भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों का चयन किन सिद्धांतों पर आधारित था और वे किस प्रकार राष्ट्र के मूलभूत मूल्यों को दर्शाते हैं?
Answer: भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों का चयन देश की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक विविधता, संवैधानिक आदर्शों और भविष्य की आकांक्षाओं को दर्शाने वाले सिद्धांतों पर आधारित था। ये प्रतीक राष्ट्रीय एकता, संप्रभुता, शांति, सत्य, प्रगति और पर्यावरणीय संरक्षण जैसे मूलभूत मूल्यों को समाहित करते हैं, जो सामूहिक रूप से भारतीय पहचान को मजबूत करते हैं।
भारत के राष्ट्रीय प्रतीक केवल चिह्न या प्रतीक मात्र नहीं हैं, बल्कि वे देश की आत्मा, उसके इतिहास, उसकी विविध संस्कृति और उसके संवैधानिक दर्शन के जीवंत प्रतिरूप हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, राष्ट्र निर्माताओं ने ऐसे प्रतीकों का चयन किया जो पूरे देश को एकता के सूत्र में बांध सकें और भारत की विशिष्ट पहचान को विश्व पटल पर स्थापित कर सकें। इन प्रतीकों का चयन गहरे विचार-विमर्श और भविष्य के भारत के लिए निर्धारित मूल्यों को ध्यान में रखकर किया गया था।राष्ट्रीय प्रतीकों के चयन के पीछे मुख्य सिद्धांत राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता, विविधता में एकता, ऐतिहासिक गौरव, शांति और प्रगति को दर्शाना था। उदाहरण के लिए, "सत्यमेव जयते" (सत्य की ही विजय होती है) आदर्श वाक्य के साथ सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया राष्ट्रीय प्रतीक, सत्य, न्याय और धर्मपरायणता के मूल्यों को दर्शाता है। इसमें चार सिंह शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि इसके नीचे स्थित चक्र धर्म के नियम और निरंतर प्रगति का प्रतीक है।राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा, तीन रंगों और अशोक चक्र के माध्यम से राष्ट्र के मूलभूत सिद्धांतों को व्यक्त करता है। केसरिया रंग त्याग और बलिदान का, सफेद रंग शांति, सत्य और पवित्रता का, तथा हरा रंग उर्वरता, समृद्धि और विकास का प्रतीक है। केंद्र में स्थित 24 तीलियों वाला नीला अशोक चक्र, धर्मचक्र का प्रतिनिधित्व करता है और यह दर्शाता है कि जीवन गति में है और गति में ही मृत्यु है। यह प्रगति और न्याय के सिद्धांतों पर जोर देता है।राष्ट्रगान "जन गण मन" और राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" देश की एकता, विविध संस्कृति और देशभक्ति की भावना को उद्दीप्त करते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित राष्ट्रगान, भारत की विविध भाषाओं, धर्मों और क्षेत्रों को एक साथ लाता है, जबकि बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित "वंदे मातरम" स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा का स्रोत रहा और मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम को अभिव्यक्त करता है।अन्य राष्ट्रीय प्रतीक भी विशिष्ट मूल्यों को दर्शाते हैं। राष्ट्रीय पशु बाघ शक्ति और पराक्रम का, राष्ट्रीय पक्षी मोर सुंदरता और गौरव का, राष्ट्रीय फूल कमल पवित्रता और ज्ञान का, राष्ट्रीय फल आम समृद्धि का, और राष्ट्रीय वृक्ष बरगद अमरता और दीर्घायु का प्रतीक है। गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक है। डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय पशु के रूप में मान्यता दी गई है, जो पर्यावरणीय संरक्षण और स्वच्छ नदियों के महत्व को उजागर करता है।ये सभी प्रतीक मिलकर भारत की समृद्ध विरासत, उसके लोकतांत्रिक मूल्यों, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की इच्छा और प्रगति के संकल्प को दर्शाते हैं। वे हर भारतीय को अपनी जड़ों से जुड़ने और राष्ट्रीय पहचान पर गर्व करने के लिए प्रेरित करते हैं, जबकि साथ ही भविष्य के लिए एक साझा दृष्टि भी प्रस्तुत करते हैं।
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