीकरण जिम्मेदार माना जाता है।
मंगल का वातावरण अत्यंत विरल है, जो पृथ्वी के वायुमंडलीय दाब का लगभग 1% है। इसमें मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) होती है, लगभग 95%। नाइट्रोजन (N₂) लगभग 2.7% और आर्गन (Ar) लगभग 1.6% है। ऑक्सीजन (O₂) और अन्य गैसें बहुत कम मात्रा में मौजूद हैं। यह विरल वातावरण ग्रह की सतह पर तरल पानी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त दबाव प्रदान नहीं करता है, जिसके कारण पानी तुरंत वाष्पित हो जाता है या बर्फ में जम जाता है।
मंगल का भूविज्ञान अत्यंत दिलचस्प है। इसकी सतह पर विशाल ज्वालामुखी, गहरी घाटियाँ, और बड़े पैमाने पर रेगिस्तानी मैदान पाए जाते हैं। सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी, ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons), मंगल पर ही स्थित है। यह पृथ्वी के माउंट एवरेस्ट से लगभग तीन गुना ऊंचा है। इसी तरह, वैलेस मैरिनेरिस (Valles Marineris) नामक घाटी प्रणाली सौरमंडल की सबसे बड़ी घाटियों में से एक है, जो पृथ्वी की ग्रैंड कैन्यन से कहीं अधिक विशाल है। इन भूवैज्ञानिक संरचनाओं का निर्माण अरबों वर्षों के दौरान टेक्टोनिक गतिविधियों, ज्वालामुखी विस्फोटों और क्षरण की प्रक्रियाओं से हुआ है।
मंगल का रंग केवल सतही आयरन ऑक्साइड तक ही सीमित नहीं है। अंतरिक्ष से देखने पर, मंगल का रंग उसके वायुमंडल में मौजूद महीन धूल कणों से भी प्रभावित होता है। ये धूल कण, जो लाल रंग के होते हैं, पूरे ग्रह पर फैले हुए हैं और सूर्य के प्रकाश को बिखेरते हैं, जिससे ग्रह को एक समान लाल रंगत मिलती है। यह धूल अक्सर तूफानों के रूप में ग्रह के चारों ओर फैल जाती है, जो कभी-कभी इतने बड़े होते हैं कि पूरे ग्रह को ढक लेते हैं।
वैज्ञानिकों की रुचि मंगल पर जीवन की संभावना में हमेशा से रही है। प्राचीन मंगल की सतह पर तरल पानी की उपस्थिति के प्रमाण, इसके विरल वातावरण के बावजूद, इस संभावना को बल देते हैं कि शायद कभी जीवन का उद्भव हुआ हो। वर्तमान में, विभिन्न अंतरिक्ष मिशन मंगल की सतह और उसके उपसतही वातावरण का अध्ययन कर रहे हैं ताकि वहां सूक्ष्मजीवों के जीवन के प्रमाण खोजे जा सकें। पानी की बर्फ की उपस्थिति और अतीत में अधिक अनुकूल जलवायु की परिकल्पना, इन खोजों को और अधिक महत्वपूर्ण बनाती है।
मंगल के दो छोटे चंद्रमा हैं: फोबोस (Phobos) और डीमोस (Deimos)। इन चंद्रमाओं के आकार और संरचना को देखकर ऐसा लगता है कि वे क्षुद्रग्रह बेल्ट (asteroid belt) से पकड़े गए क्षुद्रग्रह हो सकते हैं। इनका छोटा आकार और अनियमित आकार मंगल के बड़े चंद्रमाओं जैसे पृथ्वी के चंद्रमा से बहुत अलग है।
मंगल का अध्ययन मानव जाति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमारे सौरमंडल के विकास को समझने में मदद करता है, बल्कि पृथ्वी से परे जीवन की संभावनाओं का भी पता लगाता है। मंगल का लाल रंग, जो सदियों से कवियों और लेखकों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है, वास्तव में एक जटिल भूवैज्ञानिक और वायुमंडलीय प्रक्रिया का परिणाम है। यह ग्रह हमें ब्रह्मांड में हमारे स्थान और जीवन की उत्पत्ति के रहस्यों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
मंगल पर भेजे गए कई रोबोटिक मिशनों ने हमें इस लाल ग्रह के बारे में अमूल्य जानकारी दी है। नासा के वाइकिंग (Viking) मिशनों से लेकर क्यूरियोसिटी (Curiosity) और परseverance (Perseverance) रोवर्स तक, हर मिशन ने मंगल की सतह, चट्टानों, मिट्टी और वातावरण के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया है। इन मिशनों ने तरल पानी के प्राचीन प्रवाह के निशान, जैविक अणुओं के संभावित संकेत और विभिन्न प्रकार के खनिजों की उपस्थिति का पता लगाया है, जो सभी मंगल के इतिहास और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हैं।
मंगल का लाल रंग, जो इसे सबसे विशिष्ट ग्रहों में से एक बनाता है, वास्तव में इस ग्रह के वातावरण और भूविज्ञान के बीच एक जटिल परस्पर क्रिया का परिणाम है। यह रंग केवल एक सतही विशेषता नहीं है, बल्कि अरबों वर्षों के भूवैज्ञानिक इतिहास और रासायनिक प्रक्रियाओं का प्रमाण है। तो, अगली बार जब आप रात के आकाश में मंगल को लाल बिंदु के रूप में देखें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक रंग नहीं है, बल्कि एक पूरी कहानी है - एक ऐसी कहानी जो सौरमंडल के निर्माण और शायद जीवन की संभावनाओं के रहस्यों को उजागर करती है। क्या मंगल का लाल रंग सिर्फ एक संयोग है, या यह किसी गहरी वैज्ञानिक प्रक्रिया का सूचक है?