Answer: भूस्थैतिक तुल्यकालिक उपग्रह (GEO) पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर गति से परिक्रमा करता है, यानी यह पृथ्वी के घूमने की गति के समान ही परिक्रमा करता है।
अंतरिक्ष अन्वेषण और संचार के क्षेत्र में उपग्रहों का महत्व निर्विवाद है। विभिन्न प्रकार के उपग्रहों को उनकी कक्षाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, और इनमें से भूस्थैतिक तुल्यकालिक उपग्रह (Geostationary Equatorial Orbit - GEO) एक अत्यंत महत्वपूर्ण श्रेणी है। यह विशेष प्रकार की कक्षा पृथ्वी के सापेक्ष एक स्थिर स्थिति बनाए रखती है, जिससे संचार, मौसम पूर्वानुमान और प्रसारण जैसी सेवाओं के लिए यह आदर्श बन जाता है।
भूस्थैतिक कक्षा (Geostationary Orbit) एक विशेष प्रकार की वृत्ताकार कक्षा है जो पृथ्वी के भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर स्थित होती है। इस कक्षा में परिक्रमा करने वाले उपग्रह की परिक्रमण अवधि पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन काल (लगभग 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकंड - एक नक्षत्र दिवस) के बराबर होती है। इसका अर्थ है कि उपग्रह पृथ्वी के घूमने की दिशा में ही उसी कोणीय वेग से परिक्रमा करता है। इसी कारण, पृथ्वी पर किसी भी स्थिर प्रेक्षक के लिए, भूस्थैतिक उपग्रह आकाश में एक ही स्थान पर स्थिर दिखाई देता है।
इस 'स्थिर' स्थिति का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि भूस्थैतिक कक्षा में स्थित उपग्रह को लगातार ट्रैक करने या उसकी दिशा बदलने की आवश्यकता नहीं होती है। यह संचार प्रणालियों, जैसे सैटेलाइट टीवी प्रसारण या फिक्स्ड-लाइन सैटेलाइट इंटरनेट के लिए अत्यंत सुविधाजनक है। एंटीना को एक बार उपग्रह की ओर इंगित कर दिया जाता है, और फिर वह तब तक वहीं रहता है जब तक उपग्रह कक्षा में बना रहता है। इससे ग्राउंड स्टेशन पर जटिल ट्रैकिंग सिस्टम की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे लागत और जटिलता दोनों कम हो जाती है।
भूस्थैतिक कक्षा की ऊँचाई लगभग 35,786 किलोमीटर (22,236 मील) भूमध्य रेखा से ऊपर होती है। इस ऊँचाई पर, उपग्रह पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल और उसकी अभिकेन्द्रीय बल (centripetal force) एक संतुलन बनाते हैं, जो उसे एक स्थिर वृत्ताकार कक्षा में बनाए रखता है। पृथ्वी का घूर्णन बल (centrifugal force) भी एक भूमिका निभाता है, लेकिन मुख्य रूप से पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण वह बल है जो उपग्रह को पृथ्वी के चारों ओर खींचता है, और उसकी गति यह सुनिश्चित करती है कि वह न तो पृथ्वी पर गिर जाए और न ही अंतरिक्ष में दूर निकल जाए।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 'स्थिर' शब्द का अर्थ यह नहीं है कि उपग्रह बिल्कुल नहीं चलता है। यह वास्तव में पृथ्वी के चारों ओर तेज़ी से परिक्रमा कर रहा है, लेकिन इतनी तेज़ी से कि यह पृथ्वी के घूर्णन के साथ सिंक हो जाता है। यदि उपग्रह का कक्षीय वेग पृथ्वी के घूर्णन वेग से थोड़ा भी भिन्न होता, तो वह आकाश में चलता हुआ दिखाई देता, और भूस्थैतिक नहीं रहता।
GEO कक्षा के कुछ विशिष्ट लाभ हैं। पहला, जैसा कि उल्लेख किया गया है, यह स्थिर संचार लिंक प्रदान करता है। दूसरा, एक ही भूस्थैतिक उपग्रह पृथ्वी के लगभग एक तिहाई हिस्से को कवर कर सकता है। इसलिए, विश्व के अधिकांश हिस्सों को कवर करने के लिए केवल तीन भूस्थैतिक उपग्रहों के एक नेटवर्क की आवश्यकता होती है, जो उन्हें संचार के लिए एक कुशल और लागत प्रभावी समाधान बनाता है।
हालांकि, GEO कक्षा के कुछ नुकसान भी हैं। इसकी उच्च ऊँचाई के कारण, सिग्नल को उपग्रह तक पहुंचने और वापस आने में अधिक समय लगता है। इस विलंब (latency) को 'सिग्नल डिले' कहा जाता है, और यह उन अनुप्रयोगों के लिए एक समस्या हो सकती है जहाँ तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, जैसे ऑनलाइन गेमिंग या कुछ प्रकार की दूरसंचार। इसके अतिरिक्त, GEO कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए बड़ी मात्रा में रॉकेट शक्ति की आवश्यकता होती है, और लॉन्च लागत बहुत अधिक होती है।
GEO कक्षा के अलावा, अन्य प्रकार की उपग्रह कक्षाएँ भी हैं, जैसे निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit - LEO) और मध्यम पृथ्वी कक्षा (Medium Earth Orbit - MEO)। LEO उपग्रह पृथ्वी के बहुत करीब परिक्रमा करते हैं, जो कम सिग्नल विलंब और उच्च डेटा दरों की अनुमति देते हैं, लेकिन उन्हें लगातार ट्रैक करने के लिए कई उपग्रहों के एक बड़े नक्षत्र की आवश्यकता होती है। MEO कक्षाएँ LEO और GEO के बीच एक मध्यवर्ती स्थान प्रदान करती हैं।
GEO उपग्रहों का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित के लिए किया जाता है:
1. **दूरसंचार:** सैटेलाइट टीवी प्रसारण, फिक्स्ड सैटेलाइट इंटरनेट, और अंतरराष्ट्रीय टेलीफोनी।
2. **मौसम पूर्वानुमान:** पृथ्वी के वायुमंडल की विस्तृत छवियां प्रदान करके मौसम के पैटर्न की निगरानी करना।
3. **प्रसारण:** विभिन्न देशों में टीवी और रेडियो सिग्नल प्रसारित करना।
4. **नेविगेशन:** हालांकि GPS उपग्रह आमतौर पर LEO में होते हैं, कुछ नेविगेशन सहायक प्रणालियाँ GEO का उपयोग कर सकती हैं।
GEO उपग्रहों को एक विशिष्ट प्रकार के रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है जो उन्हें वांछित कक्षा में स्थापित करने के लिए आवश्यक गति और प्रक्षेपवक्र प्रदान करता है। प्रक्षेपण के बाद, उपग्रह को उसकी अंतिम GEO स्थिति में ले जाने के लिए अक्सर ऑन-बोर्ड थ्रस्टर्स का उपयोग किया जाता है। कक्षा में एक बार स्थापित होने के बाद, उपग्रह को स्थिर रखने के लिए समय-समय पर छोटे सुधारों की आवश्यकता हो सकती है, जो कक्षीय मलबे या गुरुत्वाकर्षण में मामूली भिन्नताओं के कारण हो सकता है।
रॉकेट तकनीक में प्रगति ने GEO उपग्रहों को अधिक कुशलता से लॉन्च करने में मदद की है, लेकिन उनकी उच्च लागत अभी भी एक महत्वपूर्ण कारक है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों और निजी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा ने उपग्रह प्रक्षेपण की लागत को कम करने के प्रयास किए हैं, और यह उम्मीद की जाती है कि भविष्य में GEO कक्षा तक पहुंच और अधिक सुलभ हो जाएगी।
संक्षेप में, भूस्थैतिक तुल्यकालिक उपग्रह पृथ्वी के भूमध्य रेखा के ऊपर एक विशिष्ट ऊँचाई पर एक वृत्ताकार कक्षा में परिक्रमा करता है। यह कक्षा पृथ्वी के घूर्णन के साथ सिंक्रनाइज़ होती है, जिसके परिणामस्वरूप उपग्रह आकाश में एक निश्चित बिंदु पर स्थिर दिखाई देता है। यह विशेषता इसे स्थिर संचार, मौसम निगरानी और प्रसारण के लिए अमूल्य बनाती है। यद्यपि इसकी उच्च ऊँचाई के कारण सिग्नल विलंब एक चिंता का विषय हो सकता है, GEO कक्षा आधुनिक विश्व में सूचना और कनेक्टिविटी के लिए एक आधारशिला बनी हुई है। तो, क्या भूस्थैतिक कक्षा की ये स्थिर विशेषताएँ मानव जाति के लिए अंतरिक्ष की खोज में सबसे बड़ी उपलब्धि हैं?