भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में योजना आयोग और नीति आयोग की भूमिकाओं में क्या अंतर है?
Answer: योजना आयोग एक केंद्रीय नियोजन निकाय था जो भारत के आर्थिक विकास की योजनाएँ बनाता था, जबकि नीति आयोग एक नीति-सलाहकार संस्थान है जो सहकारी संघवाद के सिद्धांत पर काम करता है और राज्य सरकारों के साथ मिलकर विकास रणनीतियाँ तैयार करता है। योजना आयोग निर्देशात्मक था जबकि नीति आयोग सलाहकार है।
भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था एक जटिल तंत्र है जिसमें विभिन्न संस्थान और नीतियाँ आपस में जुड़ी हुई हैं। स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को आकार देने के लिए योजनाबद्ध दृष्टिकोण अपनाया है। इस दृष्टिकोण का केंद्रबिंदु योजना आयोग था, जिसकी स्थापना 1950 में हुई थी।योजना आयोग का मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाएँ बनाना और उनका क्रियान्वयन करना था। यह एक केंद्रीयकृत संस्थान था जो देश के आर्थिक विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित करता था और संसाधनों का आवंटन करता था। हालांकि, समय के साथ, योजना आयोग की भूमिका और प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे। इसकी केंद्रीकृत प्रकृति और निष्क्रियता को आलोचना का सामना करना पड़ा।इसलिए, जनवरी 2015 में, योजना आयोग को नीति आयोग से बदल दिया गया। नीति आयोग एक अधिक सहकारी और विकेंद्रीकृत संस्थान है जो राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करता है। यह एक नीति-सलाहकार संस्थान है जो विकास के लिए रणनीतियाँ तैयार करता है और राज्य सरकारों को सलाह देता है। नीति आयोग का उद्देश्य सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना और विकास के लिए एक अधिक समावेशी और भागीदारीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना है।नीति आयोग योजना आयोग से अलग है क्योंकि यह एक केंद्रीय नियोजन संस्था नहीं है, बल्कि एक विचार मंथन और नीति निर्माण संस्था है। यह राज्य सरकारों को अधिक अधिकार देता है और सहयोगात्मक तरीके से काम करता है। नीति आयोग का मुख्य फोकस सतत विकास और नवोन्मेष पर है। यह विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों को बढ़ावा देता है और बेहतर शासन को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।संक्षेप में, योजना आयोग एक निर्देशात्मक और केंद्रीकृत संस्था थी, जबकि नीति आयोग एक सलाहकार और सहकारी संस्था है। यह बदलाव भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो अब अधिक विकेंद्रीकृत और भागीदारीपूर्ण विकास के प्रति आग्रही है।
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