Answer: परिशुद्ध कृषि (Precision Agriculture)
परिशुद्ध कृषि (Precision Agriculture) कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण है जो आधुनिक तकनीक का उपयोग करके खेती को अधिक कुशल, टिकाऊ और लाभदायक बनाता है। यह पारंपरिक कृषि पद्धतियों से अलग है, जहां पूरे खेत को एक समान इकाई माना जाता है और सभी जगह समान मात्रा में पानी, उर्वरक या कीटनाशक दिए जाते हैं। परिशुद्ध कृषि इस विचार पर आधारित है कि खेत के भीतर भी अलग-अलग क्षेत्रों की आवश्यकताएं भिन्न हो सकती हैं। यह प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं का पता लगाकर, फिर उन आवश्यकताओं के अनुसार ही संसाधनों का सटीक उपयोग करके, अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने और लागत कम करने का लक्ष्य रखती है। इस प्रक्रिया में डेटा संग्रह, विश्लेषण और उसके आधार पर निर्णय लेना शामिल है, जो किसानों को बेहतर कृषि प्रबंधन में मदद करता है।
परिशुद्ध कृषि का उदय पिछली सदी के अंत में हुआ, जब वैश्विक पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) तकनीक कृषि के लिए सुलभ हुई। इसने किसानों को अपने खेतों के भीतर विशिष्ट स्थानों की पहचान करने और उनका मानचित्रण करने की क्षमता प्रदान की। धीरे-धीरे, भू-स्थानिक सूचना प्रणाली (GIS), रिमोट सेंसिंग, सेंसर, वेरिएबल रेट टेक्नोलॉजी (VRT) और हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी प्रौद्योगिकियां इसमें शामिल होती गईं। यह कृषि को सिर्फ एक "विज्ञान" से बदलकर एक "सूचना-आधारित विज्ञान" में बदल देता है, जहां डेटा खेती के हर पहलू का मार्गदर्शन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य "सही समय पर, सही जगह पर, सही मात्रा में" इनपुट लगाना है।
परिशुद्ध कृषि में कई प्रमुख प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं। इनमें से एक है जीपीएस (GPS), जो खेत के भीतर सटीक स्थान निर्धारण की अनुमति देता है। जीपीएस डेटा का उपयोग करके, किसान अपने ट्रैक्टरों और अन्य कृषि मशीनों को अत्यधिक सटीकता के साथ चला सकते हैं, जिससे ओवरलैप या छूटे हुए क्षेत्रों से बचा जा सकता है। इसके साथ ही, जीआईएस (GIS) सॉफ्टवेयर डेटा को स्टोर, प्रबंधित और विश्लेषण करने में मदद करता है, जिससे मिट्टी के प्रकार, फसल की उपज और पोषक तत्वों के स्तर जैसे विभिन्न कारकों के मानचित्र बनाए जा सकते हैं। ये मानचित्र किसानों को खेत के विभिन्न क्षेत्रों में पैटर्न और विसंगतियों को समझने में सहायता करते हैं।
रिमोट सेंसिंग, जिसमें उपग्रहों और ड्रोन का उपयोग करके हवाई तस्वीरें और स्पेक्ट्रल डेटा एकत्र करना शामिल है, फसलों के स्वास्थ्य और विकास की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह किसानों को दूर से ही फसल तनाव, पोषक तत्वों की कमी या कीट संक्रमण जैसी समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है। इन डेटा का उपयोग करके, किसान समस्याग्रस्त क्षेत्रों को जल्दी पहचान सकते हैं और समय पर हस्तक्षेप कर सकते हैं। इसके अलावा, खेत में लगाए गए मिट्टी के सेंसर मिट्टी की नमी, तापमान और पोषक तत्वों के स्तर के बारे में वास्तविक समय का डेटा प्रदान करते हैं, जिससे पानी और उर्वरक के उपयोग के बारे में अधिक सटीक निर्णय लेने में मदद मिलती है।
वेरिएबल रेट टेक्नोलॉजी (VRT) परिशुद्ध कृषि का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह तकनीक किसानों को अपने खेत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग मात्रा में इनपुट (जैसे बीज, उर्वरक या पानी) लगाने की अनुमति देती है। उदाहरण के लिए, एक ही खेत में, जहां मिट्टी की उर्वरता कम है, वहां अधिक उर्वरक लगाया जा सकता है, जबकि जहां उर्वरता पहले से अच्छी है, वहां कम मात्रा में। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी को कम करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक पौधे को उसकी आवश्यकता के अनुसार पोषक तत्व मिलें, जिससे समान और उच्च पैदावार प्राप्त हो।
ड्रोन (मानव रहित हवाई वाहन) परिशुद्ध कृषि में एक बहुमुखी उपकरण के रूप में उभरे हैं। वे खेतों की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां और वीडियो ले सकते हैं, जो फसल स्वास्थ्य, कीटों के हमले और खरपतवारों का पता लगाने में मदद करते हैं। कुछ उन्नत ड्रोन उर्वरक या कीटनाशकों के लक्षित छिड़काव के लिए भी उपयोग किए जाते हैं, जिससे रसायनों का उपयोग कम होता है और पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होता है। ड्रोन तेजी से और कुशलता से बड़े क्षेत्रों को कवर कर सकते हैं, जिससे समय और श्रम की बचत होती है।
आजकल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) परिशुद्ध कृषि में डेटा विश्लेषण और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को एक नए स्तर पर ले जा रहे हैं। ये प्रौद्योगिकियां सेंसर, उपग्रहों और ड्रोन से एकत्र किए गए विशाल डेटासेट का विश्लेषण कर सकती हैं, पैटर्न की पहचान कर सकती हैं, और भविष्य की परिस्थितियों का अनुमान लगा सकती हैं। उदाहरण के लिए, एआई मॉडल फसल रोगों का सटीक निदान कर सकते हैं, इष्टतम बुवाई और कटाई के समय का सुझाव दे सकते हैं, और यहां तक कि बाजार की कीमतों के रुझान का भी अनुमान लगा सकते हैं, जिससे किसानों को सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है।
परिशुद्ध कृषि के कई लाभ हैं। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, यह संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करता है। पानी, उर्वरक और कीटनाशकों का सटीक अनुप्रयोग न केवल बर्बादी को कम करता है, बल्कि इन कीमती इनपुट पर होने वाले खर्च में भी कटौती करता है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है जहाँ पानी या अन्य संसाधन दुर्लभ हैं। संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करने से किसानों को अपने परिचालन लागत को कम करने और लाभप्रदता बढ़ाने में मदद मिलती है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी परिशुद्ध कृषि अत्यधिक फायदेमंद है। रसायनों और पानी के कम और लक्षित उपयोग से मिट्टी और भूजल प्रदूषण का खतरा कम होता है। यह मिट्टी के कटाव को रोकने और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद करता है, जिससे कृषि प्रणालियों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित होती है। कम रासायनिक उपयोग जैव विविधता के लिए भी बेहतर है, क्योंकि यह गैर-लक्षित जीवों को होने वाले नुकसान को कम करता है।
आर्थिक रूप से, परिशुद्ध कृषि किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संसाधनों के कुशल उपयोग से लागत कम होती है, जबकि बेहतर फसल प्रबंधन और अनुकूलित इनपुट के कारण पैदावार बढ़ती है। परिणामस्वरूप, किसान को प्रति एकड़ अधिक लाभ होता है। यह खाद्य सुरक्षा में भी योगदान देता है क्योंकि बेहतर और अधिक स्थिर पैदावार से खाद्य आपूर्ति में वृद्धि होती है और कीमतों में स्थिरता आती है।
भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए परिशुद्ध कृषि की क्षमता बहुत अधिक है। भारत में छोटे जोत वाले किसान बड़ी संख्या में हैं, और उनके लिए संसाधनों का कुशल उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत सरकार 'डिजिटल इंडिया' और 'किसानों की आय दोगुनी करने' जैसे कार्यक्रमों के तहत कृषि में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। विभिन्न योजनाएं और पहलें किसानों को आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों तक पहुंच बनाने और उन्हें अपनाने में मदद कर रही हैं। कृषि स्टार्ट-अप और अनुसंधान संस्थान भी परिशुद्ध कृषि समाधानों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित करने में लगे हुए हैं।
हालांकि, परिशुद्ध कृषि को अपनाने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। प्रारंभिक निवेश लागत एक बड़ी बाधा हो सकती है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए। तकनीकी उपकरणों जैसे सेंसर, जीपीएस रिसीवर और वेरिएबल रेट एप्लिकेटर की खरीद महंगी हो सकती है। इसके अलावा, इन तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए किसानों को पर्याप्त तकनीकी ज्ञान और डिजिटल साक्षरता की आवश्यकता होती है। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम इस अंतर को पाटने में महत्वपूर्ण हैं।
डेटा प्रबंधन और उसकी सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है। परिशुद्ध कृषि में बड़ी मात्रा में डेटा उत्पन्न होता है, और इसे प्रभावी ढंग से एकत्र करना, स्टोर करना, विश्लेषण करना और व्याख्या करना जटिल हो सकता है। डेटा इंटरऑपरेबिलिटी (विभिन्न उपकरणों और प्लेटफार्मों के बीच डेटा का आदान-प्रदान) और ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त इंटरनेट कनेक्टिविटी भी इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने में बाधा डालती है। सरकारों और निजी क्षेत्रों को मिलकर एक मजबूत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है।
भारत में, विभिन्न राज्यों में परिशुद्ध कृषि के पायलट प्रोजेक्ट और सफल केस स्टडीज सामने आए हैं, विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में। ये परियोजनाएं दिखाती हैं कि कैसे लक्षित सिंचाई, पोषक तत्व प्रबंधन और कीट नियंत्रण से पैदावार में सुधार और लागत में कमी आई है। ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिस्टम और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी पहलें परिशुद्ध कृषि की दिशा में शुरुआती कदम हैं, लेकिन अब अधिक परिष्कृत तकनीकों की ओर बढ़ने की आवश्यकता है।
भविष्य में, परिशुद्ध कृषि रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और उन्नत डेटा एनालिटिक्स के साथ और भी अधिक एकीकृत होगी। स्वायत्त ट्रैक्टर, स्वचालित वीडिंग रोबोट और सटीक छिड़काव उपकरण खेती के कार्यों को और भी अधिक कुशल बना देंगे। यह न केवल श्रम की कमी की समस्या को हल करेगा, बल्कि कृषि कार्यों की सटीकता और गति को भी बढ़ाएगा। सतत कृषि के लक्ष्यों को प्राप्त करने और बढ़ती वैश्विक आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में परिशुद्ध कृषि की भूमिका केंद्रीय होगी।
यह तकनीक कृषि को एक कला से डेटा-संचालित विज्ञान में बदल रही है, जिससे किसान न केवल बेहतर फसल उगा रहे हैं बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा कर रहे हैं। क्या यह तकनीक छोटे किसानों के लिए वास्तव में सुलभ और आर्थिक रूप से व्यवहार्य बन पाएगी, खासकर उन विकासशील देशों में जहां डिजिटल डिवाइड अभी भी एक चुनौती है?