Answer: आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (Artificial Neural Network)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज के तकनीकी युग का एक ऐसा क्षेत्र है जिसने मानव जीवन के लगभग हर पहलू को छुआ है। इसके विभिन्न उप-क्षेत्रों में से एक 'मशीन लर्निंग' (Machine Learning) है, जो कंप्यूटर को स्पष्ट रूप से प्रोग्राम किए बिना डेटा से सीखने की क्षमता प्रदान करता है। मशीन लर्निंग की एक अत्यधिक शक्तिशाली शाखा 'डीप लर्निंग' (Deep Learning) है, जिसने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति की है। डीप लर्निंग का आधार 'आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क' (Artificial Neural Network) हैं, जो मानव मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली से प्रेरित हैं।
मानव मस्तिष्क अरबों न्यूरॉन्स का एक जटिल जाल है, जो एक-दूसरे से जुड़कर सूचनाओं को संसाधित करते हैं और सीखते हैं। आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क इसी जैविक मॉडल की नकल करने का प्रयास करते हैं। एक कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क में 'कृत्रिम न्यूरॉन्स' (Artificial Neurons) या 'नोड्स' (Nodes) की परतें होती हैं। प्रत्येक न्यूरॉन को एक इनपुट सिग्नल प्राप्त होता है, उसे एक भार (Weight) से गुणा किया जाता है, और फिर एक 'एक्टिवेशन फंक्शन' (Activation Function) के माध्यम से संसाधित किया जाता है। यह संसाधित आउटपुट अगले न्यूरॉन को भेजा जाता है।
डीप लर्निंग मॉडल में, इन कृत्रिम न्यूरॉन्स की कई परतें होती हैं, इसीलिए इसे 'डीप' (गहरा) कहा जाता है। इन परतों को सामान्यतः तीन श्रेणियों में बांटा जाता है: इनपुट परत (Input Layer), छिपी हुई परतें (Hidden Layers), और आउटपुट परत (Output Layer)। इनपुट परत वह जगह है जहाँ डेटा (जैसे चित्र, ध्वनि, पाठ) नेटवर्क में प्रवेश करता है। छिपी हुई परतें इनपुट डेटा पर जटिल गणनाएँ करती हैं, जिससे डेटा की अमूर्त और उच्च-स्तरीय विशेषताएँ (Abstract and High-Level Features) निकाली जाती हैं। आउटपुट परत अंतिम परिणाम उत्पन्न करती है, जैसे कि किसी चित्र में वस्तु की पहचान करना, या किसी प्रश्न का उत्तर देना।
डीप लर्निंग की प्रमुख विशेषता यह है कि यह डेटा से स्वचालित रूप से विशेषताओं को सीखता है। पारंपरिक मशीन लर्निंग में, विशेषता इंजीनियरिंग (Feature Engineering) एक महत्वपूर्ण और समय लेने वाला कदम होता था, जहाँ मनुष्यों को डेटा की प्रासंगिक विशेषताओं को पहचानकर उन्हें मॉडल के लिए तैयार करना पड़ता था। डीप लर्निंग मॉडल, विशेष रूप से कनवोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क (Convolutional Neural Networks - CNNs) छवियों के लिए, और रिकरंट न्यूरल नेटवर्क (Recurrent Neural Networks - RNNs) अनुक्रमिक डेटा (जैसे पाठ या समय श्रृंखला) के लिए, इन विशेषताओं को स्वयं सीख लेते हैं। यह क्षमता ही डीप लर्निंग को इतना शक्तिशाली बनाती है।
उदाहरण के लिए, जब एक डीप लर्निंग मॉडल को बिल्लियों और कुत्तों की छवियों को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, तो इनपुट परत छवि के पिक्सेल को प्राप्त करती है। पहली छिपी हुई परतें सरल विशेषताओं जैसे किनारों (Edges) और कोनों (Corners) को पहचान सकती हैं। आगे की छिपी हुई परतें इन सरल विशेषताओं को मिलाकर अधिक जटिल विशेषताएँ जैसे आँखें, कान, या पंजे बनाना सीखती हैं। अंततः, आउटपुट परत इन जटिल विशेषताओं के आधार पर यह तय करती है कि छवि एक बिल्ली की है या कुत्ते की। इस प्रकार, नेटवर्क धीरे-धीरे डेटा के बारे में एक 'गहरी' समझ विकसित करता है।
डीप लर्निंग की सफलता बड़े डेटासेट (Big Data) और शक्तिशाली कंप्यूटिंग हार्डवेयर, विशेष रूप से ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPUs) की उपलब्धता से भी संभव हुई है। न्यूरल नेटवर्क को प्रशिक्षित करने के लिए बड़ी मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है ताकि वे सटीक भविष्यवाणियाँ कर सकें। GPUs, जो समानांतर प्रसंस्करण (Parallel Processing) के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, इन बड़े नेटवर्क के प्रशिक्षण को बहुत तेज़ बनाते हैं, जो अन्यथा महीनों या वर्षों तक चल सकता है।
डीप लर्निंग के अनुप्रयोगों की सूची बहुत लंबी है। कंप्यूटर विजन (Computer Vision) में, यह छवि और वीडियो पहचान, वस्तु का पता लगाने (Object Detection), और छवि वर्गीकरण (Image Classification) में क्रांति ला चुका है। प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing - NLP) में, डीप लर्निंग मशीनों को मानव भाषा को समझने, उत्पन्न करने और अनुवाद करने में सक्षम बनाता है, जिससे वर्चुअल असिस्टेंट (Virtual Assistants), चैटबॉट (Chatbots), और स्वचालित अनुवाद उपकरण (Automated Translation Tools) संभव हुए हैं।
औषधि खोज (Drug Discovery) और निदान (Diagnosis) में, डीप लर्निंग पैटर्न की पहचान करके बीमारियों का पता लगाने और व्यक्तिगत उपचार विकसित करने में सहायता कर रहा है। स्वायत्त वाहनों (Autonomous Vehicles) के विकास में, यह सड़क पर वस्तुओं, संकेतों और पैदल चलने वालों को पहचानने के लिए महत्वपूर्ण है। शेयर बाजार के विश्लेषण से लेकर संगीत और कला के निर्माण तक, डीप लर्निंग नवाचार को बढ़ावा दे रहा है।
हालांकि डीप लर्निंग की क्षमताएं प्रभावशाली हैं, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। डीप लर्निंग मॉडल को 'ब्लैक बॉक्स' (Black Box) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह समझना मुश्किल हो सकता है कि वे किसी विशेष निर्णय पर कैसे पहुंचे। इसे 'व्याख्यात्मकता' (Interpretability) की समस्या कहा जाता है। इसके अलावा, इन मॉडलों को प्रशिक्षित करने के लिए बहुत अधिक डेटा और कम्प्यूटेशनल संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो हमेशा उपलब्ध नहीं होते। साथ ही, बायस (Bias) की समस्या भी मौजूद है, जहाँ प्रशिक्षण डेटा में मौजूद पूर्वाग्रह मॉडल के निर्णयों में प्रतिबिंबित हो सकते हैं।
भविष्य में, डीप लर्निंग के और भी अधिक उन्नत और विविध अनुप्रयोगों की उम्मीद है। जैसे-जैसे AI तकनीकें विकसित होंगी, वैसे-वैसे वे मानव क्षमताओं को बढ़ाएंगी और समाज को नए तरीकों से आकार देंगी। डीप लर्निंग, आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क की शक्ति का उपयोग करके, मशीनों को अधिक बुद्धिमान, अधिक सक्षम और अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। क्या हम भविष्य में ऐसे AI का निर्माण कर पाएंगे जो मानव बुद्धि के हर पहलू को पूरी तरह से दोहरा सके?