Answer: स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व (Liberté, égalité, fraternité)
फ्रांसीसी क्रांति, जो 1789 से 1799 तक चली, आधुनिक यूरोपीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। यह न केवल फ्रांस में बल्कि पूरे विश्व में राजनीतिक और सामाजिक विचारों के प्रसार में एक मील का पत्थर साबित हुई। इस क्रांति का मूल कारण पुरानी व्यवस्था (Ancien Régime) की अत्यधिक असमानता, निरंकुश राजशाही, विशेषाधिकार प्राप्त कुलीन वर्ग और चर्च का प्रभुत्व, और आम जनता की बढ़ती गरीबी और असंतोष था। क्रांति का उद्घोष 'स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व' (Liberté, égalité, fraternité) ने इन सभी आकांक्षाओं को एक सूत्र में पिरोया और एक नए समाज की कल्पना प्रस्तुत की।
फ्रांस में क्रांति की जड़ें 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में गहराई तक फैली हुई थीं। उस समय, फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेट्स में विभाजित था। पहला एस्टेट पादरी वर्ग था, जो विशेषाधिकार प्राप्त था और करों से मुक्त था। दूसरा एस्टेट कुलीन वर्ग था, जिसके पास भूमि का एक बड़ा हिस्सा था और वह भी करों से मुक्त था। तीसरा एस्टेट, जो समाज का सबसे बड़ा वर्ग था, इसमें किसान, मजदूर, व्यापारी, वकील और आम नागरिक शामिल थे। यह वर्ग ही अधिकांश करों का भुगतान करता था, लेकिन उनके पास राजनीतिक शक्ति नगण्य थी। आर्थिक कुप्रबंधन, लगातार युद्धों के कारण बढ़ा हुआ कर्ज, और राजा लुई सोलहवें (Louis XVI) की अक्षमता ने स्थिति को और खराब कर दिया।
1789 में, जब फ्रांस गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा था, राजा लुई सोलहवें ने एस्टेट्स-जनरल (Estates-General) की बैठक बुलाई, जो लगभग 175 वर्षों से नहीं बुलाई गई थी। यह एक प्रयास था वित्तीय समस्याओं का समाधान खोजने का। हालाँकि, एस्टेट्स-जनरल में मतदान की पारंपरिक प्रणाली (प्रत्येक एस्टेट को एक वोट) तीसरे एस्टेट के लिए अनुचित थी, क्योंकि पहले और दूसरे एस्टेट मिलकर तीसरे एस्टेट के हितों के खिलाफ वोट कर सकते थे। तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधियों ने एक राष्ट्रीय सभा (National Assembly) के रूप में खुद को घोषित किया और एक नया संविधान बनाने की कसम खाई।
14 जुलाई, 1789 को पेरिस की जनता ने बास्तील के किले पर धावा बोल दिया, जो शाही अत्याचार का प्रतीक था। यह घटना फ्रांसीसी क्रांति का एक प्रतीकात्मक आरंभ बिंदु मानी जाती है। बास्तील का पतन एक शक्तिशाली संदेश था कि जनता अब निरंकुश सत्ता को सहन नहीं करेगी। इसके बाद, किसानों ने ग्रामीण इलाकों में सामंती प्रभुत्व के खिलाफ विद्रोह किया, जिसे 'महान भय' (Great Fear) के रूप में जाना जाता है।
राष्ट्रीय सभा ने कई महत्वपूर्ण सुधार किए। अगस्त 1789 में, 'मनुष्य और नागरिक के अधिकारों की घोषणा' (Declaration of the Rights of Man and of the Citizen) को अपनाया गया। इस घोषणापत्र ने व्यक्ति की स्वतंत्रता, संपत्ति की सुरक्षा, उत्पीड़न का प्रतिरोध, और कानून के समक्ष समानता जैसे प्राकृतिक अधिकारों पर जोर दिया। यह घोषणापत्र फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य आदर्शों, 'स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व' का मूर्त रूप थी। 'स्वतंत्रता' का अर्थ था व्यक्तिगत अधिकारों की गारंटी, राजशाही और चर्च के दमन से मुक्ति। 'समानता' का अर्थ था कानून के समक्ष सभी नागरिकों की समानता, जन्म या पद के आधार पर कोई विशेषाधिकार नहीं। 'बंधुत्व' का अर्थ था राष्ट्र के सभी नागरिकों के बीच एकता और भाईचारे की भावना।
क्रांति का मार्ग आसान नहीं था। फ्रांस को आंतरिक विद्रोहों, शाही प्रतिरोध और विदेशी हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा। 1792 में राजशाही को समाप्त कर दिया गया और फ्रांस को एक गणराज्य घोषित किया गया। 1793 में, राजा लुई सोलहवें और उनकी पत्नी मैरी एंटोनेट को गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया। इसके बाद 'आतंक का राज' (Reign of Terror) का दौर आया, जो मैक्सिमिलियन रोबेस्पिएरे (Maximilien Robespierre) के नेतृत्व में चला। इस दौरान, क्रांति के विरोधियों को बेहरमी से कुचला गया और हजारों लोगों को मौत की सजा दी गई।
आतंक के राज के अंत के बाद, फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता बनी रही। अंततः, 1799 में, नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) ने तख्तापलट किया और फ्रांस का प्रथम कौंसल बन गया, जिसने क्रांति के अंतिम चरण को चिह्नित किया। हालांकि नेपोलियन के उदय ने क्रांति के कुछ आदर्शों को विकृत किया, लेकिन क्रांति द्वारा लाए गए राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन अपरिवर्तनीय थे। फ्रांसीसी क्रांति ने सामंतवाद को समाप्त किया, नागरिक संहिता (Civil Code) जैसे सुधार लागू किए, और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा दिया।
'स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व' का नारा केवल फ्रांस तक सीमित नहीं रहा। इसने पूरे यूरोप और दुनिया भर में स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरित किया। इसने लोकतंत्र, मानव अधिकारों और राष्ट्रीय संप्रभुता के विचारों को मजबूती दी। अमेरिकी क्रांति (American Revolution) के बाद, फ्रांसीसी क्रांति ने स्थापित किया कि पुराने, दमनकारी शासन को उखाड़ फेंका जा सकता है और एक ऐसे समाज का निर्माण किया जा सकता है जो अपने नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता पर आधारित हो।
फ्रांसीसी क्रांति ने राजशाही और अभिजात वर्ग के सदियों पुराने प्रभुत्व को चुनौती दी और लोकप्रिय संप्रभुता के सिद्धांत को स्थापित किया। इसने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया, जहाँ नागरिक अपने राजा के प्रति निष्ठा के बजाय अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठा रखते थे। इस क्रांति ने समाज के पुनर्गठन के लिए एक नया खाका प्रस्तुत किया, जो तर्क, कारण और मानवीय गरिमा पर आधारित था।
हालांकि क्रांति अपने सभी उद्देश्यों को तुरंत प्राप्त नहीं कर सकी और इसके परिणामस्वरूप हिंसा और अस्थिरता भी हुई, लेकिन इसने जो विचार प्रस्तुत किए, वे स्थायी थे। 'स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व' के आदर्शों ने दुनिया भर में राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों के लिए प्रेरणा स्रोत का काम किया है। इसने अधिनायकवाद और अन्याय के खिलाफ लड़ने की क्षमता का प्रदर्शन किया।
आज भी, फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों का महत्व कम नहीं हुआ है। वे दुनिया भर में लोकतांत्रिक शासन, मानवाधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष का आधार बने हुए हैं। यह क्रांति सिखाती है कि परिवर्तन संभव है, भले ही वह कितना भी कठिन क्यों न हो, और जनता की इच्छा में शक्ति निहित है। इस क्रांति की विरासत आज भी दुनिया को आकार दे रही है, और इसके आदर्श हमें एक न्यायपूर्ण और अधिक समान समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करते रहते हैं। क्या हम इन ऐतिहासिक क्रांतियों से सीखकर आज की दुनिया में समानता और न्याय को और अधिक मजबूत कर सकते हैं?