Answer: रॉबर्ट क्लाइव
प्लासी का युद्ध, जो 23 जून 1757 को लड़ा गया था, भारतीय इतिहास में एक युगांतकारी घटना थी। इसने भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की नींव रखी और भारतीय उपमहाद्वीप पर यूरोपीय शक्तियों के प्रभुत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। यह युद्ध बंगाल के तत्कालीन नवाब, सिराजुद्दौला, और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुआ था, जिसका नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव ने किया था। इस युद्ध का परिणाम न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी दूरगामी परिवर्तन लाए।
प्लासी का युद्ध ऐसे समय में हुआ जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में एक व्यापारिक संस्था से बढ़कर एक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर रही थी। कंपनी ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों को सुरक्षित करने और अपने हितों को बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे भारतीय शासकों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था। बंगाल, जो उस समय भारत का सबसे समृद्ध प्रांत था, कंपनी के लिए विशेष रूप से आकर्षक था। कंपनी ने बंगाल में अपनी व्यापारिक चौकियों को मजबूत किया और स्थानीय शासकों के साथ संबंध बनाए, जो अक्सर तनावपूर्ण रहते थे।
नवाब सिराजुद्दौला 1756 में बंगाल के सिंहासन पर बैठे थे। वह एक महत्वाकांक्षी शासक थे और कंपनी की बढ़ती शक्ति और उसके अनधिकृत विस्तार से चिंतित थे। उन्होंने कंपनी द्वारा किलेबंदी को मजबूत करने, व्यापार विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने और नवाब की अनुमति के बिना सिक्के ढालने जैसे कार्यों पर आपत्ति जताई। नवाब ने कंपनी को इन गतिविधियों को रोकने के आदेश दिए, लेकिन कंपनी ने उनकी अनदेखी की।
इसी बीच, एक घटना हुई जिसने सीधे तौर पर युद्ध को भड़काया। 20 जून 1756 को, सिराजुद्दौला ने कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) पर हमला कर दिया और फोर्ट विलियम पर कब्जा कर लिया। इस घटना को 'कालकोठरी की त्रासदी' (Black Hole of Calcutta) के नाम से जाना जाता है। इस घटना में, कहा जाता है कि नवाब की सेना ने फोर्ट विलियम के अंदर 146 अंग्रेजों को एक छोटी सी कोठरी में बंद कर दिया था, जिसमें से अगले दिन केवल 23 ही जीवित बचे थे। हालांकि इस घटना के सत्यता और उसके पीड़ितों की संख्या पर इतिहासकारों में मतभेद हैं, लेकिन इसने अंग्रेजों को बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करने का बहाना दे दिया।
इस घटना के जवाब में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास से रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में एक बड़ी सेना भेजी। क्लाइव एक अनुभवी और धूर्त सेनापति था, जिसने पहले भी भारतीय युद्धों में अपनी विजय का परचम लहराया था। प्लासी के मैदान में, सिराजुद्दौला की सेना संख्यात्मक रूप से कहीं अधिक थी, लेकिन ब्रिटिश सेना बेहतर हथियारों, अनुशासन और युद्ध की रणनीतियों से लैस थी।
युद्ध का सबसे निर्णायक पहलू सिराजुद्दौला के सेनापतियों में से एक, मीर जाफ़र का विश्वासघात था। मीर जाफ़र, जो नवाब के सेनापति थे, गुप्त रूप से रॉबर्ट क्लाइव के साथ मिले हुए थे। उन्होंने नवाब के प्रति निष्ठा बनाए रखने के बजाय, युद्ध के मैदान में अपनी सेना को निष्क्रिय रखने का फैसला किया। जब क्लाइव ने आक्रमण किया, तो मीर जाफ़र की सेना युद्ध में शामिल नहीं हुई, जिससे नवाब की सेना का मनोबल टूट गया और वह तितर-बितर हो गई।
मीर जाफ़र के विश्वासघात के कारण, युद्ध का परिणाम लगभग तुरंत ही तय हो गया। सिराजुद्दौला को युद्ध मैदान छोड़कर भागना पड़ा, लेकिन बाद में उसे पकड़ लिया गया और मीर जाफ़र के आदेश पर मार दिया गया। इस प्रकार, प्लासी का युद्ध एक निर्णायक ब्रिटिश विजय में समाप्त हुआ।
प्लासी के युद्ध के परिणाम अत्यंत दूरगामी थे। इसने बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का राजनीतिक नियंत्रण स्थापित कर दिया। युद्ध के बाद, मीर जाफ़र को बंगाल का नवाब बनाया गया, लेकिन वह पूरी तरह से कंपनी के हाथों की कठपुतली था। कंपनी ने मीर जाफ़र से भारी मात्रा में धन और अन्य विशेषाधिकार प्राप्त किए, जिससे कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
इस विजय ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत के अन्य हिस्सों में अपने विस्तार के लिए आत्मविश्वास और संसाधन प्रदान किए। कंपनी ने धीरे-धीरे अन्य भारतीय राज्यों के साथ भी इसी तरह के संबंध स्थापित किए, अक्सर छल, कपट और सैन्य बल का प्रयोग करके। प्लासी के युद्ध के बाद, भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का उदय शुरू हुआ, जिसने अगले दो शताब्दियों तक इस उपमहाद्वीप पर शासन किया।
यह युद्ध भारतीय इतिहास के पाठ्यक्रम को बदलने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इसने न केवल भारत की राजनीतिक व्यवस्था को बदला, बल्कि इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को भी ब्रिटिश हितों के अधीन कर दिया। कच्चे माल का निर्यात और तैयार माल का आयात ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
प्लासी के युद्ध के सबक आज भी प्रासंगिक हैं। यह दर्शाता है कि कैसे आंतरिक फूट और विश्वासघात बाहरी शक्तियों को प्रवेश करने और हावी होने का अवसर प्रदान कर सकते हैं। यह युद्ध उन रणनीतिक गलतियों का भी एक उदाहरण है जो एक शक्तिशाली शासक के लिए विनाशकारी साबित हो सकती हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में प्लासी के युद्ध को एक काली रात के रूप में देखा जाता है, जिसने भारत की स्वतंत्रता को छीन लिया। हालांकि, इसके सैन्य और राजनीतिक पहलुओं के अलावा, इस युद्ध ने एक सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन को भी जन्म दिया, जिसके प्रभाव आज भी महसूस किए जाते हैं।
क्या प्लासी के युद्ध की तरह ही, इतिहास में ऐसे अन्य कौन से युद्ध हुए हैं जिन्होंने एक साम्राज्य के उदय या पतन को चिह्नित किया हो?